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Chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख Solutions

Question - 1 : -
छोटे चौकोने खेत को कागज़ का पन्ना कहने में क्या अर्थ निहित है?

Answer - 1 : -

चौकोने खेत तथा कागज़ के पन्ने में कवि को बहुत-सी समानताएँ दिखाई देती हैं। दोनों का आकार चौकोना है। अर्थात दोनों के चार कोने होते हैं। एक की जुताई होती है तथा एक में लिखाई होती है। एक में बीज डाले जाते हैं, तो दूसरे में शब्द लिखे जाते हैं। एक में बीज से फसल स्वरूप लेती है, तो दूसरे में रचना रूपी फसल होती है। यही कारण है कि छोटे चौकोने खेत को कागज़ के पन्ने के समान बताया गया है।

Question - 2 : -
रचना के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या हैं?

Answer - 2 : -

रचना के संदर्भ में बीज कवि के मन में उत्पन्न होने वाला विचार है तथा इस विचार से उत्पन्न आँधी को ही अँधड़ कहा गया है। रचना का निर्माण करते समय एक कवि के मन में विचार उत्पन्न होता है। यह विचार बीज के समान कविता में उतरता है। जब एक शब्द दूसरे शब्द से मिलता है, तो यह रचना का रूप ले लेता है। इसी विचारों की आँधी को अंधड़ कहा गया है, तो कुछ भी कर गुजरने में सक्षम है।

Question - 3 : -
रस का अक्षयपात्र  से कवि ने रचनाकर्म की किन विशेषताओं की और इंगित किया है?

Answer - 3 : -

कवि के अनुसार कोई भी रचना को पढ़कर, उसका आनंद कभी समाप्त नहीं होता है। यह रचना रूप में सदियों तक लोगों के दिलों, मुख तथा भाषा के इतिहास रूप में हमेशा जीवित रहती है। इनका अस्तित्व सदैव विद्यमान रहता है। किसी भी युग के पाठक इसका आनंद बिना किसी कठिनाई के ले सकते हैं। ये प्रसन्नता और आनंद दोनों देती हैं।  आप जितनी बार उसे पढ़ते जाओगे, इसका रस समाप्त होने में नहीं आएगा। यह रस देती जाएगी। यह द्रौपदी के अक्षयपात्र के समान है। सूर्य ने द्रौपदी को ऐसा अक्षयपात्र दिया था, जिसमें भोजन कभी समाप्त नहीं होता था। अतः कवि ने रचना के रस की तुलना अक्षयपात्र से की है।

Question - 4 : - व्याख्या करें-

Answer - 4 : -

1. शब्द के अंकुर फूटे,

पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

2. रोपाई क्षण की,
कटाई अनंतता की
लुटते रहने से ज़रा भी नहीं कम होती।

उत्तर

1. कवि कहता है कि एक रचना के निर्माण में शब्दों का विशेष महत्व होता है। कागज़ रूपी खेत में शब्द बीज के समान फूटते हैं। ये शब्द हृदय से होकर पन्नों पर चित्रित हो जाते हैं। अंकुर से निकला पौधा नए-नए पत्तों तथा फूलों के भार से झुकने लगता है। इसके साथ ही वह एक नया स्वरूप पाता है। इस तरह एक रचना अपना आकार पाती है।
 

2.  कवि यहाँ रचना की विशेषता बताता है कि रचना के निर्माण करते समय बस एक बार विचार करके लिखने की आवश्यकता होती है। जब यह विचार शब्दों के रूप में अंकुरित की तरह फूट पड़ते हैं और रचना का रूप धारण कर लेते हैं और धीरे-धीरे फसल का आकार लेते हैं। तब ये लोगों को जो रसास्वादन करवाते हैं कि सदियों-सदियों तक लोगों के दिलों, समाज तथा विश्व में प्रसारित हो जाती हैं। ये साहित्य के रूप में बदलकर सदैव के लिए अमर हो जाते हैं। इसे जितना भी पढ़ो यह समाप्त नहीं होती।

Question - 5 : -
शब्दों के माध्यम से जब कवि दृश्यों, चित्रों, ध्वनि-योजना अथवा रूप-रस-गंध को हमारे ऐन्द्रिक अनुभवों में साकार कर देता है तो बिंब का निर्माण होता है। इस आधार पर प्रस्तुत कविता से बिंब की खोज करें।

