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Chapter 7 इतिहास और खेल क्रिकेट की कहानी Solutions

Question - 1 : -
टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक अनूठा खेल है। इस बारे में चर्चा कीजिए कि यह किन-किन अर्थों में बाकी खेलों से भिन्न है। ऐतिहासिक रूप से एक ग्रामीण खेल के रूप में पैदा होने से टेस्ट क्रिकेट में किस तरह की विलक्षणताएँ पैदा हुई हैं?

Answer - 1 : -

टेस्ट क्रिकेट कई मायनों में एक विलक्षण खेल है। अन्य खेलों से यह निम्न रूप में भिन्न है-

  1. क्रिकेट को ‘सभ्य लोगों का खेल’ (जेंटिलमैन गेम) कहा जाता है जबकि अन्य किसी खेल को यह उपाधि प्राप्त नहीं है।
  2. क्रिकेट का खेल मात्र अंग्रेज और राष्ट्रमण्डल देशों द्वारा खेला जाता है जबकि दूसरे खेल सम्पूर्ण विश्व में खेले जाते हैं।
  3. क्रिकेट विश्व का एकमात्र ऐसा खेल है जो दो देशों की टीम द्वारा 5 दिन तक खेला जाता है जबकि दूसरे खेलों में ऐसा नहीं है।
  4. क्रिकेट के खेल मैदान की लंबाई-चौड़ाई निश्चित नहीं होती जबकि अन्य खेलों के मैदान की लंबाई-चौड़ाई निश्चित होती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा होने के कारण क्रिकेट की विलक्षणताएँ-

  1. क्रिकेट की ग्रामीण जड़ों की पुष्टि टेस्ट मैच की अवधि से हो जाती है। शुरुआत में क्रिकेट मैच की समय सीमा नहीं होती थी। खेल तब तक चलता था, जब तक कि एक टीम दूसरी टीम को दोबारा पूरा आउट न कर दे।
  2. क्रिकेट मूलतः गाँव में कॉमन्स (ऐसे सार्वजनिक और खुले मैदान जिन पर पूरे समुदाय का सामुदायिक अधिकार होता था) में खेला जाता था। कॉमन्स का आकार प्रत्येक गाँव में अलग-अलग होता था। इसलिए न तो सीमा रेखा निर्धारित थी और न ही चौके। जब सीमा-रेखा क्रिकेट की नियमावली का हिस्सा बनीं तब भी विकेट से उसकी दूरी निर्धारित नहीं की गयी। नियम के अंतर्गत केवल यह व्यवस्था की गयी थी कि अंपायर दोनों कप्तानों से परामर्श करके खेल के क्षेत्र की सीमा निर्धारित करेगा।
  3. क्रिकेट में प्रयुक्त वस्तुओं को देखने से पता चलता है कि समय में आए परिवर्तन के बावजूद वह ग्रामीण पृष्ठभूमि से ही जुड़ा रहा। बल्ला, स्टम्प व गिल्लियाँ लकड़ी की बनी हुई हैं जबकि गेंद चमड़े, ट्वाइन और काग (कॉर्क) से बना हुआ है। आज भी क्रिकेट का बल्ला व गेंद हाथ से ही बनाए जाते हैं, मशीन से नहीं। बल्ले की निर्माण सामग्री में अवश्य कुछ परिवर्तन आया है।

Question - 2 : -
एक ऐसा उदाहरण दीजिए जिसके आधार पर आप कह सकें कि उन्नीसवीं सदी में तकनीक के कारण क्रिकेट के साजो-सामान में परिवर्तन आया। साथ ही ऐसे उपकरणों में से भी कोई एक उदाहरण दीजिए जिनमें कोई बदलाव नहीं आया।

Answer - 2 : -

वल्केनाइज्ड रबड़ की खोज के बाद 1848 ई० से क्रिकेट में पैड पहनने का प्रचलन शुरू हुआ। इसके शीघ्र बाद ही हाथों में पहनने के लिए दस्ताने अस्तित्व में आए। सिंथेटिक व हल्की सामग्री के बने हेलमेट के बिना तो आधुनिक क्रिकेट की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
उदाहरण-वल्केनाइज्ड रबड़ की खोज, हाथों में पहनने के लिए दस्ताने और हल्के हेलमेट इससे क्रिकेट के साजो-सामान में परिवर्तन आया।

लेकिन समय की निरंतर बदलती प्रकृति के बावजूद क्रिकेट के महत्त्वपूर्ण उपकरण बल्ला, स्टम्प और वेल्स में कोई परिवर्तन नहीं आया ये पहले की भांति आज भी प्रकृति पर ही आश्रित हैं। क्रिकेट की गेंद का निर्माण आज भी चमड़े, ट्वाइन और कॉर्क की सहायता से किया जाता है।
उदाहरण-बल्ला, स्टम्प, वेल्स, गेंद। इन उपकरणों में कोई बदलाव नहीं आया है।

Question - 3 : - भारत और वेस्टइंडीज में ही क्रिकेट क्यों इतना लोकप्रिय हुआ? क्या आप बता सकते हैं कि यह खेल दक्षिणी अमेरिका में इतना लोकप्रिय क्यों नहीं हुआ?

