Chapter 17 साँस साँस में बाँस Solutions
Question - 1 : - बाँस को बूढ़ा कब कहा जा सकता है। बँढे बाँस में कौन सी विशेषता होती है जो युवा बाँस में नहीं पाई जाती?
Answer - 1 : -
तीन वर्ष तक की ऊपर की आयु वाले बाँस को बूढ़ा बाँस कहा जा सकता है। बूढ़े बाँस की विशेषता यह है कि वह बहुत सख्त होता है और जल्दी टूट जाता है। जबकि युवा बॉस मुलायम होती है। उसे सामान बनाने के लिए किसी भी तरह मोड़ा जा सकता है।
Question - 2 : - बाँस से बनाई जाने वाली चीज़ों में सबसे आश्चर्यजनक चीज़ तुम्हें कौन सी लगी और क्यों?
Answer - 2 : -
बॉस से बनाई जाने वाली चीज़ों में सबसे आश्चर्यजनक मुझे मछली पकड़ने वाला जाल ‘जकाई’ लगा। इसकी बुनावट अत्यंत कठिन लगती है और इसमें मछलियाँ जिस तरह हँसाई जाती हैं, वह भी बहुत आश्चर्यजनक है।
Question - 3 : - बॉस की बुनाई मानव के इतिहास में कब आरंभ हुई होगी?
Answer - 3 : -
बॉस की बुनाई मानव इतिहास में तब प्रारंभ हुई होगी, जब मनुष्य घूम-घूम कर भोजन एकत्र किया करता था। भोजन एकत्र करने के लिए किसी डलियानुमा वस्तु की जरूरत महसूस होने पर उसने बाँस की बुनाई शुरू की होगी और बाद में धीरे-धीरे इससे और भी कलात्मक चीजें बनाना शुरू किया होगा।
Question - 4 : - बाँस के विभिन्न उपयोगों से संबंधित जानकारी देश के किस भू-भाग के संदर्भ में दी गई है? एटलस में देखो।
Answer - 4 : -
बाँस भारत के कई हिस्सों में बहुतायत में होता है विशेषतः उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के सात राज्यों में। इन राज्यों के नाम हैं-अरुणांचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा।
Question - 5 : - बाँस के कई उपयोग इस पाठ में बताए गए हैं, लेकिन बाँस के उपयोग का दायरा बहुत बड़ा है। नीचे दिए गए शब्दों की मदद से तुम इस दायरे को पहचान सकते हो
- संगीत
- प्रकाशन
- एक नया संदर्भ
- मच्छर
- फर्नीचर
Answer - 5 : -
- संगीत – संगीत के लिए विभिन्न आकार-प्रकार की बाँसुरियाँ बनाई जाती हैं।
- मच्छर – मच्छरदानी लगाने के लिए बाँस की छड़ी बनाई जाती है।
- प्रकाशन – प्रकाशन के लिए बाँस से कागज बनाया जाता है।
- फर्नीचर – घर को सजाने के लिए बाँस का फर्नीचर बनाया जाता है।
- एक नया संदर्भ – बॉस से बरतन, औजार, टोकरी, मकान, टोपी, अचार इत्यादि बनाए जाते हैं।
Question - 6 : - इस लेख में दैनिक उपयोग की चीजें बनाने के लिए बाँस का उल्लेख प्राकृतिक संसाधन के रूप में हुआ है। नीचे दिए गए प्राकृतिक संसाधनों से दैनिक उपयोग की कौन-कौन सी चीजें बनाई जाती हैं
प्राकृतिक संसाधन दैनिक उपयोग की वस्तुएँ
• चमड़ा
• घास के तिनके
• पेड़ के छाल
• गोबर
• मिट्टी
इनमें से किन्हीं दो या दो प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए कोई एक चीज़ बनाने का तरीका अपने शब्दों में लिखो।
Answer - 6 : -
चमड़ा – जूता, बैग, पर्स, बेल्ट, जैकेट, बहुमूल्य वस्तुओं की कवर आदि।
घास के तिनके – चटाई, खिलौना, टोकरी इत्यादि।
गोबर – उपले, घर की लिपाई-पुताई, खाद, इत्यादि।
पेड़ की छाल – कागज, अगरबत्ती, वस्त्र इत्यादि।
मिट्टी – बरतन, मकान, खिलौना, गुल्लक, इत्यादि।
Question - 7 : - जिन जगहों की साँस में बाँस बसा है, अखबार और टेलीविजन के ज़रिये उन जगहों की कैसी तसवीर तुम्हारे मन में बनती है?
