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Chapter 4 कैमरे में बंद अपाहिज Solutions

Question - 1 : -
कविता में कुछ पंक्तियाँ कोष्टकों में रखी गइ हैं! आपकी समझ में इसका क्या औचित्य है?

Answer - 1 : -

कविता में निम्नलिखित पंक्तियाँ कोष्ठक में दी गई हैं –
“कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा।”
“हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा?”
“यह अवसर खो देंगे।”
“यह प्रश्न पूछा नहीं जाएगा।”
“आशा है आप उसे उसकी अपंगता की पीड़ा मानेंगे।”
“कैमरा बस करो …… परदे पर वक्त की कीमत है।”
“बस थोड़ी ही कसर रह गई।”
इन सभी पंक्तियों से यही अर्थ निकलता है कि मीडिया के लोगों के पास संवेदनाएँ नहीं हैं। यदि इन पंक्तियों को कवि नहीं लिखता तो कविता का मूलभाव स्पष्ट नहीं हो पाता। इसलिए कोष्ठक में दी गई इन पंक्तियों के कारण शारीरिक और मानसिक अपंगता का पता चलता है।

Question - 2 : -
‘कैमरे में बंद अपाहिज’करुणा के मुखौटे में छिपी क्रूरता की कविता हैं-विचार कीजिए।

Answer - 2 : -

यह कविता अपनेपन की भावना में छिपी क्रूरता को व्यक्त करती है। सामाजिक उद्देश्यों के नाम पर अपाहिज की पीड़ा को जनता तक पहुँचाया जाता है। यह कार्य ऊपर से करुण भाव को दर्शाता है परंतु इसका वास्तविक उद्देश्य कुछ और ही होता है। संचालक अपाहिज की अपंगता बेचना चाहता है। वह एक रोचक कार्यक्रम बनाना चाहता है ताकि उसका कार्यक्रम जनता में लोकप्रिय हो सके। उसे अपंग की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं है। यह कविता यह बताती है कि दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले इस प्रकार के अधिकांश कार्यक्रम कारोबारी दबाव के कारण संवेदनशील होने का दिखावा करते हैं। इस तरह दिखावटी अपनेपन की भावना क्रूरता की सीमा तक पहुँच जाती है।

Question - 3 : -
“हम समर्थ श्यक्तिवान और हम एक दुर्बल को लाएँगे’ पंक्ति के माध्यम से कवि ने क्या व्यंग्य किया हैं?

Answer - 3 : -

इस पंक्ति के माध्यम से कवि ने यही व्यंग्य किया है कि मीडिया वाले समर्थ और शक्तिशाली होते हैं। इतने शक्तिशाली कि वे किसी की करुणा को परदे पर दिखाकर पैसा कमा सकते हैं। वे एक दुर्बल अर्थात् अपाहिज को लोगों के सामने प्रस्तुत कर सकते हैं ताकि लोगों की सहानुभूति प्राप्त करके प्रसिद्धि पाई जा सके।

Question - 4 : -
यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दशक-दोनों एक साथ रोने लगेगे, तो उससे प्रश्नकर्ता का कॉन-सा उद्देश्य पूरा होगा?

Answer - 4 : -

कार्यक्रम-संचालक व निर्माता का एक ही उद्देश्य होता है-अपने कार्यक्रम को लोकप्रिय बनाना ताकि वह धन व प्रसिद्ध प्राप्त कर सके। इस उपलब्धि के लिए उसे चाहे कोई भी तरीका क्यों न अपनाना पड़े, वह अपनाता है। कविता के आधार पर यदि शारीरिक रूप से चुनौती का सामना कर रहे व्यक्ति और दर्शक-दोनों एक साथ रोने लगेंगे तो इससे सहानुभूति बटोरने का संचालक का उद्देश्य पूरा हो जाता है। समाज उसे अपना हितैषी समझने लगता है तथा इससे उसे धन व यश मिलता है।

Question - 5 : -
‘परदे पर वक्त की कीमत हैं’ कहकर कवि ने पूरे साक्षात्कार के प्रति अपना नजरिया किस रूप में रखा हैं?

Answer - 5 : -

कवि कहना चाहता है कि मीडिया के लोग सहानुभूति अर्जित करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि अपंग व्यक्ति के साथ-साथ दर्शक भी रोने लगे। लेकिन वे इस रोने वाले दृश्य को ज्यादा देर तक नहीं दिखाना चाहते क्योंकि ऐसा करने में उनका पैसा बरबाद होगा। समय और पैसे की बरबादी वे नहीं करना चाहते।

Question - 6 : -
यदि आपको शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो किन शब्दों में करवाएँगे?