Answer - 3 : -

भारत और वेस्टइंडीज में क्रिकेट का खेल लोकप्रिय होने के कारण इस प्रकार हैं-

  1. औपनिवेशिक पृष्ठभूमि के कारण भारत और वेस्टइंडीज में क्रिकेट का खेल लोकप्रिय हुआ। ब्रिटिशवादी कर्मचारियों ने क्रिकेट को नस्ली एवं सामाजिक उत्कृष्टता प्रदर्शित करने के लिए प्रयोग किया।
  2. अंग्रेजों ने इस खेल को जनसामान्य के लिए लोकप्रिय नहीं बनाया बल्कि औपनिवेशिक लोगों के लिए क्रिकेट खेलना ब्रिटिश लोगों के साथ नस्ली समानता का परिचायक था। क्रिकेट में सफलता से नस्ली समानता एवं राजनीतिक प्रगति का अर्थ लिया जाने लगा।
  3. स्वाधीनता संघर्ष के काल में अनेक अभिजात्य वर्गीय नेताओं को क्रिकेट में आत्मसम्मान और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा की संभावनाएँ परिलक्षित होती थीं। दक्षिण अमेरिका में क्रिकेट के लोकप्रिय न होने के कारण-दक्षिण अमेरिका में ब्रिटिश शासन नहीं था बल्कि वहाँ पर स्पेन, पुर्तगाल आदि यूरोपीय देशों का शासन था। स्पेन और पुर्तगाल आदि देशों में क्रिकेट लोकप्रिय खेल नहीं था जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण अमेरिका में क्रिकेट उस लोकप्रियता को प्राप्त न कर सका जिसे भारत और वेस्टइंडीज ने प्राप्त किया।

Question - 4 : -
निम्नलिखित की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए-

  1. भारत में पहला क्रिकेट क्लब पारसियों ने खोला।
  2. महात्मा गाँधी पेंटांग्युलर टूर्नामेंट के आलोचक थे।
  3. आईसीसी का नाम बदल कर इंपीरियल क्रिकेट कांफ्रेंस के स्थान पर इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस कर दिया गया।
  4. आईसीसी का मुख्यालय लंदन की जगह दुबई में स्थानान्तरित कर दिया गया।

Answer - 4 : -

(1) भारत में क्रिकेट का आरंभ करने का श्रेय बम्बई के छोटे से पारसी समुदाय को है। व्यापार के उद्देश्य से पारसी सबसे पहले अंग्रेजों के संपर्क में आए। इस तरह पश्चिम की संस्कृति से प्रभावित होने वाला भारत का पहला समुदाय पारसी था। पारसियों ने 1848 ई० में बम्बई (मुम्बई) में भारत का पहला क्रिकेट क्लब “ओरिएंटल क्रिकेट क्लब’ नाम से स्थापित किया। टाटा व वाडिया जैसे पारसी व्यवसायी पारसी क्लबों के प्रायोजक व वित्त पोषक थे। अंग्रेजों ने उत्साही पारसियों की क्रिकेट के विकास में कोई सहायता नहीं की बल्कि बॉम्बे जिमखाना क्लब और पारसी क्रिकेटरों के बीच पार्क के इस्तेमाल को लेकर झगड़ा भी हुआ।

पारसियों ने इस बात की शिकायत की कि बॉम्बे जिमखाना के पोलो टीम के घोड़ों द्वारा रौंदे जाने के बाद मैदान क्रिकेट खेलने लायक नहीं रह गया है। जब यह स्पष्ट हो गया कि अंग्रेज औपनिवेशिक अधिकारी अपने देशवासियों का पक्ष ले रहे हैं, तो पारसियों ने क्रिकेट खेलने के लिए अपना खुद को जिमखाना ‘पारसी जिमखाना बनाया। पर पारसियों व नस्लवादी बॉम्बे जिमखाना के बीच की इस स्पर्धा का अंत अच्छा हुआ-पारसियों की एक टीम ने बॉम्बे जिमखाना को 1889 ई० में हरा दिया। यह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के चार साल बाद हुआ और दिलचस्प बात यह है कि इस संस्था के मूल नेताओं में से एक दादाभाई नौरोजी, जो अपने वक्त के महान राजनेता व बुद्धिजीवी थे, पारसी ही थे।

(2) महात्मा गांधी ने पेंटाग्युलर टूर्नामेंट को सांप्रदायिक भेद-भाव के आधार पर बाँटनेवाला बताकर इसकी निंदा की। उनका विचार था कि यह मुकाबला सांप्रदायिक रूप से अशांतिकारक था जो कि ऐसे समय में देश के लिए हानिकारक था जब वे विभिन्न धर्मों के लोगों एवं क्षेत्रों को धर्मनिरपेक्ष देश के लिए एकजुट करना चाह रहे थे।

