Chapter 3 संविधान निर्माण Solutions
Question - 1 : - नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।
(क) स्वतन्त्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतन्त्रता आन्दोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।
Answer - 1 : -
(क) अंग्रेजी शासन से स्वतन्त्रता प्राप्त करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को एक लंबा और कठिन संघर्ष
करना पड़ा था। स्वतन्त्रता के पश्चात् वे देश में लोकतंत्र की स्थापना के लिए वचनबद्ध थे। सन् 1936 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन में अपने अध्यक्षीय भाषण में जवाहरलाल नेहरू ने लोकतन्त्र के प्रति अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए कहा था-“कांग्रेस भारत में पूर्ण लोकतन्त्र का समर्थन करती है और एक लोकतंत्रीय राज्य के लिए संघर्ष कर रही है।”
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान की सभी व्यवस्थाओं के बारे में समान विचार नहीं रखते थे।
इनमें से कई सदस्य देश में एकात्मक शासन प्रणाली का समर्थन करते थे जबकि अन्य संघीय व्यवस्था के पक्ष में थे। संविधान सभा में सभी विषयों पर खुलकर विचार-विमर्श किया जाता था और निर्णय प्रायः बहुमत या पारस्परिक सहमति से लिए जाते थे।
(ग) यह आवश्यक नहीं है कि जिस देश में संविधान है- वहाँ पर लोकतंत्रीय व्यवस्था ही होगी। संविधान में तानाशाही अथवा सैनिक शासन व्यवस्था भी की जा सकती है।
(घ) विश्व में कोई भी ऐसा संविधान नहीं है जिसमें परिवर्तन न किया जा सके। प्रत्येक देश में परिवर्तित होती हुई सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक परिस्थितियों के अनुसार संविधान में संशोधन करना आवश्यक होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 में भी संविधान में संशोधन करने की प्रक्रिया का वर्णन किया गया है। सन् 1950 में भारत के संविधान के लागू होने के बाद से इसमें लगभग 100 से अधिक बार संशोधन किया जा चुका है।
Question - 2 : - दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में, इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्त्वपूर्ण था
(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का ।
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का
Answer - 2 : -
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का
Question - 3 : - लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता?
(क) शासन प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन प्रमुख का नाम
(ग) विधायिका के अधिकार
(घ) देश का नाम
Answer - 3 : -
(ख) शासन प्रमुख का नाम।
Question - 4 : - संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ
Answer - 4 : -
(क) मोतीलाल नेहरू- 1928 में भारत का संविधान बनाया।।
(ख) बी. आर. अम्बेडकर- प्रारूप समिति के अध्यक्ष।
(ग) राजेंद्र प्रसाद- संविधान सभा के अध्यक्ष।
(घ) सरोजिनी नायडू- संविधान सभा की सदस्या।
Question - 5 : - जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें
(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम,करने का नहीं है?
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख के आँसू पोंछने की है। वे इस कथन में किसका जिक्र कर रहे थे? .
Answer - 5 : -
(क) ये शब्द जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त, 1947 की मध्य रात्रि के समय संविधान सभा में दिए गए अपने प्रसिद्ध भाषण में कहे थे। उन्होंने कहा था कि भारत का भविष्य, जब भारत स्वतन्त्र हो रहा है, आराम करने या सुस्ताने का समय नहीं है बल्कि उन वायदों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करने का है जिन्हें हमने अक्सर किया है। भारत की सेवा करने का अर्थ है, दुःख और परेशानियों में पड़े लाखों-करोड़ों लोगों की सेवा करना। इसका अर्थ है दरिद्रता का, अज्ञान और बीमारियों का, अवसर की असमानता का अन्त। हमारे युग के महानतम आदमी की कामना हर आँख से आँसू पोंछने की है। संभव है..
संभव है यह काम हमारे अकेले से पूरा न हो पर जब तक लोगों की आँखों में आँसू हैं, कष्ट है तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।
(ख) भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू ने अपने भाषण में कहा था कि ऐसे पवित्र क्षण में (जब भारत स्वतन्त्र हो रही है। हम अपने आपको, भारत और उसके लोगों तथा उससे भी अधिक मानवता की सेवा में । समर्पित करें, यही हमारे लिए उचित है।
(ग) जवाहरलाल नेहरू संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि हम अपने आपको भारत और उसके लोगों तथा मानवता की सेवा के लिए समर्पित करें।
(घ) वे इस कथन में महात्मा गाँधी का जिक्र कर रहे थे।
Question - 6 : - हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।
Answer - 6 : -
(क) संप्रभु– फैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ख) गणतंत्र– शासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग) बंधुत्व- लोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(घ) धर्मनिरपेक्ष- सरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।
Question - 7 : - कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।
Answer - 7 : -
प्रिय मित्र ।
नेपाल की राजनीतिक स्थिति के सम्बन्ध में आपने मुझे जो पत्र लिखा था, उसके सम्बन्ध में मेरा विचार यह है कि लोगों को एक नई संविधान सभा की स्थापना की माँग करनी चाहिए जो नेपाल के लिए गणतंत्रीय संविधान का निर्माण करें और वहाँ पर राजतंत्रीय शासन व्यवस्था को समाप्त कर दें। सन् 2005 में नेपाल • के सम्राट ने जनता द्वारा निर्वाचित सरकार को बर्खास्त कर दिया था और लोगों से समस्त अधिकार एवं स्वतंत्रताएँ छीन ली थीं, जो उन्हें एक दशक पहले प्राप्त हुए थे।
[नोट : वर्तमान में नेपाल में राजतन्त्र पूरी तरह समाप्त हो गया है। नेपाल अब एक लोकतांत्रिक गणतन्त्र । है, जिसका एक स्वतन्त्र संविधान है। देश में लोगों को सारे लोकतांत्रिक मानवाधिकार प्राप्त हैं।
Question - 8 : - भारत के लोकतन्त्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्त्वपूर्ण कारण मानते हैं?