Answer - 6 : -

यदि मुझे शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे किसी मित्र का परिचय लोगों से करवाना हो तो मैं उसके गुणों को सबसे पहले बताऊँगा। मैं उसकी कमजोरी को व्यक्त नहीं करूंगा; जैसेये मेरे मित्र रमेश शर्मा हैं जो मेरे साथ बारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं। ये बहुत प्रतिभाशाली हैं। दसवीं की परीक्षा में तो इन्होंने सातवाँ स्थान पाया था। इसके अलावा, ये कविता-पाठ बहुत सुंदर करते हैं। दुर्भाग्य से सड़क-दुर्घटना में इनकी एक टाँग जाती रही। इस कारण इन्हें बैसाखी का सहारा लेना पड़ता है, परंतु इसके कारण इनके उत्साह व जोश में कोई कमी नहीं है। पढ़ाई-लिखाई में ये पहले की तरह ही मेरी सहायता करते हैं।

Question - 7 : -
सामाजिक उददेश्य से युक्त ऐसे कार्यक्रम को देखकर आपको कैसा लगेगा? अपने विचार संक्षेप में लिखें।

Answer - 7 : -

यदि हम ऐसे कार्यक्रम देखें तो हमें बहुत दुख होगा। हमारा मन उस अपंग व्यक्ति के प्रति करुणा से भर जाएगा। हमें मीडिया के लोगों और प्रश्नकर्ता पर बहुत क्रोध आएगा क्योंकि वे लोग संवेदनहीन हो चले हैं। उनका उद्देश्य केवल पैसा कमाना है। सामाजिक उद्देश्य के कार्यक्रम के माध्यम से अपने स्वार्थों को पूरा करना ही उनकी मानसिकता है। वास्तव में ऐसे कार्यक्रम सामाजिक नहीं व्यक्तिगत और स्वार्थ पर आधारित होते हैं। ये कार्यक्रम लोगों का भावात्मक रूप से शोषण करते हैं ताकि उन्हें प्रसिद्धि मिले।

Question - 8 : -
यदि आप इस कार्यक्रम के दर्शक हैं तो टो.वी. पर ऐसे सामाजिक कार्यक्रम को देखकर एक पत्र में अपनी प्रतिक्रिया  दूरदर्शन निदेशक को भेजें।

Answer - 8 : -

कoख०ग:०
परीक्षा भवन
दिनांक- 08 मार्च 20XX
निदेशक महोदय।
दिल्ली दूरदर्शन
नई दिल्ली।
विषय-शारीरिक विकलांग से संबंधित कार्यक्रम के संबंध में प्रतिक्रिया।
महोदय
आपके प्रतिष्ठित चैनल ने दिनांक 12 जनवरी.को एक दिव्यांग से संबंधित कार्यक्रम प्रसारित किया। इस कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता द्वारा दिव्यांग से ऊट-पटांग व बेतुके प्रश्न पूछे जा रहे थे। ऐसे प्रश्नों से उसकी परेशानी कम होने की बजाय बढ़ रही थी। ऐसा लग रहा था मानो विधाता की कमी का मजाक सारी दुनिया के सामने उड़ाया जा रहा था। प्रस्तुतकर्ता हिटलरशाही तरीके से प्रश्न पूछ रहा था तथा अपंग की लाचारी को दर्शा रहा था। अत: आपसे निवेदन है कि ऐसे कार्यक्रमों को प्रसारित नहीं किया जाना चाहिए जो लोगों की भावनाओं के साथ खेलते हैं। आशा है भविष्य में आप इस तरह के कार्यक्रमों के प्रस्तुतीकरण के दौरान पीड़ित व्यक्ति की संवेदनाओं का ध्यान अवश्य रखेंगे।
धन्यवाद।
                                                                                                                                                   भवदीय,                                                                                                                                                            सौरभ

Question - 9 : -
‘कैमरे में बंद अपाहिज’ कविता के व्यंग्य पर टिप्पणी र्काजिए।

Answer - 9 : -

इस कविता में कवि ने मीडिया की ताकत के बारे में बताया है। मीडिया अपने कार्यक्रम के प्रचार व धन कमाने के लिए किसी की करुणा को भी बेच सकता है। वह ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण समाज-सेवा के नाम पर करता है परंतु उसे इस कार्यव्यापार में न तो अपाहिजों से सहानुभूति होती है और न ही उनके मान-सम्मान की चिंता। वह सिर्फ़ अपने कार्यक्रम को रोचक बनाना जानता है। रोचक बनाने के लिए वह ऊट-पटांग प्रश्न पूछता है और पीड़ित की पीड़ा को बढ़ा-चढ़ाकर बताता है।

Question - 10 : -
‘कैमरे में बद अपाहिज’ कविता को आप करुणा की कविता मानते हैं या क्रूरता की? तकसम्मत उत्तर दीजिए।

Answer - 10 : -

इस कविता को हम क्रूरता की कविता मानते हैं। यह कविता मीडिया के व्यापार व कार्यशैली पर व्यंग्य करती है। दूरदर्शन कमजोर व अशक्त वर्ग के दुख को बढ़ा-चढ़ाकर समाज के सामने प्रस्तुत करता है। वह कमजोर वर्ग की सहायता नहीं करता, अपितु अपने कार्यक्रम के जरिये वह स्वयं को समाज-हितैषी सिद्ध करना चाहता है। अत: यह कविता पूर्णत: मीडिया की क्रूर मानसिकता को दर्शाती है।

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