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Chapter 11 p ब्लॉक के तत्त्व (The p block Elements) Solutions

Question - 1 : - (क) B से TT तक तथा 
(ख) C से Ph तक की ऑक्सीकरण अवस्थाओं की भिन्नता के क्रम की व्याख्या कीजिए।

Answer - 1 : -

() B से TI तक (बोरॉन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from Bto TI (Boron family)] बोरॉन परिवार (वर्ग 13) के तत्वों का विन्यास ns’p’ होता है। इसका तात्पर्य यह है कि बन्ध निर्माण के लिए तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन उपलब्ध हैं। इन इलेक्ट्रॉनों का त्याग करके ये परमाणु अपने यौगिकों में +3
ऑक्सीकरण अंवस्था प्रदर्शित करते हैं। यद्यपि इन तत्वों की ऑक्सीकरण अवस्था में निम्नलिखित प्रवृत्ति प्रेक्षित होती है-

  1. प्रथम दो तत्व बोरॉन तथा ऐलुमिनियम यौगिकों में केवल +3 ऑक्सीकरण अवस्था प्रदर्शित करते हैं, परन्तु शेष तत्व-गैलियम, इण्डियम तथा थैलियम +3 ऑक्सीकरण अवस्था के साथ-साथ +1 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करते हैं अर्थात् ये परिवर्ती ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करते हैं।
  2. +3 ऑक्सीकरण अवस्था को स्थायित्व ऐलुमिनियम से आगे जाने पर घटता है तथा अन्तिम तत्व थैलियम की स्थिति में, +1 ऑक्सीकरण अवस्था, +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थायी होती है। इसका अर्थ यह है कि TICI, TIC1 से अधिक स्थायी होता है।

() c से Pb तक (कार्बन परिवार) ऑक्सीकरण अवस्था [Oxidation state from Cto Pb (Carbon family)] कार्बन परिवार (समूह 14) के तत्वों का विन्यास nsp होता है। स्पष्ट है कि इन तत्वों के परमाणुओं के बाह्यतम कोश में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इन तत्वों द्वारा सामान्यत: +4 तथा +2 ऑक्सीकरण अवस्था दर्शाई जाती है। कार्बन ऋणात्मक ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित करता है। चूंकि प्रथम चार आयनन एन्थैल्पी का योग अति उच्च होता है; अतः +4 ऑक्सीकरण अवस्था में अधिकतर यौगिक सहसंयोजक प्रकृति के होते हैं। इस समूह के गुरुतर तत्वों में Ge< Sn

  1. SnCl4 तथा PbCl4 की तुलना में SnCl2 तथा PbCl2 अधिक सरलता से बनते हैं।
  2. PbCl2, SnCl2 से अधिक स्थायी होता है चूंकि इसमें अक्रिय युग्म प्रभाव की परिमाण अधिक होता है।

चतु:संयोजी अवस्था में अणु के केन्द्रीय परमाणु पर आठ इलेक्ट्रॉन होते हैं। इलेक्ट्रॉन परिपूर्ण अणु होने के कारण सामान्यतया इलेक्ट्रॉनग्राही या इलेक्ट्रॉनदाता स्पीशीज की अपेक्षा इनसे नहीं की जाती है। यद्यपि कार्बन अपनी सहसंयोजकता +4 का अतिक्रमण नहीं कर सकता है, परन्तु समूह के अन्य तत्व ऐसा करते हैं। यह उन तत्वों में 4-कक्षकों की उपस्थिति के कारण होता है। यही कारण है कि ऐसे तत्वों के हैलाइड जल-अपघटन के उपरान्त दाता स्पीशीज (donor species) से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके संकुल बनाते हैं। उदाहरणार्थ-कुछ स्पीशीज; जैसे—(SiF6)2-, (GeCl6)2- तथा Sn(OH)22-ऐसी होती हैं, जिनके केन्द्रीय परमाणु sp3d2 संकरित होते हैं।

Question - 2 : - TiCl3 की तुलना में BCl3 के उच्च स्थायित्व को आप कैसे समझाएँगे?

