Chapter 6 पार नज़र के Solutions
Question - 1 : - छोटू का परिवार कहाँ रहता था?
Answer - 1 : -
छोटू का परिवार मंगल ग्रह पर ज़मीन के नीचे बनी एक कॉलोनी में रहता था।
Question - 2 : - छोटू को सुरंग में जाने की इजाज़त क्यों नहीं थी? पाठ के आधार पर लिखो।
Answer - 2 : -
इस सुरंग में सुरक्षा कारणों से आम आदमी को जाने की मनाही थी। यहाँ केवल वह व्यक्ति जा सकता था जिसके पास सिक्योरिटी पास हो। छोटू के पास सिक्योरिटी पास नहीं था। इसके अलावा सुरंग में कई तरह के यंत्र लगे हुए थे। वहाँ केवल उन यंत्रों की देखभाल का काम करने वाले लोग जा पाते थे। यही कारण था कि छोटू को सुरंग में जाने की इजाजत नहीं थी।
Question - 3 : - कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने क्या देखा और वहाँ उसने क्या हरकत की?
Answer - 3 : -
कंट्रोल रूम में जाकर छोटू ने अंतरिक्ष यान क्रमांक-एक देखा। उस यान से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकल रहा था। हर पल उसकी लंबाई बढ़ती जा रही थी। छोटू का पूरा ध्यान कॉन्सोल-पैनल पर था जिस पर कई बटन लगे हुए थे। यहीं लगे लाल बटन को छोटू दबाना चाहता था। अंत में उसने अपनी इच्छा नहीं रोक पाई। उसने उसका लाल बटन दबा ही दिया। बटन दबते ही खतरे ही घंटी बज उठी। अपनी इस गलती पर उसने अपने पिता से एक थप्पड़ भी खाया क्योंकि उसके बटन दबाने से अंतरिक्ष यान की क्रमांक-एक का यांत्रिक हाथ बेकार हो गया।
Question - 4 : - इस कहानी के अनुसार मंगल ग्रह पर कभी आम जन-जीवन था। वह सब नष्ट कैसे हो गया? इसे लिखो-
Answer - 4 : -
एक समय था जब लोग मंगल ग्रह पर जमीन के ऊपर रहते थे, ये पुरखे बगैर किसी तरह के यंत्रों की मदद के, बिना किसी खास किस्म के पोशाक के रहते थे लेकिन धीरे-धीरे वातावरण में परिवर्तन आने लगा। इससे धरती पर रहने वाले कई प्रकार के जीव धीरे-धीरे एक के बाद एक मरने लगे। इस परिवर्तन का कारण सूर्य में आया परिवर्तन था। सूर्य में परिवर्तन होते ही प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।
Question - 5 : - कहानी में अंतरिक्ष यान को किसने भेजा था और क्यों?
Answer - 5 : -
इस कहानी में अंतरिक्ष यान को पृथ्वी की एक अंतरिक्ष वैज्ञानिक संस्था नासा–जिसका पूरा नाम “नेशनल एअरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA)” है ने भेजा था। इस यान का नाम वाइकिंग था। पृथ्वी के वैज्ञानिक मंगल ग्रह की मिट्टी का अध्ययन करने के लिए बड़े उत्सुक थे। उन्हें इस अध्ययन से यह पता लगने की उम्मीद थी कि पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह पर भी जीवों का अस्तित्व है या नहीं। इसी उद्देश्य से ‘नासा’ ने अंतरिक्ष यान भेजा था।
Question - 6 : - नंबर एक, नंबर दो और नंबर तीन, अजनबी से निबटने के कौन तरीके सुझाते हैं और क्यों ?
