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Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है (How do Organisms Reproduce) Solutions

Question - 1 : -
डी०एन०ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्त्व है?

Answer - 1 : -

DNA के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है, जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। यह पीढ़ी-दर-पीढी अभिलक्षण हस्तान्तरित करने में सहायता करता है। साथ ही DNA प्रतिकृति में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं, जो लंबे | समय तक किसी स्पीशीज़ (species) के उत्तरजीविता के लिए आवश्यक होता है।।

Question - 2 : -
जीवों में विभिन्नता स्पीशीज़ के लिए तो आवश्यक है, परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?

Answer - 2 : -

विभिन्नताएँ स्पीशीज़ की उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी होता है, क्योंकि यदि किसी समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी, तभी अचानक कुछ उग्र परिवर्तन आने पर जीवित रह पाएँगे अन्यथा समष्टि का समूल विनाश संभव है; जैसेवैश्विक उष्मीकरण (Global warming) के कारण शीतोष्ण जल के जीवाणुओं की समष्टि में से अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जाएँगे, परंतु उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्तन जीवित रहेंगे।

Question - 3 : -
द्विखंडन बहुखंडन से किस प्रकार भिन्न है?

Answer - 3 : -

Question - 4 : -
बीजाणु द्वारा जनन से जीव किस प्रकार लाभान्वित होता है?

Answer - 4 : -

बीजाणु के चारों ओर एक मोटी भित्ति होती है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में उसकी रक्षा करती है, नम सतह के संपर्क में आने पर वह वृद्धि करने लगता है। ये हल्के तथा गोल होते हैं, जिसके कारण आसानी से वातावरण में फैल जाते हैं।

Question - 5 : -
क्या आप कुछ कारण सोच सकते हैं, जिससे पता चलती हो कि जटिल संरचना वाले जीव पुनरुद्भवन द्वारा नयी संतति उत्पन्न नहीं कर सकते?

Answer - 5 : -

जटिल संरचना वाले जीवों में विशिष्ट कार्य करने के लिए एक खास अंग एवं अंगतंत्र होते हैं, इसलिए ऐसे जीवों के किसी भाग को काट कर नया जीव उत्पन्न नहीं किया जा सकता है। पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा संपादित होती है। इन कोशिकाओं के क्रमप्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। इस प्रकार का जनन केवल उन्हीं जीवों में संभव है जिनमें विशिष्ट कार्य के लिए अंग नहीं पाए जाते हैं।

Question - 6 : -
कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?

Answer - 6 : -

कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन के उपयोग निम्नलिखित कारणों से किए जाते हैं

  1. कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में बीज द्वारा उगाए गए पौधों की अपेक्षा पुष्प एवं फल कम समय में लगते हैं।
  2. यह पद्धति उन पौधों के उगाने के लिए उपयुक्त है, जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं; जैसे- गुलाब, चमेली, संतरा एवं केला।
  3. कायिक प्रवर्धन द्वारा उत्पन्न सभी पौधे आनुवंशिक रूप से जनक पौधे के समान होते हैं।

Question - 7 : -
डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए आवश्यक क्यों है?

Answer - 7 : -

डी०एन०ए० की प्रतिकृति बनाना जनक के लिए इसलिए आवश्यक है, क्योंकि इससे संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक दूसरे से भिन्न होती हैं। यही विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं। इस प्रक्रिया में जनन कोशिका में डी०एन०ए० की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं और इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है तथा इसके बाद डी०एन०ए० की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं।

Question - 8 : -
परागण क्रिया निषेचन से किस प्रकार भिन्न है?

Answer - 8 : -

Question - 9 : -
शुक्राशय एवं प्रोस्टेट ग्रंथि की क्या भूमिका है?

Answer - 9 : -

प्रोस्ट्रेट तथा शुक्राणु अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं, जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानांतरण सरलता से होता है, साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है।

Question - 10 : -
यौवनारंभ के समय लड़कियों में कौन-से परिवर्तन दिखाई देते हैं?

Answer - 10 : -

यौवनारंभ के समय लड़कियों में निम्नलिखित मुख्य परिवर्तन दिखाई देते हैं|

  1. वक्ष के भाग में स्तनों का विकास।
  2. रजोधर्म या ऋतुस्राव का प्रारंभ।
  3. आवाज़ पतली हो जाती है।
  4. गुप्तांगों पर बाल उत्पन्न होने लगते हैं।

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