Chapter 2 जूझ Solutions
Question - 11 : - मत्री नामक अध्यापक पर टिप्पणी कीजिए।
Answer - 11 : -
मंत्री नामक अध्यापक गणित पढ़ाते थे। वे प्राय: छड़ी का उपयोग नहीं करते थे। काम न करने वाले बच्चों की गरदन हाथ से पकड़कर उनकी पीठ पर घूसा लगाते थे। इस प्रकार से बच्चों के मन में दहशत थी। शरारती बच्चे भी शांत रहने लगे थे। ये पढ़ने वाले बच्चों को प्रोत्साहन देते थे। अगर किसी का सवाल गलत हो जाता तो वे उसे समझाते थे। एकाध लड़कों द्वारा मूर्खता करने पर उन्हें वहीं ठोंक देते थे। उनके डर से सभी बच्चे घर से पढ़ाई करके आने लगे।
Question - 12 : - वसंत पाटिल कौन है? लेखक ने उससे दोस्ती क्यों व कैसे की?
Answer - 12 : -
वसंत पाटिल दुबला-पतला, परंतु होशियार लड़का था। वह स्वभाव से शांत था तथा हर समय पढ़ने में लगा रहता था। वह घर से पूरी तैयारी करके आता था तथा उसके सभी सवाल ठीक होते थे। वह दूसरों के सवालों की जाँच करता था। उसे कक्षा का मॉनीटर बना दिया गया था। लेखक भी उसकी देखा-देखी मेहनत करने लगा। उसने बस्ता व्यवस्थित किया, किताबों पर अखबारी कागज का कवर चढ़ाया तथा हर समय पढ़ने लगा। उसके सवाल भी ठीक निकलने लगे। वह भी वसंत पाटील की तरह लड़कों के सवाल जाँचने लगा। इस तरह दोनों दोस्त बन गए तथा एक-दूसरे की सहायता से कक्षा के अनेक काम करने लगे।
Question - 13 : - लेखक का पाठशाला में विश्वास कैसे बढ़ा? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर बताइए।
Answer - 13 : -
जब लेखक को वसंत पाटिल के साथ दूसरे लड़कों के सवाल जाँचने का काम मिला, तब उसकी वसंत से दोस्ती हो गई। अब ये दोनों एक-दूसरे की सहायता से कक्षा के अनेक काम निपटाने लगे। सभी अध्यापक लेखक को ‘आनंदा’ कहकर बुलाने लगे। यह संबोधन भी उसके लिए बड़ा महत्वपूर्ण था। मानो पाठशाला में आने के कारण ही उसे स्वयं का नाम सुनने को मिला। ‘आनंदा’ की कोई पहचान बनी। एक तो वसंत की दोस्ती, दूसरा अध्यापकों का व्यवहार-इस कारण लेखक का अपनी पाठशाला में विश्वास बढ़ने लगा।
Question - 14 : - सौदलगेकर कौन थे? उनमें क्या विशेषता थी।
Answer - 14 : -
न०वा० सौंदलगेकर लेखक के गाँव के स्कूल में मराठी पढ़ाने वाले अध्यापक थे। वे कविता बहुत अच्छे ढंग से पढ़ाते थे। पढ़ाते समय वे स्वयं रम जाते थे। उनके पास सुरीला गला, छद की बढ़िया चाल और रसिकता थी। उन्हें पुरानी व नयी मराठी कविताओं के साथ-साथ अंग्रेजी कविताएँ भी कंठस्थ थीं। उन्हें छदों की लय, गति, ताल इत्यादि अच्छी तरह आते थे। वे स्वयं भी कविता रचते थे तथा उन्हें सुनाते थे।
Question - 15 : - ‘दत्ता जी राव की सहायता के बिना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र वह सब नहीं पा सकता था जो उसे मिला।”-टिप्पणी कीजिए।
Answer - 15 : -
यह बात बिलकुल सही है कि दत्ता जी राव की सहायता के बिना लेखक पढ़ नहीं सकता था। यदि दत्ता जी राव लेखक के पिता को नहीं समझाते तो लेखक को कभी स्कूल नसीब न होता। वह अर्धशिक्षित ही रह जाता तथा गीत, कविता, उपन्यास न लिख पाता। उच्च शिक्षा के अभाव में उसे अपने खेतों में मजदूर की तरह आजीवन काम करना पड़ता। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे जमींदार के खेतों में काम भी करना पड़ता। वस्तुत: उसका जीवन ही अंधकारमय हो जाता।
Question - 16 : - ‘जूझ’ के लेखक के मन में यह विश्वास कब और कैसे जन्मा कि वह भी कविता की रचना कर सकता है?