(3) 1909 ई0 में इंग्लैण्ड में क्रिकेट को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान करने के लिए “इंपीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस (आई.सी.सी.) की स्थापना की गयी थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत धीरे-धीरे इंग्लैण्ड का साम्राज्यवादी स्वरूप नष्ट हो गया और उसके सभी उपनिवेश स्वतंत्र राष्ट्र बन गए परंतु क्रिकेट के अंतर्राष्ट्रीय आयोजन पर साम्राज्यवादी क्रिकेट कॉन्फ्रेंस का नियंत्रण बरकरार रहा।
आईसीसी पर, जिसका 1965 ई० में नाम बदलकर ‘इंटरनेशनल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस’ हो गया, इसके संस्थापक सदस्यों का वर्चस्व रहा, उन्हीं के हाथ में कार्यकलाप के वीटो अधिकार रहे। इंग्लैंड व ऑस्ट्रेलिया के विशेषाधिकार 1989 ई0 में जाकर खत्म हुए और वे अब सामान्य सदस्य रह गए।

(4) आईसीसी मुख्यालय लंदन से दुबई में इसलिए स्थानांतरित हुआ क्योंकि भारत दक्षिण एशिया में स्थित है। भारत में खेल के सबसे अधिक दर्शक थे और यह क्रिकेट खेलने वाले देशों में सबसे बड़ा बाजार था, इसलिए खेल का गुरुत्व औपनिवेशिक देशों से वि-औपनिवेशिक देशों में स्थानांतरित हो गया। मुख्यालय का स्थानांतरण खेल में अंग्रेजी या साम्राज्यवादी प्रभुत्व के औपचारिक अंत का सूचक था।

Question - 5 : -
तकनीक के क्षेत्र में आए बदलावों, खासतौर से टेलीविजन तकनीक में आए परिवर्तनों से समकालीन क्रिकेट के विकास पर क्या प्रभाव पड़ा है?

Answer - 5 : -

समकालीन क्रिकेट के विकास एवं लोकप्रियता में वृद्धि करने में विकसित तकनीक विशेषकर उपग्रह टेलीविजन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। रंग-बिरंगे परिधान, रक्षात्मक हेलमेट, क्षेत्र रक्षण सम्बन्धी प्रतिबन्ध, दूधिया प्रकाश की रोशनी में क्रिकेट, सीमित ओवर के क्रिकेट मैच आदि ने इस पूर्व औद्योगिक ग्रामीण खेल को आधुनिक परिवेश में रूपांतरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। सेटेलाइट टेलीविजन के प्रचलन ने क्रिकेट को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचा दिया है।
टेलीविजन तकनीक ने क्रिकेट के विकास को निम्न रूप में प्रभावित किया है-

  1. टेलीविजन प्रसारण ने क्रिकेट को एक बड़ा बाजार उपलब्ध कराया है। टेलीविजन कंपनियों ने विज्ञापन-समय व्यावसायिक कंपनियों को बेचने आरंभ कर दिए। व्यावसायिक कंपनियों को भी इतना बड़ा दर्शक-समूह और कहाँ मिलता इसलिए विज्ञापनों से टी.वी. कंपनियों तथा क्रिकेट बोर्डो की आय बहुत बढ़ गई। निरंतर टी.वी. कवरेज के बाद क्रिकेटर सेलेब्रिटी बन गए और उन्हें अपने क्रिकेट बोर्ड से तो ज्यादा वेतन मिलने ही लगा, लेकिन उससे भी बड़ी कमाई के साधन टायर से लेकर कोला तक के टी०वी० विज्ञापन हो गए।
  2. टी.वी. कैमरे के उपयोग ने क्रिकेट के स्वरूप को भी प्रभावित किया। अब टी.वी. में ‘स्लो-मोशन’ द्वारा खेल की बारीकियों पर नजर रखी जाने लगी है। तीसरे अंपायर का निर्णय पूरी तरह कैमरे के कुशलतापूर्वक उपयोग पर ही निर्भर होता है।
  3. टी.वी. द्वारा दिखाए जाने वाले ‘री-प्ले’ ने खेल की रोचकता को और भी बढ़ा दिया है।
  4. टी.वी. प्रसारण से क्रिकेट का स्वरूप बिल्कुल ही बदल गया। टेलीविजन तकनीक के द्वारा क्रिकेट की पहँच छोटे शहरों व गाँवों के दर्शकों तक हो गई। इससे क्रिकेट का सामाजिक आधार भी व्यापक हुआ है। महानगरों से दूर रहने वाले बच्चे जो कभी बड़े मैच नहीं देख पाते थे, अब अपने नायकों को देखकर क्रिकेट की तकनीकें सीख सकते हैं।
  5. उपग्रह (सैटेलाइट) टी.वी. की तकनीक और बहु-राष्ट्रीय कंपनियों की दुनिया भर की पहुँच के चलते क्रिकेट का वैश्विक बाजार बन गया है। सिडनी में चल रहे मैच को अब सीधे सूरत में देखा जा सकता है।
  6. टेलीविजन दर्शकों को लुभाने के लिए क्रिकेट में किए गए अनेक प्रयोग जैसे-रंगीन वर्दी, सीमित ओवर, रात-दिन का खेल, क्षेत्ररक्षण की पाबंदियाँ आदि, स्थायी सिद्ध हुए हैं।

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