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Chapter 2 रेशों से वस्त्र तक Solutions

Question - 1 : -
निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अभ्यास-पुस्तिका में लिखिए-
(क) ऊन धारण करने वाले जन्तु हैं।
(अ) ऊँट तथा याक
(ब) ऐल्पेका तथा लामा
(स) अंगोरा बकरी तथा कश्मीरी बकरी
(द) उपरोक्त सभी 

(ख) भेड़ तथा रेशम कीट होते हैं-
(अ) शाकाहारी
(ब) मांसाहारी
(स) सर्वाहारी
(द) अपमार्जक

(ग) भेड़ के रेशों की चिकनाई, धूल और गर्त निकालने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया कहलाती है।
(अ) अभिमार्जन 
(ब) संसाधन
(स) रीलिंग
(द) कटाई तथा छैटाई

(घ) रेशम है-
(अ) मानव निर्मित रेशे
(ब) पादप रेशे
(स) जन्तु रेशे 
(द) उपरोक्त सभी

Answer - 1 : -

(क) 
(द) उपरोक्त सभी (✓)
(ख) 
(अ) शाकाहारी (✓)
(ग) 
(अ) अभिमार्जन (✓)
(घ) 
(स) जन्तु रेशे (✓)

Question - 2 : -
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) ऊन सामान्यतः पालतू भेड़ों के त्वचीय ……….. से प्राप्त किए जाते हैं।
(ख) ऊन के रेशों के बीच वायु रुककर ऊष्मा की ……….. को कार्य करती है।
(ग) रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीट पालन विज्ञान ……….. कहलाता है।
(घ) प्यूपा के चारों ओर रेशम ग्रन्थि से स्रावित पदार्थ से लिपटी संरचना…………. कहलाती है।
(ङ) रेशम उद्योग के कारीगर………….. नामक जीवाणु द्वारा संक्रमित हो जाते हैं।


Answer - 2 : -

(क) ऊन सामान्यतः पालतू भेड़ों के त्वचीय बालों से प्राप्त किए जाते हैं।
(ख) ऊन के रेशों के बीच वायु रुककर ऊष्मा की कुचालक को कार्य करती है।
(ग) रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीट पालन विज्ञान सेरीकल्चर कहलाता है।
(घ) प्यूपा के चारों ओर रेशम ग्रन्थि से स्रावित पदार्थ से लिपटी संरचना कोया या कोकून कहलाती है।
(ङ) रेशम उद्योग के कारीगर एण्यैक्स नामक जीवाणु द्वारा संक्रमित हो जाते हैं।

Question - 3 : -
सही कथन के आगे सही (✓) व गलत कथन के आगे गलत (✗) का चिह्न लगाइए-
(क) कश्मीरी बकरी के बालों से पश्मीना ऊन की शालें बनायी जाती हैं। 
(ख) ऊन प्राप्त करने के लिए भेड़ के बालों को जाड़े के मौसम में काटा जाता है।
(ग) अच्छी नस्ल की भेड़ों को जन्म देने के लिए मुलायम बालों वाली विशेष भेड़ों के चयन की प्रक्रिया वर्णात्मक प्रजनन कहलाती है। 
(घ) सिल्क का धागा प्राप्त करने के लिए प्यूपा से वयस्क कीट बनने से पूर्व ही कोकून को उबलते पानी में डाला जाता है। 
(ङ) रेशम कीट के अण्डे से प्यूपा निकलते हैं। 

Answer - 3 : -

(क) कश्मीरी बकरी के बालों से पश्मीना ऊन की शालें बनायी जाती हैं। (✓)
(ख) ऊन प्राप्त करने के लिए भेड़ के बालों को जाड़े के मौसम में काटा जाता है। (✗)
(ग) अच्छी नस्ल की भेड़ों को जन्म देने के लिए मुलायम बालों वाली विशेष भेड़ों के चयन की प्रक्रिया वर्णात्मक प्रजनन कहलाती है। (✓)
(घ) सिल्क का धागा प्राप्त करने के लिए प्यूपा से वयस्क कीट बनने से पूर्व ही कोकून को उबलते पानी में डाला जाता है। (✓)
(ङ) रेशम कीट के अण्डे से प्यूपा निकलते हैं। (✗)

Question - 4 : - स्तम्भ (क) में दिए गए वाक्यों को स्तम्भ ( ख ) के वाक्यों से मिलान कीजिए।

Answer - 4 : -



Question - 5 : -
ऊन किसे कहते हैं? उन जन्तुओं के नाम लिखिए जिनसे ऊन प्राप्त किया जाता है?

Answer - 5 : -

सामान्यत: भेड़ की त्वचा के बाल से प्राप्त किए जानेवाले मुलायम घने रेशों को ऊन कहा जाता है।

Question - 6 : -
ऊन प्रदान करने वाले भेड़ों की कुछ भारतीय नस्लों के नाम लिखिए ?

Answer - 6 : -

जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जानेवाली अंगोरा बकरी तथा कश्मीरी बकरी।

Question - 7 : -
वर्णात्मक प्रजनन से आप क्या समझते हैं ?

Answer - 7 : -

भेड़ की जिन नस्लों के शरीर पर घने बाल होते हैं, उनका अच्छी नस्ल की भेड़ों को जन्म देने के लिए जनक के रूप में चयन करने की प्रक्रिया को वर्णात्मक प्रजनन कहते हैं।

Question - 8 : - जाड़ों में ऊनी वस्त्रों को पहनना क्यों आरामदायक होता है?

Answer - 8 : -

ऊनी रेशों के बीच वायु अधिक मात्रा में भर जाती है जो ऊष्मा की कुचालक की भाँति कार्य करने लगती है। इस प्रकार सर्दी के मौसम में ऊनी वस्त्र पहनने पर शरीर का ताप स्थिर रहता है और ठंड नहीं लगती है, जिसके कारण जाड़ों में ऊनी वस्त्र पहनना आरामदायक होता है।

Question - 9 : - रेशम प्राप्त करने के लिए रेशम कीट के कोकून को उबलते पानी में डालना क्यों आवश्यक होता है ? कारण दीजिए।

Answer - 9 : -

रेशम प्राप्त करने के लिए प्यूपा से वयस्क कीट बनने के पूर्व ही कोकून को एकत्रित करके उन्हें उबलते पानी में 95°C से 97°C तक लगभग 10-15 मिनट के लिए डाल दिया जाता है। इससे कोकून के चारों ओर लिपटे रेशों के बीच का चिपचिपा पदार्थ घुल जाता है तथा रेशम के रेशे पृथक हो जाते हैं।

Question - 10 : -
रेशम कीट के विभिन्न किस्मों से प्राप्त कुछ रेशम के रेशों के नाम लिखिए ?

Answer - 10 : -

रेशम कीट के विभिन्न किस्मों से प्राप्त कुछ रेशे हैं-टसर रेशम, मँगा रेशम, कोसा रेशम, एरी रेशम आदि।

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