Answer - 16 : -
लेखक मराठी पढ़ाने वाले अध्यापक न.वा सौंदगलेकर की कला व कविता सुनाने की शैली से बहुत प्रभावित हुआ। उसे महसूस हुआ कि कविता लिखने वाले भी हमारे जैसे मनुष्य ही होते हैं। कवियों के बारे में सुनकर तथा कविता सुनाने की कला-ध्वनि, गति, चाल आदि सीखने के बाद उसे लगा कि वह अपने आस-पास, अपने गाँव, अपने खेतों से जुड़े कई दृश्यों पर कविता बना सकता है। वह भैंस चराते-चराते फसलों या जंगली फूलों पर तुकबंदी करने लगा। वह हर समय कागज व पेंसिल रखने लगा। वह अपनी कविता अध्यापक को दिखाता। इस प्रकार उसके मन में कविता-रचना के प्रति रुचि उत्पन्न हुई।
Question - 17 : - दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को पाठशाला भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बाड़ी के बारे में उससे क्या-क्या वचन लिए? ‘जूझ’ कहानी के आधार पर उत्तर दीजिए।
Answer - 17 : -
दादा ने मन मारकर अपने बच्चे को स्कूल भेजने की बात मान तो ली, पर खेती-बाड़ी के बारे में उन्होंने निम्नलिखित वचन लिए
- पाठशाला जाने से पहले ग्यारह बजे तक खेत में काम करना होगा तथा पानी लगाना होगा।
- सबेरे खेत पर जाते समय ही बस्ता लेकर जाना होगा।
- छुट्टी होने के बाद घर में बस्ता रखकर सीधे खेत पर आकर घंटा भर ढोर चराना होगा।
- अगर किसी दिन खेत में ज्यादा काम होगा तो उसे पाठशाला नहीं जाना होगा।
Question - 18 : - ‘जूझ’ कहानी की कौन-सी बात आपको सवाधिक प्रेरक लगती हैं?
Answer - 18 : -
‘जूझ’ कहानी में हमें ‘आनंदा’ का जुझारूपन सर्वाधिक प्रेरक लगता है। वह पढ़ना चाहता है, परंतु पिता बाधक है। पिता को किसी तरह दबाव डलवाकर मनाया जाता है तो आर्थिक समस्या व काम का बोझ बाधा उत्पन्न करता है। पाठशाला का अजनबी परिवेश भी उसे परेशान करता है। लेखक इन सभी विपरीत परिस्थितियों पर जुझारूपन से नियंत्रण पाता है और स्वयं को होशियार बच्चों की पंक्ति में खड़ा पाता है।
Question - 19 : - कविता के प्रति रुचि जगाने में शिक्षक की भूमिका पर ‘जूझ’ कहानी के आधार पर प्रकाश डालिए।
Answer - 19 : -
‘जूझ’ कहानी में लेखक के मन में कविताएँ रचने का प्रेरणा-स्रोत उसका शिक्षक सौंदलगेकर रहे हैं। वस्तुत: शिक्षक का दायित्व बड़ा होता है। कविता रस, लय, छद के आधार पर पढ़ाई व गाई जाती है। यदि शिक्षक का गला सुरीला है तथा उसे छद, अलंकार, लय व ताल आदि का ज्ञान होता है तो बच्चों में कविता सुनने व रचने की इच्छा जाग्रत होती है। यदि कोई बच्चा तुकबंदी करके कविता बनाता है तो शिक्षक उसे प्रोत्साहित कर सकता है। उसे कविता के संबंध में तकनीकी जानकारी दे सकता है तथा उसकी कमियों को दूर करने का सुझाव दे सकता है। अत: कविता के प्रति रुचि जगाने में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।
Question - 20 : - ‘जूझ हैं कहानी के शीर्षक काँ सार्थकता पर टिप्पर्णा लिखिए।
Answer - 20 : -
‘जूझ‘ कहानी का शीर्षक पूर्णत : उपयुक्त है। इसमें एक किशोर के देखे और भोगे हुए गँवई जीवन के खुरदरे यथार्थ और उसके रंगारंग परिवेश क्री अत्यंत विश्वसनीय गाथा है। इसमें निम्नमध्यवर्गीय ग्रामीण समाज और लडते–जूझते किसान–मज़दूरों के संघर्ष की भी अनूठी झाँस्फी है। कहानी का नायक हर कदम पर संघर्ष करता हैं। वह बचपन में स्कूल में दाखिले के लिए संघर्ष करता है, फिर कक्षा में बच्चों को शरारतों से संघर्ष करता है तथा स्कूल में स्वय को स्थापित करने के लिए मेहनत करता है। साथ ही वह घर तथा खेत के सभी जायं करता है। इन लिब कार्यो को अपनी जुझारूपन की प्रवृन्ति रने वह कर पाता है। कविता लिखने में भी वह संघर्ष करता है। अत: यह शीर्षक लेखक के जुझारूपन को व्यक्त करता है।