Answer - 6 : -
नंबर एक का कहना था कि इस अजनबी यान में केवल यंत्र हैं। हम इसको स्पेस में खत्म करने की क्षमता रखते हैं, मगर इससे फिर कोई जानकारी हासिल नहीं होगी। ज़मीन पर उतरने को मजबूर करने के लिए यंत्र हमारे पास नहीं हैं। यदि वह खुद व खुद ज़मीन पर उतर जाए तो हम इसे बेकार करने की क्षमता रखते हैं। नंबर दो वैज्ञानिक थे। उन्होंने उन यानों को बेकार न करने का सुझाव दिया। उनका विचार था कि उन्हें बेकार कर देने से दूसरे ग्रह के लोग हमारे बारे में जान जाएँगे। जिन लोगों ने ये अंतरिक्ष यान भेजे हैं, वे भविष्य में इनसे भी बढ़िया अंतरिक्ष यान यहाँ भेजेंगे।
इसलिए हमें इनका अवलोकन करते रहना चाहिए और हमें जहाँ तक हो सकें, अपने अस्तित्व को छिपाए रखना चाहिए। नंबर दो ने अध्यक्ष महोदय से प्रार्थना की कि हमारे यहाँ ऐसा प्रबंध किया जाए जिससे अन्य ग्रहवालों को यह लगे कि यहाँ पर कोई ऐसी चीज नहीं है। जिससे उन्हें लाभ हो। नंबर तीन अध्यक्ष थे और उनका दायित्व सामाजिक व्यवस्था की देखभाल करना था।
नंबर तीन की राय थी-”जहाँ तक हो सके, हमें अस्तित्व को छुपाए ही रखना चाहिए, क्योंकि हो सकता है जिन लोगों ने ये अंतरिक्ष यान भेजे हैं, वे कल को इनसे भी बड़े सक्षम अंतरिक्ष यान भेजें। हमें यहाँ प्रबंध कुछ इस तरह रखना चाहिए जिससे इन यंत्रों को यह गलतफहमी हो कि इस जमीन पर कोई भी चीज़ इतनी महत्त्वपूर्ण नहीं है कि जिससे वे लाभ उठा सकें। अध्यक्ष महोदय से मैं यह दरख्वास्त करता हूँ कि इस तरह का प्रबंध हमारे यहाँ किया जाए।”
Question - 7 : - (क) दिलीप एम. साल्वी
(ख) जयंत विष्णु नार्लीकर
(ग) आइज़क ऐसीमोव
(घ) आर्थर क्लार्क
ऊपर दिए गए लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ इकट्ठी करके पढ़ो और एक-दूसरे को सुनाओ। इन कहानियों में कल्पना क्या है और सच क्या है, इसे समझने की कोशिश करो। कुछ ऐसी कहानियाँ छाँटकर निकालो, जो आगे चलकर सच साबित हुई हैं।
Answer - 7 : -
छात्र ऊपर लिखे लेखकों की अंतरिक्ष संबंधी कहानियाँ विद्यालय के पुस्तकालय से लेकर पढ़ने का प्रयास करें और यह जानने की कोशिश करें कि उसमें कितनी सच्चाई है। इन लेखकों की कहानियाँ आप इंटरनेट से प्राप्त कर सकते हैं।
Question - 8 : - इस पाठ में अंतरिक्ष यान अजनबी बनकर आता है।’अजनबी’ शब्द सोचो? इंसान भी कई बार अजनबी माना जाता है और कोई जगह या शहर भी। क्या तुम्हारी मुलाकात ऐसे किसी अजनबी से हुई है? नए स्कूल का पहला अनुभव कैसा था? क्या उसे भी अजनबी कहोगे? अगर हाँ तो ‘अजनबीपन’ दूर कैसे हुआ? इस पर सोचकर कुछ लिखो।
Answer - 8 : -
हाँ, नए विद्यालय में हमारी मुलाकात ऐसे व्यक्ति से हुई है जिसे मैं नहीं जानता। फिर बातचीत करके हमने एक दूसरे के विषय में जाना समझा और हमारा अजनबीपन खत्म हो गया। नए विद्यालय का पहला अनुभव बहुत अच्छा था। मैं किसी भी छात्र या अध्यापक से परिचित नहीं था, मैंने अपने ही आयु के एक लड़के से बातचीत करके इस अजनबीपन को दूर किया। फिर बाद में पता चला कि वह लड़का भी मेरी कक्षा का छात्र था। तब हम मित्र बन गए। तब उस मित्र ने कक्षा के छात्रों से भी मेरा परिचय करा दिया और मेरा अजनबीपन दूर हो गया। इस प्रकार जब धीरे-धीरे हम रोज उनसे मिलने लगते हैं उनके करीब जाते हैं तो उनसे हमारी पहचान होने लगती है। हमारा परिचय बढ़ता है और फिर कुछ अनजाना नहीं लगता है?
