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Chapter 5 अक्षरों का महत्व Solutions

Question - 1 : -
पाठ में ऐसा क्यों कहा गया है कि अक्षरों के साथ एक नए युग की शुरुआत हुई?

Answer - 1 : -

अक्षरों की खोज के बाद विचारों को लिखने की प्रक्रिया आरंभ हुई। अपने पूर्वजों के ज्ञान और अनुभव आने वाली पीढ़ियों को लिखित रूप में प्राप्त होने लगे। इससे उनके विकास की गति तेज हुई। इतिहास का आरंभ हुआ। मनुष्य सभ्य कहलाने लगा। इस प्रकार एक नए युग की शुरुआत हुई।

Question - 2 : -
अक्षरों की खोज का सिलसिला कब और कैसे शुरू हुआ? पाठ पढ़कर उत्तर लिखो।

Answer - 2 : -

सबसे पहले प्रागैतिहासिक मानव ने अपने भावों को व्यक्त करने के लिए चित्र-संकेतों का सहारा लिया। ये चित्र संकेत बाद में भाव संकेतों में बदल गए। जैसे एक गोले के चारों ओर रेखाएँ खींच कर बनाया गया सूर्य का चित्र ताप और धूप दर्शाने लगा। | भाव को व्यक्त करने का यह प्रयास आगे चल कर अक्षरों की खोज में परिणत हुआ। यह खोज मुश्किल से छह हजार साल पुरानी है।

Question - 3 : -
अक्षरों के ज्ञान से पहले मनुष्य अपनी बात को दूर-दराज के इलाकों तक पहुँचाने के लिए किन-किन माध्यमों का सहारा लेता था?

Answer - 3 : -

अक्षरों के ज्ञान से पहले मनुष्य चित्र संकेतों के सहारे अपने भाव व्यक्त करता था। इन्हीं चित्र संकेतों के माध्यम से वह दूर-दराज के इलाकों तक अपनी बात पहुँचाया करता था। जैसे पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। बाद में इन चित्रों ने भाव संकेतों का रूप ले लिया और मनुष्य इनके माध्यम से अपनी बात पहुँचाने लगा।

Question - 4 : -
अक्षरों के महत्त्व की तरह ध्वनि के महत्व के बारे में जितना जानते हो, लिखो।

Answer - 4 : -

अक्षरों द्वारा लिखकर अपने भाव व्यक्त किए जाते हैं, जबकि ध्वनि द्वारा बोलकर। मौखिक भाषा का आधार ध्वनि ही है। पहले ध्वनि पैदा हुई, उसके बाद अक्षर। ध्वनि के बल पर ही अनपढ़ व्यक्ति भी विचार-विनिमय कर लेता है। अतः ध्वनि ही अभिव्यक्ति का मूल आधार है। अक्षर ध्वनि का ही अनुकरण है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अक्षर और ध्वनि भाषा के दोनों रूपों-लिखित और मौखिक भाषा के आधार स्तंभ हैं। अक्षरों के बिना लिखा नहीं जा सकता और ध्वनियों के बिना बोलने की कल्पना नहीं की जा सकती है।

Question - 5 : -
मौखिक भाषा का जीवन में क्या महत्त्व होता है? इस पर शिक्षक के साथ कक्षा में बातचीत करो।

Answer - 5 : -

मौखिक भाषा भावों को व्यक्त करने का मुख्य साधन है। यदि हम अपने प्रतिदिन के व्यवहार पर नजर डालें, तो पाएँगे कि असंख्य बार मौखिक भाषा के प्रयोग द्वारा अक्षरों का महत्त्व ही अपनी बात हम दूसरों तक पहुँचाते हैं। मौखिक भाषा द्वारा बोलकर छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी बात दूसरों को बताई जा सकती है। इसके प्रयोग के बिना हम किसी मूक और बधिर व्यक्ति के ही समान हैं, जो बोल-सुन नहीं सकता। मौखिक भाषा की महत्ता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि हर बात लिखकर नहीं बताई जा सकती। इसके अतिरिक्त लिखित भाषा का प्रयोग सीखने में समय लगता है, जबकि मौखिक भाषा का प्रयोग तो संसार का प्रत्येक बच्चा तब से करता है, जब वह बोलना शुरू करता है।