Answer - 5 : -

कवि ने बिंबों की सुंदर योजना की है। अपने भावों को प्रस्तुत करने के लिए बिंबों का सहारा उमाशंकर जोशी ने लिया है। कुछ बिंब निम्नलिखित हैं

प्रकृति बिंब

छोटा मेरा खेत चौकोना।
कोई अंधड़ कहीं से आया।
शब्द के अंकुर फैंटे।
पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
झूमने लगे फल।
नभ में पाँती बँधे बगुलों के पाँख।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आँखें।

Question - 6 : -
जहाँ उपमेय में उपमान का आरोप हो, रूपक कहलाता हैं। इस कविता में से रूपक का चुनाव करें।

Answer - 6 : -

(i) भावोंरूपी आँधी।
(ii) विचाररूपी बीज।
(iii) पल्लव-पुष्पों से नमित हुआ विशेष।
(iv) कजरारे बादलों की छाई नभ छाया।
(v) तैरती साँझ की सतेज श्वेत काया।

Question - 7 : -
‘छोटा मेरा खेत’ कविता में कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र क्यों कहा है?

Answer - 7 : -

कवि ने खेत को रस का अक्षय पात्र इसलिए कहा है क्योंकि अक्षय पात्र में रस कभी खत्म नहीं होता। उसके रस को जितना बाँटा जाता है, उतना ही वह भरता जाता है। खेत की फसल कट जाती है, परंतु वह हर वर्ष फिर उग आती है। कविता का रस भी चिरकाल तक आनंद देता है। यह सृजन-कर्म की शाश्वतता को दर्शाता है।

Question - 8 : -
‘छोटा मेरा खेत’ कविता का रूपक स्पष्ट कीजिए ?

Answer - 8 : -

इस कविता में कवि ने कवि-कर्म को कृषि के कार्य के समान बताया है। जिस तरह कृषक खेत में बीज बोता है, फिर वह बीज अंकुरित, पल्लवित होकर पौधा बनता है तथा फिर वह परिपक्व होकर जनता का पेट भरता है। उसी तरह भावनात्मक आँधी के कारण किसी क्षण एक रचना, विचार तथा अभिव्यक्ति का बीज बोया जाता है। यह विचार कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है तथा रचना का रूप ग्रहण कर लेता है। इस रचना के रस का आस्वादन अनंतकाल तक लिया जा सकता है। साहित्य का रस कभी समाप्त नहीं होता।

Question - 9 : -
कवि को खेत का रूपक अपनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

Answer - 9 : -

कवि का उद्देश्य कवि-कर्म को महत्ता देना है। वह कहता है कि काव्य-रचना बेहद कठिन कार्य है। बहुत चिंतन के बाद कोई विचार उत्पन्न होता है तथा कल्पना के सहारे उसे विकसित किया जाता है। इसी प्रकार खेती में बीज बोने से लेकर फसल की कटाई तक बहुत परिश्रम किया जाता है। इसलिए कवि को खेत का रूपक अपनाने की जरूरत पड़ी।

Question - 10 : -
छोटा मेरा खेत हैं कविता का उद्देश्य बताइए। 

Answer - 10 : -

कवि ने रूपक के माध्यम से कवि-कर्म को कृषक के समान बताया है। किसान अपने खेत में बीज बोता है, वह बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है तथा पकने पर उससे फल मिलता है जिससे लोगों की भूख मिटती है। इसी तरह कवि ने कागज को अपना खेत माना है। इस खेत में भावों की आँधी से कोई बीज बोया जाता है। फिर वह कल्पना के सहारे विकसित होता है। शब्दों के अंकुर निकलते ही रचना स्वरूप ग्रहण करने लगती है तथा इससे अलौकिक रस उत्पन्न होता है। यह रस अनंतकाल तक पाठकों को अपने में डुबोए रखता है। कवि ने कवि-कर्म को कृषि-कर्म से महान बताया है क्योंकि कृषि-कर्म का उत्पाद निश्चित समय तक रस देता है, परंतु कवि-कर्म का उत्पाद अनंतकाल तक रस प्रदान करता है।

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