(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतन्त्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतन्त्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतन्त्र में थी। अनेक नव स्वतन्त्र राष्ट्रों में लोकतन्त्र का न आना हमारे नेताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
Answer - 8 : -
(क) भारत में प्रतिनिधि संस्थाओं की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल की ही देन है। केन्द्र और अब प्रांतों में द्विसदनीय विधानमण्डल की स्थापना की थी। धीरे-धीरे अधिक लोगों को मतदान का अधिकार भी दिया गया। भारतीय नेताओं को इन संस्थाओं से प्रशिक्षण प्राप्त हुआ।
(ख) भारतीय नेताओं ने स्वतन्त्रता संग्राम में अनेक आन्दोलन चलाए और राजनीतिक स्वतन्त्रताओं की माँग की,
अत्याचारी व शोषणकारी कानूनों का विरोध किया। अतः भारत के लिए लोकतन्त्र की स्थापना करनी ही थी।
(ग) भारत में लोकतन्त्र की स्थापना में निःसन्देह भारतीय नेताओं ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। सन् 1928 में ही मोतीलाल नेहरू तथा कई अन्य नेताओं ने भारत के लिए एक संविधान का मसौदा तैयार किया था। सन् 1931 में कांग्रेस के कराची में हुए अधिवेशन में भी इस बात पर विचार किया गया था कि स्वतन्त्र भारत का नया संविधान कैसा होगा। यह दोनों दस्तावेजों में वयस्क मताधिकार, स्वतंत्रता तथा समानता के अधिकारों के प्रति वचनबद्धता जाहिर की गई थी। भावी संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को सुरक्षित करने की भी बाते की गई थी।
Question - 9 : - 1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें
“ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है-कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।”
क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?
Answer - 9 : -
उपरोक्त पंक्तियों में दिए गए सामाजिक मूल्य हमारे संविधान में निहित दर्शन एवं मूल्यों से मेल नहीं खाते हैं। भारत को संविधान समानता, स्वतन्त्रता एवं बंधुत्व की भावना पर जोर देता है। संविधान का प्रथम मौलिक अधिकार समानता का अधिकार है। पुरुषों एवं महिलाओं को समान अधिकार दिए गए हैं। महिलाओं को वोट डालने और चुनाव लड़ने का अधिकार उसी तरह प्राप्त है, जिस प्रकार पुरुषों को। स्त्रियाँ पुरुषों के अधीन नहीं हैं। भारत की राजनीति, समाज, | संस्कृति, उद्योग-धन्धे, पुलिस, सेना आदि सभी क्षेत्रों में महिलाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। देश की प्रथम महिला
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की ख्याति एक सशक्त प्रधानमंत्री के रूप में है।
Question - 10 : - निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।
(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करती है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।
Answer - 10 : -
(क) यह कथन सत्य ठीक नहीं है, एक साधारण कानून संसद द्वारा पास किया जाता है और संसद जब चाहे उसमें अपनी इच्छानुसार परिवर्तन कर सकती है। इसके विपरीत संविधान के नियमों का महत्त्व अधिक होता है जिन्हें संसद को भी मानना पड़ता है। इन नियमों में परिवर्तन करने के लिए एक विशेष प्रक्रिया को अपनाना पड़ता है।
(ख) यह कथन सत्य है। संविधान में उन नियमों का वर्णन किया गया है जिनके अनुसार, संसद, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की स्थापना की जाएगी। संविधान में राष्ट्रपति के चुनाव की विधि, अवधि व शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति व शक्तियों को वर्णन संविधान में किया गया है। संसद की रचना व शक्तियों का वर्णन संविधान में किया गया है।
(ग) यह कथन सत्य है। संविधान के तीसरे भाग में 6 मौलिक अधिकारों का वर्णन किया गया है। सरकार मौलिक अधिकारों के विरुद्ध कानून नहीं बना सकती है और यदि बनाती है तो सर्वोच्च न्यायालय उसे रद्द
कर सकता है।
(घ) यह कथन गलत है। संविधान में केवल संस्थाओं का ही वर्णन नहीं किया जाता है बल्कि मूल्यों पर भी जोर दिया जाता है। भारत के संविधान की प्रस्तावना में संविधान के दर्शन व मूल्यों का वर्णन किया गया है। प्रस्तावना में भारत को प्रभुत्व-सम्पन्न, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया है। प्रस्तावना में न्याय, स्वतन्त्रता, समानता, बंधुता, व्यक्ति के गौरव, राष्ट्र की एकता तथा अखण्डता आदि मूल्यों पर जोर दिया गया है।