Question - 6 : -
हर वैज्ञानिक खोज के साथ किसी-न-किसी वैज्ञानिक का नाम जुड़ा होता है, लेकिन अक्षरों के साथ ऐसा नहीं है, क्यों? पता करो और शिक्षक को बताओ।

Answer - 6 : -

हर वैज्ञानिक खोज किसी न किसी खास वैज्ञानिक की देन है, इसलिए उसके साथ उस वैज्ञानिक का नाम जुड़ा है। परंतु अक्षरों की खोज किसी व्यक्ति विशेष की देन नहीं है। यह मानव जाति के सम्मिलित प्रयास का परिणाम है। अक्षरों की खोज एक दिन में नहीं हुई, इसका क्रमिक विकास हुआ। मानव जाति ने कई असफल प्रयासों के बाद धीरे-धीरे अक्षरों का निर्धारण किया और उसका प्रयोग सीखा।

Question - 7 : -
एक भाषा को कई लिपियों में लिखा जा सकता है। उसी तरह कई भाषाओं को एक ही लिपि में लिखा जा सकता है। नीचे एक ही बात को अलग-अलग भाषाओं में लिखा गया है। इन्हें ध्यान से देखो और इनमें दिए गए वर्गों की मदद से कोई नया शब्द बनाने की कोशिश करो

Answer - 7 : -

नदिया, नया, नशा, दिया, नक्शा, दिशा आदि।
अन्य शब्द ‘छात्र’ स्वयं बनाएँ।

Question - 8 : -
पुराने ज़माने के लोग यह क्यों सोचते थे कि अक्षर और भाषा की खोज ईश्वर ने की थी? अनुमान लगाओ और बताओ।

Answer - 8 : -

पुराने जमाने के लोग नहीं जानते थे कि अक्षरों की खोज किसने की है। ईश्वर में उनकी आस्था थी। वे ईश्वर को सर्वशक्तिमान मानते थे। यही कारण है कि जिस चीज की उत्पत्ति के विषय में वह कुछ नहीं जानते थे, उसे ईश्वर की देन मान लेते थे।

Question - 9 : -
अक्षरों के महत्त्व के साथ ही मनुष्य के जीवन में गीत, नृत्य और खेलों का भी महत्त्व है। कक्षा में समूह में बातचीत करके इनके महत्त्व के बारे में जानकारी इकट्ठी करो और कक्षा में प्रस्तुत करो।।

Answer - 9 : -

गीत-संगीत, नृत्य और खेल मन बहलाव के साधन हैं। गीत और नृत्य तो किसी समाज की लोक संस्कृति को भी प्रदर्शित करते हैं। इनसे और खेलों के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों का व्यायाम भी होता है। ये शरीर और मस्तिष्क के विकास में सहायक होते हैं। ये मनुष्य को भावनात्मक रूप से मजबूत भी बनाते हैं। इनके बिना जीवन नीरस और उबाऊ हो जाएगा। इस प्रकार हमें इनके महत्त्व का पता चलता है।

Question - 10 : -
क्या होता अगर….
(क) हमारे पास अक्षर न होते
(ख) भाषा न होती

Answer - 10 : -

(क) यदि हमारे पास अक्षर न होते तो आज हम इतने विकसित न होते। हमें हमारे इतिहास का कुछ पता नहीं होता। हमारे पूर्वजों ने कब, किस दौर में, कैसे अपना जीवनयापन किया-हम नहीं जान पाते। उनके विचार, ज्ञान और अनुभव का लाभ भी हमें नहीं मिल पाता। मानव जाति का विकास अवरुद्ध हो जाता और हम वहाँ तक नहीं पहुँच पाते, जहाँ आज हैं।

(ख) भाषा भावों को प्रकट करने का साधन है। यदि भाषा न होती, तो मन के भावों को व्यक्त करने का माध्यम न मिलता। लोग एक दूसरे को अपनी बात कह नहीं पाते और उनमें अलगाव बना रहता। जैसे पशु साथ रह कर भी अलग रहते हैं, वैसी ही स्थिति मनुष्य की भी होती।

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