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Chapter 13 काले मेघा पानी दे Solutions

Question - 1 : -
लोगों ने लड़कों की टोली को मेढक – मंडली नाम किस आधार पर दिया ? यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहकर क्यों बुलाटी थी ?

Answer - 1 : -

लोग जब इन लड़कों की टोली को कीचड़ में धंसा देखते, उनके नंगे शरीर को, उनके शोर शराबे को तथा उनके कारण गली में होने वाली कीचड़ या गंदगी को देखते हैं तो वे इन्हें मेढक-मंडली कहते हैं। लेकिन बच्चों की यह टोली अपने आपको इंदर सेना कहती थी क्योंकि ये इंदर देवता को बुलाने के लिए लोगों के घर से पानी माँगते थे और नहाते थे। प्रत्येक बच्चा अपने आपको इंद्र कहता था इसलिए यह इंदर सेना थी।

Question - 2 : -
जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने को किस तरह सही ठहराया?

Answer - 2 : -

जीजी ने इंदर सेना पर पानी फेंके जाने के समर्थन में कई तर्क दिए जो निम्नलिखित हैं –

1 किसी से कुछ पाने के लिए पहले कुछ चढ़ावा देना पड़ता है। इंद्र को पानी का अध्र्य चढ़ाने से ही वे वर्षा के जरिये पानी देंगे।
2 त्याग भावना से दिया गया दान ही फलीभूत होता है। जिस वस्तु की अधिक जरूरत है, उसके दान से ही फल मिलता है। पानी की भी यही स्थिति है।
3 जिस तरह किसान अपनी तरफ से पाँच-छह सेर अच्छे गेहूँ खेतों में बोता है ताकि उसे तीस-चालीस मन गेहूँ मिल सके, उसी तरह पानी की बुवाई से बादलों की अच्छी फसल होती है और खूब वर्षा होती है।

Question - 3 : -
‘पानी दे ,गुड़धनी दे’ मेघों से पानी के साथ – साथ गुड़धनी की माँग क्यों की जा रहा है ?

Answer - 3 : -

‘गुड़धानी’ शब्द का वैसे तो अर्थ होता है गुड़ और चने से बना लड्डू लेकिन यहाँ गुड़धानी से आशय ‘अनाज’ से है। बच्चे पानी की माँग तो करते ही हैं लेकिन वे इंदर से यह भी प्रार्थना करते हैं कि हमें खुब अनाज भी देना ताकि हम चैन । से खा पी सकें। केवल पानी देने से हमारा कल्याण नहीं होगा। खाने के लिए अन्न भी चाहिए। इसलिए हमें गुड़धानी भी दो।।

Question - 4 : -
‘गगरी फूटी बैल पियासा’ से लेखक का क्या आशय हैं?

Answer - 4 : -

इंदर सेना गाती है – काले मेधा पानी दे, गगरी फूटी बैल पियास। इस पंक्ति में ‘बैल’ को प्रमुखता दी गई है। ‘बैल’ ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा है। कृषि-कार्य उसी पर आधारित है। वह खेतों को जोतकर अन्न उपजाता है। उसके प्यासे रहने से कृषि-कार्य बाधित होता है। कृषि ठीक ढंग से न हो मजवनासुव नाह ह सकता। इस कण दि सेना के इसा खेलतमें बैलो के प्यासा एनेक बात मुक्त हुई है।

Question - 5 : -
इंदर सेना सबसे पहले गा मैया की जय क्यों बोलती हैं? नदियों का भारतीय सामाजिक, सांस्कृतिक परिवेश में क्या महत्व हैं?

