The Total solution for NCERT class 6-12
Answer - 1 : -
पौधे जो शुष्क ट्रॉपिकल क्षेत्रों के लिए अनुकूलित होते हैं उनमें C4पथ पाया जाता है अन्यथा C3तथा C4पौधों में बाह्य आकारिकी लगभग समान होती है।
Answer - 2 : - पत्तियों की आन्तरिक संरचना(vertical section) को देखकर C3तथा C4पौधों को पहचाना जा सकता है। C4पौधों की पत्तियों की शारीरिकी(anatomy) क्रान्ज प्रकार(Kranz type) की होती है। जर्मन भाषा में क्रान्ज शब्द का तात्पर्य माला(wreath) या छल्ला(ring) है। पत्तियों के पर्णमध्योतक(mesophyll) में खम्भ ऊतक(palisade tissue) नहीं होता। संवहन बण्डल के चारों ओर गोल मृदूतक कोशिकाएँ पर्यों के रूप में व्यवस्थित होती हैं। पत्तियों के संवहन बण्डल के चारों ओर पूलाच्छद(bundle sheath) होता है। ये कोशिकाएँ बड़ी होती हैं। पुलाच्छद की कोशिकाओं में हरितलवक बड़े होते हैं तथा उनमें ग्रैना कम विकसित होते हैं अथवा अनुपस्थित होते हैं, जबकि पर्ण मध्योतक कोशिकाओं में हरितलवक छोटे होते हैं। इनमें ग्रेना विकसित होते हैं। अत: C4 पौधों की पत्तियों में द्विरूपी हरितलवक(dirmorphic chloroplast) पाए जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण प्रक्रम में वर्णक तन्त्र IIका अभाव होता है।
C3 पौधों की पत्तियों की शारीरिकी(anatomy) क्रान्ज प्रकार की नहीं होती। इसकी पत्तियों में पर्णमध्योतक में खम्भ ऊतक पाया जाता है। सभी कोशिकाओं में एक ही प्रकार के हरितलवक पाए। जाते हैं। प्रकाश संश्लेषण तन्त्र में दोनों वर्णक तन्त्र पाए जाते हैं।
Answer - 3 : -
C4 पौधों में दो प्रकार के क्लोरोप्लास्ट मिलते हैं। मीसोफिल का क्लोरोप्लास्ट CO2 वातावरण से लेता है। यह बहुत क CO2 सान्द्रता को भी आसानी से अवशोषित कर सकता है। यहाँ तक कि जब रन्ध्र लगभग बन्द होते हैं तब भी CO2 का अवशोषण कर सकता है। अतः CO2 की आवश्यकता निरन्तर बनी रहती है, अतः इसलिए इनकी उत्पादकता उच्च होती है।
Answer - 4 : -
कैल्विन चक्र (CalvinCycle) में CO2 ग्राही RuBP से क्रिया करके 3-फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) के 2 अणु बनाता है। यह क्रिया रुबिस्को(RUBISCO) के द्वारा उत्प्रेरित होती है
RuBP + CO2 +H2O → 2 (3 PGA)
रुबिस्को संसार में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाने वाला प्रोटीन (एन्जाइम) है। यह O2 तथा CO2 दोनों से बन्धित हो सकता है। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिए अधिक बन्धुता होती है, लेकिन आबन्धता O2 तथा CO2 की सापेक्ष सान्द्रता पर निर्भर करती है। C3पौधों में कुछ O2 रुबिस्को से बन्धित हो जाने के कारण CO2 का यौगिकीकरण कम हो जाता है; क्योंकि रुबिस्को O2 से बन्धित होकर फॉस्फो ग्लाइकोलेट अणु बनाता है। इस प्रक्रम को प्रकाश श्वसन(photorespiration) कहते हैं। प्रकाश श्वसन के कारण शर्करा नहीं बनती और न ही ऊर्जा ATP के रूप में संचित होती है। C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता। C4 पौधों में पर्णमध्योतक का मैलिक अम्ल पूलाच्छद में टूटकर पाइरुविक अम्ल तथा CO2 बनाता है। इसके फलस्वरूपे CO2 की सान्द्रता बढ़ जाती है और रुबिस्को एक कार्बोक्सिलेस(carboxylase) के रूप में ही कार्य करता है। इसके फलस्वरूप उत्पादकता बढ़ जाती है। यहाँ रुबिस्को ऑक्सीजिनेस (oxygenase) का कार्य नहीं करता।
