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Chapter 15 नए इलाके में खुशबू रचते हैं हाथ Solutions

Question - 1 : - नए बसते इलाके में कवि रास्ता क्यों भूल जाता है?

Answer - 1 : -

नए इलाके में कवि इसलिए रास्ता भूल जाता है, क्योंकि-

  1. यहाँ रोज़ नए मकान बनते रहते हैं।
  2. पुराने मकान ढहाकर नए मकान बनाए जाते हैं।
  3. नए मकान बनाने के लिए पुराने पेड़ काटने से निशानी नष्ट हो जाती है।
  4. खाली जमीन पर कोई नया मकान बन जाता है।

Question - 2 : - कविता में कौन-कौन से पुराने निशानों का उल्लेख किया गया है?

Answer - 2 : -

कविता में निम्नलिखित पुराने निशानों का उल्लेख हुआ है-

  1. पीपल का पेड़
  2. ढहा घर या खंडहर
  3. जमीन का खाली टुकड़ा
  4. बिना रंग वाले लोहे के फाटक वाला इकमंजिला मकान

Question - 3 : - कवि एक घर पीछे या दो घर आगे क्यों चल देता है? 

Answer - 3 : - कवि एक घर आगे या दो घर पीछे इसलिए चल देता है, क्योंकि नए बस रहे उस इलाके में एक ही दिन में काफ़ी बदलाव आ जाता है। वह अपने घर को पहचान नहीं पाता है कि वह सवेरे किस घर से गया था।

Question - 4 : - “वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से क्या अभिप्राय है?

Answer - 4 : -   ‘वसंत का गया पतझड़’ और ‘बैसाख का गया भादों को लौटा’ से यह अभिप्राय है कि वहाँ एक ही दिन में इतना कुछ नया बन गया है, जितना बनने में पहले नौ-दस महीने या साल भर लगते थे। सुबह का निकला कवि जब शाम को वापस आता है तो एक ही दिन में नौ-दस महीने के बराबर का बदलाव दिखाई देता है।

Question - 5 : - कवि ने इस कविता में समय की कमी की ओर क्यों इशारा किया है? 

Answer - 5 : - कवि ने कविता में समय की कमी की ओर इसलिए संकेत किया है क्योंकि तेज़ी से आ रहे बदलाव के कारण मनुष्य की व्यस्तता भी बढ़ती जा रही है। इससे उसके पास समय की कमी होती जा रही है।

Question - 6 : - इस कविता में कवि ने शहरों की किस विडंबना की ओर संकेत किया है?

Answer - 6 : - इस कविता में कवि ने शहरों की उस विडंबना की ओर संकेत किया है, जिसमें शहरों में हो रहे बदलाव, खाली जमीनों में टूटे मकानों की जगह इतने नित नए मकान बनते जा रहे हैं कि सुबह घर से निकले आदमी को शाम के समय अपना मकान खोजना पड़ता है, फिर भी उसे अपना मकान नहीं मिल पाता है।

Question - 7 : -
व्याख्या कीजिए-
यहाँ स्मृति का भरोसा नहीं
एक ही दिन में पुरानी पड़ जाती है दुनिया

Answer - 7 : -

नगरों में बसने वाली नई बस्तियाँ इस तरह तेजी से बढ़ती चली जा रही हैं कि आदमी को अपना घर तक ढूँढना कठिन हो गया है। वह कुछ ही दिन बाद अपनी बस्ती में लौटकर आए तो रास्ते तक भूल जाता है। उसकी पुरानी निशानियाँ देखते ही देखते नष्ट हो जाती हैं। इसलिए उसकी पुरानी स्मृतियाँ और निशानियाँ किसी काम नहीं आतीं। दुनिया इतनी तेजी से बदल-बन रही है कि जो निर्माण एक दिन पहले किया जाता है, दूसरे दिन तक पुराना पड़ चुका होता है। उसके बाद नए-नए निर्माण और खड़े हो जाते हैं।

Question - 8 : -
पाठ में हिंदी महीनों के कुछ नाम आए हैं। आप सभी हिंदी महीनों के नाम क्रम से लिखिए।

Answer - 8 : -

हिंदी महीनों के नाम-

  1. चैत्र,
  2. बैसाख,
  3. ज्येष्ठ,
  4. आषाढ़,
  5. श्रावण,
  6. भाद्रपक्ष,
  7. आश्विन,
  8. कार्तिक,
  9. मार्गशीर्ष,
  10. पौष,
  11. माघ,
  12. फाल्गुन

Question - 9 : -
“खुशबू रचनेवाले हाथ’ कैसी परिस्थितियों में तथा कहाँ-कहाँ रहते हैं?

Answer - 9 : - खुशबू रचनेवाले हाथ अत्यंत कठोर परिस्थितियों में गंदी बस्तियों में, गलियों में, कूड़े के ढेर के इर्द-गिर्द तथा नाले के किनारे रहते हैं। वे अस्वच्छ एवं प्रदूषित वातावरण में जीवन बिताते हैं। वे इस दुर्गंधमय वातावरण में रहने को विवश हैं। वे सामाजिक और आर्थिक विषमता के शिकार हैं। दूसरों को खुशबू देने का काम करने । वाले इस प्रकार बदहाली का जीवन बिताते हैं।

Question - 10 : - कविता में कितने तरह के हाथों की चर्चा हुई है?

Answer - 10 : -

कविता में निम्नलिखित तरह के हाथों की चर्चा हुई है-

  1. उभरी नसोंवाले अर्थात् वृद्ध हाथ।
  2. घिसे नाखूनोंवाले हाथ श्रमिक वर्ग को प्रतीक है।
  3. पीपल के पत्ते जैसे नए-नए हाथ अर्थात् छोटे बच्चों के कोमल हाथ।
  4. जूही की डाल जैसे खुशबूदार हाथ अर्थात् नवयुवतियों के सुंदर हाथ।
  5. गंदे कटे-पिटे हाथ।
  6. जखम से फटे हुए हाथ।

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