Chapter 8 d एवं f ब्लॉक के तत्त्व (The d and f Block Elements) Solutions
Question - 1 : - सिल्वर परमाणु की मूल अवस्था में पूर्ण भरित d कक्षक (4d10) हैं। आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक संक्रमण तत्व है?
Answer - 1 : -
सिल्वर (Z = 47), +2 ऑक्सीकरण अवस्था भी प्रदर्शित कर सकता है तथा इस अवस्था में इसके 4d कक्षक अपूर्ण भरे हुए होते हैं, अत: यह एक संक्रमण तत्व है।
Question - 2 : - श्रेणी Sc(Z = 21) से Zn (Z = 30) में, जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम अर्थात 128 kJ mol-1 होता है, क्यों?
Answer - 2 : -
जिंक के 3d कक्षकों के इलेक्ट्रॉन आबन्धन में प्रयुक्त नहीं होते हैं, जबकि 3d श्रेणी की शेष सभी धातुओं के d कक्षक के इलेक्ट्रॉन आबन्ध बनाने में प्रयुक्त होते हैं। इसलिए श्रेणी में जिंक की कणन एन्थैल्पी का मान सबसे कम होता है।
Question - 3 : - संक्रमण तत्वों की 3d श्रेणी का कौन-सा तत्व बड़ी संख्या में ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है एवं क्यों?
Answer - 3 : -
मैंगनीज (Z = 25) के परमाणु में सर्वाधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन पाए जाते हैं। अत: यह +2 से +7 तक ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है जो सबसे बड़ी संख्या है।
Question - 4 : - कॉपर के लिए E–(M2+|M), का मान धनात्मक (+0.34 V) है। इसके सम्भावित कारण क्या हैं?
[संकेत-इसके उच्च ΔaH– और ΔHyd H– पर ध्यान दें।]
Answer - 4 : -
किसी धातु के लिए E–(M2+|M), निम्नलिखित पदों में होने वाले एन्थैल्पी परिवर्तन के योग से सम्बद्ध होता है –
- M(s) + ΔaH → M(g) (ΔaH = परमाण्विक एन्थैल्पी = धनात्मक)
- M(g) + ΔiH → M2+ (g) (ΔiH = आयनन एन्थैल्पी = धनात्मक)
- M2+ (g) + (aq) → M2+ (aq) + ΔhydH (ΔhydH = जलयोजन एन्थैल्पी = ऋणात्मक)
कॉपर की परमाण्विक एन्थैल्पी, उच्च तथा जलयोजन एन्थैल्पी कम होती हैं। इसलिए E–(Cu2+| Cu) को मान धनात्मक होता है। अत: Cu(s) के Cu2+ (aq) में रूपान्तरण की उच्च ऊर्जा इसकी जलयोजन एन्थैल्पी द्वारा सन्तुलित नहीं होती है।
Question - 5 : - संक्रमण तत्वों की प्रथम श्रेणी में आयनन एन्थैल्पी (प्रथम और द्वितीय) में अनियमित परिवर्तन को आप कैसे समझाएँगे?
Answer - 5 : -
आयनन एन्थैल्पी में अनियमित परिवर्तन विभिन्न 3d विन्यासों के स्थायित्व की क्षमता में भिन्नता के कारण है (उदाहरण d0, d5,d10 असामान्य रूप से स्थायी होते हैं)।
Question - 6 : - कोई धातु अपनी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था केवल ऑक्साइड अथवा फ्लुओराइड में ही क्यों प्रदर्शित करती है?
Answer - 6 : - छोटे आकार एवं उच्च विद्युत ऋणात्मकता के कारण ऑक्सीजन अथवा फ्लुओरीन तत्व, धातु को उसकी उच्च ऑक्सीकरण अवस्था तेक ऑक्सीकृत कर सकते हैं।
Question - 7 : - Cr2+ और Fe2+ में से कौन प्रबल अपचायक है और क्यों?
Answer - 7 : -
Fe2+ की तुलना में Cr2+ एक प्रबल अपचायक पदार्थ है।
कारण– Cr2+ से Cr3+ बनने में d4 → d3 परिवर्तन होता है, किन्तु Fe2+ से Fe3+ में d6 → d5 में परिवर्तन होता है। जल जैसे माध्यम में d5 की तुलना में d3 अधिक स्थायी है।
Question - 8 : - M2+ (aq) आयन (Z = 27) के लिए ‘प्रचक्रण-मात्र चुम्बकीय आघूर्ण की गणना कीजिए।
Answer - 8 : - M परमाणु (Z = 27) का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास [Ar] 3d7 4s2 है।
∴ M2+ का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास = [Ar] 3d7
अतः इसमें तीन अयुग्मित इलेक्ट्रॉन हैं।
∴ ‘प्रचक्रेण-मात्र चुम्बकीय आघूर्ण (µ) = B.M. = B.M. = B.M. = 3.87 B.M.
Question - 9 : - स्पष्ट कीजिए कि Cu’ आयन जलीय विलयन में स्थायी नहीं है, क्यों? समझाइए।
Answer - 9 : -
Cu+ (aq)से Cu2+ (aq) अधिक स्थायी होता है। इसका कारण यह है कि कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी अधिक होती है, परन्तु Cu2+ (aq)के लिए ΔhydH, Cu+ (aq)की तुलना में अधिक ऋणात्मक होती है, इसलिए यह कॉपर की द्वितीय आयनन एन्थैल्पी के लिए अधिक क्षतिपूर्ति करती है। अत: अनेक कॉपर (I) यौगिक जलीय विलयन में अस्थायी होते हैं तथा निम्नलिखित प्रकार असमानुपातित होते हैं –
2Cu+ (aq) → Cu2+ (aq) + Cu (S)
Question - 10 : - लैन्थेनाइड आकुंचन की तुलना में एक तत्व से दूसरे तत्व के बीच ऐक्टिनाइड आकुंचन अधिक होता है, क्यों?
Answer - 10 : -
5d इलेक्ट्रॉन नाभिकीय आवेश से प्रभावी रूप से परिरक्षित रहते हैं। दूसरे शब्दों में, 5d इलेक्ट्रॉनों की श्रेणी में एक तत्व से दूसरे तत्व की ओर जाने पर दुर्बल परिरक्षण प्रभाव परिलक्षित होता है। अतः ऐक्टिनाइड आकुंचन (संकुचन) अधिक होता है।