Question - 9 : - यह कहानी जमीन के अंदर की जिंदगी का पता देती है। जमीन के ऊपर मंगल ग्रह पर सब कुछ कैसा होगा, इसकी कल्पना करो और लिखो ?
Answer - 9 : -
ज़मीन के ऊपर मंगल ग्रह पर भी जन-जीवन सामान्य नहीं होगा, न तो पेड़-पौधा होगा न कोई नाला। मंगल ग्रह पर जिधर भी देखें उधर ही पठारी भूमि, रेगिस्तान और मिट्टी के पहाड़ होंगे, वहाँ किसी प्रकार का जीवन नहीं होगा। प्राणवायु की कमी होगी, सरदी बहुत अधिक होगी। पानी की भी किल्लत होने की संभावना है। इस कारण यंत्रों की सहायता से ही जीना संभव हो पाता होगा। जिस प्रकार जमीन के अंदर मनुष्य विभिन्न यंत्रों के सहारे रहता है उसी प्रकार उसे वहाँ रहने के लिए विभिन्न यंत्रों की सहायता लेनी पड़ेगी क्योंकि मंगल ग्रह पर सूर्य की ऊर्जाशक्ति न होने के कारण प्राकृतिक संतुलन नहीं होगा। वहाँ सामान्य आदमी नहीं रह सकता है।
Question - 10 : - मान लो कि तुम छोटू हो और यह कहानी किसी को सुना रहे हो तो कैसे सुनाओगे? सोचो और ‘मैं’ शैली में कहानी सुनाओ।
Answer - 10 : -
मेरा घर जमीन के नीचे बनी कॉलोनी में है। मैं ज़मीन के ऊपर देखना चाहता था। एक बार अपने पापा का सिक्योरिटी पास लेकर चुपके रास्ते से जाना चाहता था। पापा उसी रास्ते से प्रतिदिन काम करने जाया करते थे। सुरंग से बने खाँचे में मैंने कार्ड डाला और दरवाजा बंद हो गया। यंत्र में कुछ संदेहास्पद हरकत हुई और एक दूसरे यंत्र ने मेरी तसवीर खींच ली। तभी सिक्योरिटी गार्ड आ गए और मुझे पकड़कर वापस मेरे घर छोड़ दिया। फिर पापा ने बताया कि मंगल ग्रह पर कभी जमीन जैसा ही जीवन था, लेकिन सूर्य में आए परिवर्तन के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया।
जीव मरने लगे। ठंड इतनी बढ़ गई कि आम लोगों का वहाँ रहना मुश्किल हो गया। तब यंत्रों की सहायता से जमीन के नीचे घर बनाए गए। अब तो स्पेस-सूट और खास किस्म के जूते पहनकर धरती पर रहा जा सकता है। अब वहाँ का जीवन कठिन हो गया है। मनुष्यों को छोड़कर बाकी सभी जीव नष्ट हो गए। अपनी तकनीक से मनुष्य ने पृथ्वी के नीचे घर बना लिया जिसका नियंत्रण हम लोग अपने तरीके से करते हैं।
अगले दिन पापा ने कंप्यूटर पर एक बिंदु देखा जो कि एक यान था। कुछ समय बाद यान जमीन पर उतरा और उसमें से एक यांत्रिक हाथ बाहर निकला। यह मेरे लिए खास था। मैं पापा के साथ था। सभी इस दृश्य को कंप्यूटर पर देख रहे थे। मेरा ध्यान कॉन्सोल पर लगे बटन पर था। मैंने एक बटन दबा दिया। अचानक यान के यांत्रिक हाथ ने काम करना बंद कर दिया। पापा ने मुझे थप्पड़ मारा और उस बटन को पहले जैसा ही कर दिया। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से भेजे इस यान का रिमोट से हाथ ठीक कर दिया। अब वह जमीन की मिट्टी खोद रहा था। इस मिट्टी से पृथ्वी के लोग अध्ययन करके यह जानना चाहते थे कि मंगल ग्रह पर जीवन सृष्टि है या नहीं।