The Total solution for NCERT class 6-12
Answer - 1 : -
Answer - 2 : -
2KI + H2SO4 →2KHSO4 + 2HI2HI + H2SO4 → 2H2O + I2 +SO2इन अभिक्रियाओं में H,SO, एक ऑक्सीकारक है। यह अभिक्रिया के दौरान निर्मित HI को I2 में ऑक्सीकृत कर देता है एवं HI तथा ऐल्कोहॉल की क्रिया से ऐल्किल हैलाइड के निर्माण को रोकता है। इस समस्या के निदान के लिए H2SO4 के स्थान पर फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4) का प्रयोग किया जाता है, जो कि अभिक्रिया के लिए HI उपलब्ध कराता है तथा H2SO4 के समान I2 नहीं देता है।
Answer - 3 : - प्रोपेन(CH3 CH2 CH3) के चार समावयवी डाइहैलोजन व्युत्पन्न सम्भव हैं।
Answer - 4 : -
चार प्रकार के तुल्य H-परमाणु उपस्थित हैं, जिन्हें a, b,c तथा d से चिह्नित किया गया है। अतः चार समावयवी मोनोक्लोराइड संभव हैं।
Answer - 5 : -
Answer - 6 : -
Answer - 7 : -
Answer - 8 : - यदि विशेष सूत्र के समावयवियों में छोड़ने वाला समूह (leaving group) समान हो तब SN 2 क्रियाविधि के सापेक्ष समावयवियों की क्रियाशीलता त्रिविम बाधा (steric hindrance) बढ़ने के साथ घटती है, अतः(i) CH3 CH2 CH2 CH2 Br(1° ऐल्किल हैलाइड)CH3CH2–CHBr – CH3 (2° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।
(2° ऐल्किल हैलाइड), (CH3)3 CBr (3° ऐल्किल हैलाइड) से अधिक क्रियाशील होता है।
(iii) दोनों 2° ऐल्किल हैलाइड हैं, लेकिन (II) ऐल्किल हैलाइड में C2 पर स्थित- CH3 समूह Br परमाणु के निकट स्थित है जबकि (I) ऐल्किल हैलाइड में C3 पर स्थित -CH3 समूह Br परमाणु से कुछ दूर स्थित है। इसके परिणामस्वरूप ऐल्किल हैलाइड (II) अधिक त्रिविम बाधा अनुभव करता है, अतएव SN 2 अभिक्रिया में (I), (II) की तुलना में अधिक तीव्रता से क्रिया करेगा।
Answer - 9 : -
SN 1 अभिक्रिया में हैलोजेन यौगिकों की क्रियाशीलता आयनन के परिणामस्वरूप निर्मित कार्बोधनायन के स्थायित्व पर निर्भर करती है। स्थायित्व का क्रम तृतीयक > द्वितीयक > प्राथमिक है। अत:(i) (a) 3° ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 2° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएव (a) SN 1अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।(ii) (a) 2° ऐल्किल क्लोराइड है जबकि (b) 1° ऐल्किल क्लोराइड है। अतएव 2° ऐल्किल क्लोराइड sN 1 अभिक्रिया में अधिक क्रियाशील है।
Answer - 10 : -