Answer - 5 : -

गंगा माता के समान पवित्र और कल्याण करने वाली है। इसलिए बच्चे सबसे पहले गंगा मैया की जय बोलते हैं। भारतीय संस्कृति में नदी को माँ’ की तरह पूजने वाली बताया गया है। सभी नदियाँ हमारी माताएँ हैं। भारतीय सांस्कृतिक परिवेश में सभी नदियाँ पवित्रता और कल्याण की मूर्तियाँ हैं। ये हमारी जीवन की आधार हैं। इनके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय समाज गंगा और अन्य नदियों को धारित्री बताकर उनकी पूजा करता है ताकि इनकी कृपा बनी रहे।

Question - 6 : -
“रिश्तों में हमारी भावना – शक्ति का बँट जाना ,विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजनी हमारी बुदिध की शक्ति को कमज़ोर करती है। ” पाठ में जीजी लेखक की भावना के संदर्ब में इस कथन के ओचित्य की समीक्षा कीजिए ?

Answer - 6 : -

यह कथन पूर्णत: सत्य है। रिश्तों में हमारी भावना-शक्ति बँट जाती है। ऐसे में विश्वासों के जंगल में सत्य की राह खोजती हमारी बुद्धि की शक्ति कमजोर हो जाती है। इस पाठ में जीजी लेखक को बेपनाह स्नेह करती हैं। वे अनेक तरह की धार्मिक क्रियाएँ लेखक से करवाती थीं जिन्हें लेखक अंधविश्वास मानता था। इंदर सेना पर पानी फेंकने से मना करने पर जीजी अपने तर्क देती हैं। लेखक उन तकों की काट नहीं दे पाता, क्योंकि उन तकों के पीछे भावनात्मक लगाव था। भावना में जीवन के अनेक सत्य छिप जाते हैं तो कुछ प्रकट हो जाते हैं। बुद्धि शुष्क होती है तथा तर्क पर आधारित होती है। भावना में तर्क का स्थान नहीं होता, वहाँ विश्वास ही प्रमुख होता है। विश्वास खंडित होने पर रिश्ते समाप्त हो जाते हैं तथा समाज का ढाँचा बिखर जाता है।

Question - 7 : -
क्या इंदर सेना आज के युवा वय का प्रेरणा-स्रोत हो सकती हैं? क्या आपके स्मृति-कोश में ऐसा कोई अनुभव हैं जब युवाओं ने संगठित होकर समाजोपयोगी रचनात्मक कार्य किया हो? उल्लेख करें?

Answer - 7 : -

इंदर सेना आज के युवा वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत बन सकती है। इंदर सेना के कार्यों को देखकर कोई भी युवा सामाजिक कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकता है। हमारे मुहल्ले में भी पिछले दिनों कुछ युवाओं ने ऐसा ही कार्य किया। एक गरीब बुढ़िया बहुत बीमार हो गई। उसके इलाज पर दस हजार रुपए का खर्चा था। उस बुढ़िया के पास तो दो सौ रुपए मिले। देखते ही देखते लगभग 12,000 रुपए इकट्ठे हो गए। इस प्रकार बुढ़िया का इलाज हो गया। वह बीमारी से निजात पा चुकी थी।

Question - 8 : -
तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह बहुत महत्वपूर्ण हैं, पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास क्यों भर देता हैं?

Answer - 8 : -

तकनीकी विकास के दौर में भी भारत की अर्थव्यवस्था कृषि पर निर्भर है। कृषि-समाज में चैत्र, वैशाख सभी माह महत्वपूर्ण हैं, पर आषाढ़ का चढ़ना उनमें उल्लास भर देता है। इसका कारण यह है कि इस महीने में अधिकतर वर्षा होती है और किसानों को आशा की नयी किरण दिखने लगती है। जमीन की प्यास बुझती है तथा खेत बुवाई के लिए तैयार हो जाते हैं। खेतों में धान की रोपाई होती है तथा इस समय उल्लास छा जाता है। गरमी से राहत मिलने, पानी की कमी दूर होने, कृषि-कार्य के प्रारंभ होने आदि से गाँवों में प्रसन्नता का माहौल बन जाता है।

Question - 9 : -
पाठ के संदर्भ में इसी पुस्तक में दी गई निराला की कविता ‘बदल राग’ पर विचार कीजिए और बताइए कि आपके जीवन में बादलों की क्या भूमिका है ?

