Chapter 2 प्रवास प्रकार कारण और परिणाम Solutions
Question - 1 : - नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए :
(i) निम्नलिखित में से कौन-सा भारत में पुरुष प्रवास का मुख्य कारण है
(क) विवाह
(ख) व्यवसाय
(ग) काम और रोजगार
(घ) विवाह।
(ii) निम्नलिखित में से किस राज्य में सर्वाधिक संख्या में आप्रवासी आते हैं
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) दिल्ली
(ग) महाराष्ट्र
(घ) बिहार।
(iii) भारत में प्रवास की निम्नलिखित धाराओं में से कौन-सी एक धारा पुरुष प्रधान है
(क) ग्रामीण से ग्रामीण
(ख) नगरीय से ग्रामीण
(ग) ग्रामीण से नगरीय
(घ) नगरीय से नगरीय।
(iv) निम्नलिखित में से किस नगरीय समूहन में प्रवासी जनसंख्या का अंश सर्वाधिक है—
(क) मुम्बई नगरीय समूहन
(ख) दिल्ली नगरीय समूहन
(ग) बंगलुरु नगरीय समूहन
(घ) चेन्नई नगरीय समूहन।
Answer - 1 : -
(i) (ग) काम और रोजगार।
(ii) (ग) महाराष्ट्र।
(iii) (ग) ग्रामीण से नगरीय।
(iv) (क) मुम्बई नगरीय समूहन।
Question - 2 : - जीवनपर्यन्त प्रवासी और पिछले निवास के अनुसार प्रवासी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
Answer - 2 : -
जीवनपर्यन्त प्रवास – यह वह प्रवास होता है जो जन्म के स्थान, यदि जन्म का स्थान गणना के स्थान से भिन्न है। इसे ‘जीवनपर्यन्त प्रवास’ के नाम से जाना जाता है।
पिछले स्थान प्रवास – इसमें निवास का स्थान पिछले निवास से भिन्न होता है। इसे निवास के पिछले स्थान के प्रवासी के रूप में जाना जाता है।
Question - 3 : - पुरुष/स्त्री चयनात्मक प्रवास के मुख्य कारण की पहचान कीजिए।
Answer - 3 : -
पुरुष बड़ी संख्या में ग्रामीण इलाकों से नगरों की तरफ रोजगार की तलाश में प्रवास करते हैं। स्त्रियाँ विवाह के कारण प्रवास करती हैं। भारत में प्रत्येक लड़की को विवाह के बाद अपने मायके के घर से ससुराल के घर तक प्रवास करना होता है।
Question - 4 : - उद्गम और गन्तव्य स्थान की आयु एवं लिंग संरचना पर ग्रामीण-नगरीय प्रवास का क्या प्रभाव पड़ता है?
Answer - 4 : -
बड़ी संख्या में युवक रोजगार की तलाश में ग्रामीण इलाकों से नगरों की ओर प्रवास करते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में युवकों की संख्या में कमी हो जाती है और नगरों में उनकी संख्या में वृद्धि हो जाती है। गाँवों में वृद्ध, बच्चे और स्त्रियाँ रह जाती हैं, अत: ग्रामीण-नगरीय प्रवास से उद्गम तथा गन्तव्य दोनों ही स्थानों की आयु एवं लिंग संरचना पर प्रभाव पड़ता है।
Question - 5 : - भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारणों की विवेचना कीजिए।
Answer - 5 : -
अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास – जब किसी देश-विशेष का निवासी किन्हीं विशेष कारणों से अन्य देश में प्रवासित हो जाता है तो उसे ‘अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास’ कहते हैं।
भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक कारण – भारत में संसाधनों का भण्डार है। यहाँ प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास में इन संसाधनों की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। भारत में प्रवासी इन्हीं आर्थिक कारणों की वजह से अधिक आते हैं। वर्तमान में अनेक विदेशी कम्पनियाँ भारत में इसी आकर्षण के कारण स्थापित हुई हैं, क्योंकि उन्हें यहाँ अपने उत्पादों के लिए कच्चा माल, सस्ता श्रम और व्यापक बाजार आदि सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
2. राजनीतिक कारण – भारत में राजनीतिक कारणों या सरकारी नीतियों के लचीलेपन के कारण भी विदेशी प्रवास करते हैं। सीमावर्ती देशों से होने वाला प्रवास इसका उदाहरण है।
3. धार्मिक और सामाजिक कारण – भारत सर्वधर्म समभाव, वसुधैव कुटुम्बकम् सिद्धान्त एवं आदि संस्कृतियों वाला देश है। यहाँ सभी धर्मों को सम्मान दिया जाता है। यहाँ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सम्पन्नता आदि से प्रभावित होकर और समाज में सहायता से समन्वय के कारण प्रवासी आकर्षित होते हैं जिसके कारण भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास होता है।
इस तरह भारत में अन्तर्राष्ट्रीय प्रवास के प्रमुख कारण आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक हैं. किन्तु वर्तमान समय में अनेक अन्य कारणों; जैसे-तकनीकी सुविधाओं, उच्च प्रतिभा तथा उच्च शिक्षा आदि से भी भारत के लोग खाड़ी देशों एवं यू०एस०ए० और यूरोपीय देशों को प्रवास करते हैं।
Question - 6 : - प्रवास के सामाजिक जनांकिकीय परिणाम क्या-क्या हैं?
Answer - 6 : -
प्रवास के सामाजिक परिणाम
- नवीन प्रौद्योगिकी, परिवार कल्याण, बालिका शिक्षा आदि नए विचारों का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार होता है।
- विविध संस्कृतियों का अन्त:मिश्रण होता है।
- प्रवास लोगों को अपराध और औषध दुरुपयोग जैसी असामाजिक क्रियाओं में फँसा देता है।
प्रवास के जनांकिकीय परिणाम
- प्रवास से आयु लिंगानुपात में असन्तुलन उत्पन्न होता है।
- नगरों में लिंगानुपात घट जाता है तथा युवा वर्ग श्रमिकों का अनुपात बढ़ जाता है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात बढ़ जाता है तथा कुशल युवा श्रमिकों का अनुपात घट जाता है।