Answer - 2 : -

उत्तेजित अवस्था में बोरॉन की संयोजक कोश (valence shell) में तीन इलेक्ट्रॉन होते हैं जो तीन Cl परमाणु से सहसंयोजक आबन्ध द्वारा जुड़कर BCl3 अणु का निर्माण करते हैं। BCl3 में बोरोन +3 ऑक्सीकरण अवस्था और sp संकरित अवस्था में पाया जाता है। pπ-pπ back bonding BCl3 अणु को आंशिक रूप से स्थायी बनाती है। दूसरी ओर अक्रिय युग्म प्रभाव के कारण Tl के 6sइलेक्ट्रॉन युग्म बन्ध बनाने में रूचि नहीं रखते। इस कारण Tl की +1 ऑक्सीकरण अवस्था +3 ऑक्सीकरण अवस्था से अधिक स्थाई है। इसलिए +3 ऑक्सीकरण अवस्था में निर्मित TlC3, अधिक स्थाई नहीं होता। इस कारण BCl3 TlCl3 से अधिक स्थाई होता है।

Question - 3 : - बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड लूइस अम्ल के समान व्यवहार क्यों प्रदर्शित करता है?

Answer - 3 : -

बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड BF3 अणु में F परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों से साझा करके केन्द्रीय बोरॉन परमाणु के चारों ओर इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 (तीन युग्म) होती है। अत: यह एक इलेक्ट्रॉन-न्यून अणु है तथा यह स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके लूइस अम्ल के समान व्यवहार प्रदर्शित करता है।
उदाहरणार्थ-बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड सरलतापूर्वक अमोनिया से एक एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करके BF3.NH3 उपसहसंयोजक यौगिक बनाता है।

Question - 4 : - BCl3 तथाCCl4, यौगिकों का उदाहरण देते हुए जल के प्रति इनके व्यवहार के औचित्य को समझाइए।

Answer - 4 : -

BCl3 के केन्द्रीय परमाणु B के संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून अणु है और H2O द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को ग्रहण कर लेता है। अतः जब BCl3 को जल में घोला जाता है तो यह जल-अपघटित (hydrolysis) होकर बोरिक अम्ल और HCI देता है।

BCl3 +3H2O → H3BO3 + 3HCl

CCl4 में C का अष्टक पूर्ण होता है और यह इलेक्ट्रॉन युग्म त्यागने अथवा ग्रहण करने की प्रवृत्ति नहीं रखता है। अतः यह जल से कोई क्रिया नहीं करता है।

Question - 5 : - क्या बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल है? समझाइए।

Answer - 5 : -

नहीं, बोरिक अम्ल प्रोटोनी अम्ल नहीं है, क्योंकि यह जल में आयनित होकर H+ तथा OH नहीं देता है। B के छोटे आकार और उसके संयोजक कोश में 6 इलेक्ट्रॉन उपस्थित होने के कारण H3BO3 एक लूइस अम्ल (Lewis acid) की तरह व्यवहार करता है। जब यह जल में मिलाया जाता है। तो यह H2O के O परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन युग्म प्राप्त करके [B(OH)24] का निर्माण करता है।

इस अभिक्रिया में एक H+ के उद्गम के कारण यह एक दुर्बल मोनोबेसिक अम्ल की भाँति व्यवहार करता है।

Question - 6 : - क्या होता है, जब बोरिक अम्ल को गर्म किया जाता है?

Answer - 6 : -

370 K से अधिक ताप पर गर्म किए जाने पर बोरिक अम्ल (ऑर्थोबोरिक अम्ल) मेटाबोरिक अम्ल (HBO2) बनाता है, जो और अधिक गर्म करने पर बोरिक ऑक्साइड (B2O3) में परिवर्तित हो जाता है।

Question - 7 : - BF3 तथा BH4 की आकृति की व्याख्या कीजिए। इन स्पीशीज में बोरॉन के संकरण को निर्दिष्ट कीजिए।

Answer - 7 : - बोरॉन ट्राइफ्लुओराइड (Boron trifluoride, BFs)—इसमें केन्द्रीय परमाणु बोरॉन है। जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2, 2s2 2p1 है। तलस्थ अवस्था में इसमें केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन है जिसके आधार पर केवल एक सहसंयोजक बन्ध ही बन सकता है। अतः BF3 अणु बनने में यह अवश्य ही उत्तेजित अवस्था में होगा जिस स्थिति में एक s-इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में उन्नत हो
जाएगा-