Answer - 9 : -

बादल हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। बादलों के बिना जीवन की कल्पना करना असंभव है बादलों के आकाश में छा जाने से सभी का मन प्रसन्न हो जाता है। बादल यदि अपने निर्धारित समय पर बरसते हैं तो खूब धन धान्य होता है। खेत फसलों से लहलहा उठते हैं। अतः बादल हमारे जीवन के आधार हैं।

Question - 10 : -
त्याग तो वह होता...... उसी का फल मिलता है। अपने जीवन के किसी प्रसंग से इस सूक्ति की सार्थकता समझाइए।

Answer - 10 : -

त्याग का भाव ही महान होता है। सभी धर्म इसलिए त्याग के लिए प्रेरित करते हैं। त्याग क्या है? किसी की भलाई के लिए अपने स्वार्थ को छोड़कर किसी ओर को दे देना का भाव ही त्याग है। यह भावना जिस व्यक्ति के अंदर है, वह मानवता की जिंदा मिसाल है।

हमारे घर के पास एक रिटायर्ड शर्मा अंकल रहते हैं। उन्होंने अपने घर के बाहर चार बड़े मटके रखे हुए हैं। वह सुबह उठकर उन्हें साफ करते हैं और उनमें पानी भर देते हैं। उस स्थान की साफ़-सफ़ाई का वे स्वयं ध्यान रखते हैं। वहाँ पर गंदगी का नामोनिशान नहीं होता। पेड़ की छाँव में ठंडा पानी मिलना अपने में सुखद अनुभव है। पूरे दिन वहाँ से लोग आते-जाते हुए पानी पीते हैं। हमारे यहाँ सीधी पानी की सप्लाई नहीं है। हम सप्ताह में एक बार कई टैंक पानी मँगवाते हैं और उनसे हमारे यहाँ की मुख्य पानी की टंकी में पानी डाल दिया जाता है। उससे ही हमारे घरों में पानी की सप्लाई होती है। अंकल के द्वारा पानी के मटके भरकर रखने में कई लोगों को इतराज़ था। अतः अंकल ने अपने लिए एक छोटा टैंक मँगवाना आरंभ कर किया। अंकल इसके लिए अलग से पैसे स्वयं दिया करते थे। उनका परिवार इस बात से बहुत नाराज़ था। हमें बाद में पता चला कि अंकल गर्मी में स्वयं दूर-दूर का सफ़र साइकिल से सिर्फ इसलिए किया करते थे कि पानी के टैंक के पैसे खर्च न हो जाएँ। लोग गर्मी में उनके रखे मटकों से पानी पीते और धन्यवाद करते। कोई नहीं जानता था कि इसके लिए वह कितना बड़ा त्याग कर रहे हैं। एक बार हमारे यहाँ के एम.एल.ए. आए। उन्हें पानी की आवश्यकता थी कुछ संजोग ऐसा बन पड़ा कि उनकी गाड़ी वहीं रूकी। एम.एल.ए. साहब चूंकि स्वयं ग्राम भूमि से जुड़े हुए थे, तो मटके से जल पीने के लिए लालायित हो उठे। मटकों से पानी पीकर उन्होंने अपनी प्यास बुझाई। वह यह जानने के उत्सुक हो गए कि किसने इस प्रकार की व्यवस्था की हुई है। तब पता चला कि यह व्यवस्था शर्मा अंकल ने की है। जब उन्हें पता चला कि अंकल अपनी जेब से इसके इंतज़ाम के लिए पैसा खर्च करते हैं, तो उन्होंने अंकल के लिए अलग से एक पानी के टैंक की व्यवस्था करवा दी। उसका सारा खर्चा उन्होंने स्वयं वहन करना स्वीकार किया। आज उस स्थान पर अंकल के नाम से एक पक्का प्याऊ बनवाया गया है। जहाँ पर और भी मटके हैं। हमारे यहाँ के लोगों ने अपने व्यवहार के लिए अंकल से माफी माँगी। आज वह स्थान अंकल के नाम से जाना जाता है। अंकल के त्याग ने उन्हें फल के रूप में सुंदर उपहार दिया।

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