Answer - 5 : -
क्लोरोफिल ‘बी’, जैन्थोफिल तथा कैरोटिन सहायक वर्णक(accessory pigments) होते हैं। ये प्रकाश को अवशोषित करके, ऊर्जा को क्लोरोफिल ‘ए’ को स्थानान्तरित कर देते हैं। वास्तव में ये वर्णक प्रकाश संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्घ्य के क्षेत्र को बढ़ाने का कार्य करते हैं और क्लोरोफिल ‘ए’ को फोटो ऑक्सीडेशन (photo oxidation) से बचाते हैं। क्लोरोफिल ‘ए’ प्रकाश संश्लेषण में प्रयुक्त होने वाला मुख्य वर्णक है। अतः क्लोरोफिल ‘ए’ की कमी वाले पौधों में प्रकाश संश्लेषण प्रभावित होगा।
Answer - 6 : -
पौधे के हरे भागों में हरितलवक पाया जाता है। हरितलवक की उपस्थिति में पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा भोजन का संश्लेषण करते हैं। पौधे के अप्रकाशिक भागों में अवर्णीलवक पाया जाता है। प्रकाश की उपस्थिति में अवर्णीलवक हरितलवक में बदल जाता है। हरितलवक की ग्रैना पटलिकाओं में पर्णहरित, कैरोटिनॉयड्स(carotenoids) पाए जाते हैं। कैरोटिनॉयड्स दो प्रकार के होते हैं जैन्थोफिल (xanthophyll) तथा कैरोटिन (carotene)। ये क्रमश: पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक होती है। प्रकाश का अवशोषण या प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करने का कार्य मुख्य रूप से पर्णहरित करता है। पौधे को अन्धकार में रख देने पर प्रकाश संश्लेषण क्रिया अवरुद्ध हो जाती है। पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं तो इसके फलस्वरूप पत्तियों में पाए जाने वाले पर्णहरित का विघटन प्रारम्भ हो जाता है। इसके फलस्वरूप पत्तियाँ कैसेटिनॉयड्स के कारण पीली या हरी-पीली दिखाई देने लगती हैं। कैरोटिनॉयड्स पर्णहरित की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।
Answer - 7 : - जब हम पत्ती की पृष्ठ सतह को देखते हैं तो यह अधर तल की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली दिखाई देती है। इसी प्रकार धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ छाया में रखे हुए गमले की पत्तियों की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की और चमकीली प्रतीत होती हैं। इसका कारण यह है कि पृष्ठ तल पर अधिचर्म (epidermis) के नीचे खम्भ ऊतक (palisade tissue) पाया जाता है। खम्भ ऊतक में हरितलवक अधिक मात्रा में पाया जाता है। खम्भ ऊतक प्रकाश संश्लेषण के लिए विशिष्टीकृत कोशिकाएँ होती हैं। धूप में रखे गमले की पत्तियाँ छाया में रखे गमले की अपेक्षा अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं। पत्तियों के अधिक गहरे रंग का होने का मुख्य कारण कोशिकाओं में पर्णहरित की मात्रा अधिक होती है क्योंकि पर्णहरित निर्माण के लिए प्रकाश एक महत्त्वपूर्ण कारक होता है। इसके अतिरिक्त प्रकाश संश्लेषण के कारण पृष्ठ सतह की कोशिकाओं में अधिक स्टार्च का निर्माण होता है।
Answer - 8 : -
Answer - 9 : -