Answer - 7 : -
साँस में बाँस बसे होने का अर्थ है बॉस पर ही जीवन निर्भर होना। इस बात को समझने के लिए हमें उन जगहों की यात्रा करनी होगी जहाँ बाँस का उद्योग फल-फूल रहा है। उनके इलाकों में हर तरफ बॉस के झुरमुट या बाड़ियाँ नजर आती हैं। लोग बॉस के बने घरों में रहते हैं, बाँस की बनी टोपियाँ पहनते हैं। उनके फर्नीचर, बरतन, औजार और कुछ खाद्य पदार्थ भी बाँस के बने होते हैं। बाँस पर ही उनका रोजगार भी टिका है। बाँस की बनी वस्तुएँ वे बाजार में बेचते हैं, जैसे-टोकरी, जाल, चटाई, खिलौने आदि। उनके घरों के आस-पास बाँस की चीरी हुई खपच्चियाँ बिखरी दिखाई देती हैं। अगर बाँस न हो, तो उनकी रोजी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी। वे अपनी अधिकांश आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बाँस पर निर्भर रहते हैं।
Question - 8 : - इस पाठ में कई हिस्से हैं जहाँ किसी काम को करने का तरीका समझाया गया है? जैसे-
छोटी मछलियाँ को पकड़ने के लिए इसे पानी की सतह पर रखा जाता है या फिर धीरे-धीरे चलते हुए खींचा जाता है। बाँस की खपच्चियों को इस तरह बाँधा जाता है कि वे एक शंकु का आकार ले लें। इस शंकु का ऊपरी सिरा अंडाकार होता है। निचले नुकीले सिरे पर खपच्चियाँ एक-दूसरे में गुँथी हुई होती हैं।
इस वर्णन को ध्यान से पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर अनुमान लगाकर दो। यदि अंदाज़ लगाने में दिक्कत हो तो आपस में बातचीत करके सोचो-
(क) बाँस से बनाए गए शंकु के आकार का जाल छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए ही क्यों इस्तेमाल किया जाता है?
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडाकार होता है तो नीचे का हिस्सा कैसा दिखाई देता है?
(ग) इस जाल से मछली पकड़ने वालों को धीरे-धीरे क्यों चलना पड़ता है?
Answer - 8 : -
(क) छोटी मछलियाँ अपने आकार के कारण सरलतापूर्वक जाल से निकल जाती हैं। इसके विपरीत यदि किसी चौड़े जाल में रखा जाएगा, तो वे उछल के बाहर आ जाएँगी। शंकु के आकार के जाल में से पानी सरलता से निकल जाता है। मछलियाँ इसके छिद्रों से बाहर नहीं निकल पाती हैं। यह थोड़ा गहरा होता है, अतः मछली इसके तल में रह जाती हैं और उछलकर बाहर नहीं आ पाती हैं।
(ख) शंकु का ऊपरी हिस्सा अंडकारा होता है, तो नीचे का हिस्सा नुकीला होतो है। यह एक त्रिभुज के समान दिखाई देता है। '˅' इस चिह्न के समान दिखाई देगा।
(ग) इस तरह धीरे-धीरे चलकर जाल को खींचा जाता है। मछलियाँ जाल में फंस जाती हैं।
Question - 9 : - हाथों की कलाकारी घनघोर बारिश बुनाई का सफ़र
आड़ा-तिरछा डलियानुमा कहे मुताबिक
इन वाक्यांशों का वाक्यों में प्रयोग करो।
Answer - 9 : -
1. हाथों की कलाकारी- तुमने बहुत सुंदर मेज़पोश बनाया है। तुम्हारे हाथों की कलाकारी को मानना पड़ेगा।
2. घनघोर बारिश- आज दिल्ली में घनघोर बारिश हो रही है।
3. बुनाई का स़फर- मेरी बुनाई का सफ़र 20 साल पुराना है।
4. आड़ा-तिरछा- ढंग से बनाओ। ये क्या आड़ा-तिरछा बना रहे हो।
5. डलियानुमा- मेरे पास डलियानुमा बर्तन है।
6. कहे मुताबिक- गोविंद को मेरे कहे मुताबिक चलना पड़ेगा।
Question - 10 : - 'बनावट' शब्द 'बुन' क्रिया में 'आवट' प्रत्यय जोड़ने से बनता है। इसी प्रकार नुकीला, दबाव, घिसाई भी मूल शब्द में विभिन्न प्रत्यय जोड़ने से बने हैं। इन चारों शब्दों में प्रत्ययों को पहचानो और उन से तीन-तीन शब्द और बनाओ। इन शब्दों का वाक्यों में भी प्रयोग करो-
बुनावट नुकीला दबाव घिसाई
Answer - 10 : -
(i) बुनावट - बुन + आवट :- सजावट बनावट मिलावट
(ii) नुकीला - नुक + ईला :- रंगीला सजीला नशीला
(iii) दबाव - दब + आव :- चुनाव सुझाव बनाव
(iv) घिसाई - घिस + आई :- पढ़ाई भलाई रूलाई