उत्तेजित बोरॉन में तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं जिससे यह तीन सहसंयोजक बन्ध बना सकता है। तीन फ्लुओरीन BF3 में युग्मन के लिए तीन इलेक्ट्रॉन प्रदान करते हैं।

इसमें एक बन्ध -इलेक्ट्रॉन के माध्यम से है तथा अन्य दो बन्ध दो p-इलेक्ट्रॉनों के माध्यम से हैं। अतः तीनों बन्ध समान नहीं होने चाहिए। s तथा px  py कक्षकों की ऊर्जा का संचय होकर तीनों कक्षकों में बराबर राशि में वितरित हो जाता है। इस प्रकार तीन sp- संकर कक्षकों का उद्भव होता है। इन कक्षकों के बीच 120° का, कोण होता है जिससे इलेक्ट्रॉन युग्मों में पारस्परिक प्रतिकर्षण न्यूनतम रहता है।

ये sp2संकर कक्षक F परमाणुओं के कक्षकों के साथ अतिव्यापन करके बन्ध बनाते हैं। इस प्रकार BF3 में बन्ध कोण 120° होता है तथा अणु त्रिकोणीय समतल होता है।

बोरॉन टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन (BH4)-वर्ग 13 के तत्व MH; प्रकार के हाइड्राइड बनाते हैं। ये हाइड्राइड दुर्बल लूइस अम्ल होते हैं तथा प्रबल लूइस क्षारकों (:B) के साथ MH3 : Bप्रकार के योग उत्पाद बनाते हैं (M = B, Al, Ga) इन हाइड्राइडों का निर्माण इनके बाह्यतम कोश में उपस्थित रिक्त p-कक्षकों के कारण होता है जो हाइड्राइड आयन (H) से तुरन्त इलेक्ट्रॉन युग्म लेकर टेट्रा हाइड्राइडो ऋणायन बनाते हैं। BH4 की संरचना संकरण के प्रकार के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। संकरण का प्रकार निम्नलिखित सूत्र से ज्ञात किया जा सकता है

H= [V + M –C + A]

जहाँ H= संकरण में सम्मिलित कक्षकों की संख्या, V= केन्द्रीय परमाणु के संयोजी कोश में इलेक्ट्रॉनों की संख्या, M= एकल संयोजी परमाणुओं की संख्याए,C= धनायन पर आवेश, A = ऋणायन पर आवेश इस प्रकार

H= [3+4-0+1]=4

चूँकि संकरण में भाग लेने वाले कक्षकों की संख्या 4 है; अत: यह sp3 संकरण है। sp3 संकरण में एक -कक्षक तथा तीन p-कक्षकों के सम्मिश्रण से चार समतुल्य संकर कक्षक बनते हैं। इन चारों कक्षकों में अल्पतम प्रतिकर्षण होने के लिए वे एक समचतुष्फलक के चारों कोनों की ओर दिष्ट होते हैं। तथा परस्पर 109°28′ का कोण बनाते हैं। अत: BH4 की आकृति निम्नवत् होगी-

Question - 8 : - ऐलुमिनियम के उभयधर्मी व्यवहार दर्शाने वाली अभिक्रियाएँ दीजिए।

Answer - 8 : -

ऐलुमिनियम अम्लों तथा क्षारों दोनों से क्रिया कर उभयधर्मी व्यवहार दर्शाता है।
उदाहरणार्थ-

Question - 9 : - इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक क्या होते हैं? क्या BCl3 तथा SiCl4 इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक हैं? समझाइए।

Answer - 9 : -

जिन स्पीशीज में केन्द्रीय परमाणु का अष्टक पूर्ण नहीं होता (अर्थात् संयोजक कोश में आठ इलेक्ट्रॉन नहीं होते), वे इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक कहलाते हैं।
BCl3 
के केन्द्रीय परमाणु में मात्र 6 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक है। SiCl4 में केन्द्रीय परमाणु Si (silicon) के पास 8 इलेक्ट्रॉन हैं। इसलिए उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार यह इलेक्ट्रॉन न्यून यौगिक नहीं है।

Question - 10 : - CO2-3 तथा HCO3 की अनुनादी संरचनाएँ लिखिए।

Answer - 10 : -

CO3 आयन की अनुनाद संरचनाएँ-

HCO3 की अनुनाद संरचनाएँ-

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