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Chapter 9 रुबाइयाँ, गज़ल Solutions

Question - 1 : -
शायर राखी के लच्छे को बिजली की चमक की तरह कहकर क्या भाव व्यंजित करना चाहता हैं?

Answer - 1 : -

रक्षाबंधन एक मीठा और पवित्र बंधन है। रक्षाबंधन के कच्चे धागों पर बिजली के लच्छे हैं। वास्तव में सावन का संबंध घटा से होता है। घटा का जो संबंध बिजली से है वही संबंध भाई का बहन से है। शायर यही भाव व्यंजित करना चाहता है कि यह बंधन पवित्र और बिजली की तरह चमकता रहे।

Question - 2 : -
खुद का परदा खोलने से क्या आशय है?

Answer - 2 : -

‘खुद का परदा’ खोलने का आशय है-अपनी कमियों या दोषों को स्वयं ही प्रकट करना। यदि कोई व्यक्ति दूसरे की निंदा करता है तो वह अपनी स्वयं की ही कमजोरी व्यक्त कर रहा होता है। कवि की बुराई करने वाला अपनी बुराइयों से भी परदा उठाता है।

Question - 3 : -
किस्मत हमको रो लेवे है हम किस्मत को रो लेवे हैं-इस पंक्ति में शायर की किस्मत के साथ तना-तनी का रिश्ता अभिव्यक्त हुआ है। चर्चा र्काजिए।

Answer - 3 : -

ऊपर की पंक्ति को देखकर (पढ़कर) कहा जा सकता है कि शायर कभी भाग्यवादी नहीं रहा। वास्तव में किस्मत ने उसका कभी साथ नहीं दिया। वह इसलिए किस्मत पर भरोसा नहीं करता। जब कभी भाग्य की बात चलती है तो वह उसके नाम पर केवल रो लेता है।

Question - 4 : -
टिप्पणी करें
(क) गोदी के चाँद और गगन के चाँद का रिश्ता।
(ख) सावन की घटाएँ रक्षाबंधन का पर्व।

Answer - 4 : -

(क) ‘गोदी के चाँद’ का अर्थ है-नन्हा कोमल बच्चा जो अपनी माँ की गोद में रहता है। वह अपनी माँ को खुशियाँ प्रदान करता है। उसका अप्रतिम सौंदर्य माँ को अभिभूत करता है। इसी तरह आकाश में चाँद होता है जो अपनी चाँदनी से संसार को उजाला देता है। वह बच्चों की तरह खुशी का प्रसार करता है। इसके अतिरिक्त, गगन का चाँद गोदी के चाँद को अच्छा लगता है।

(ख) सावन की घटा व रक्षाबंधन के त्योहार में अटूट संबंध है। राखी का त्योहार सावन के महीने में आता है। इस मौसम में घटाएँ आसमान में छाई रहती हैं। इसी तरह भाई-बहन के मन में प्यार की घटाएँ होती हैं।

Question - 5 : -
इन रुबाइयों से हिंदी, उर्दू और लोकभाषा के मिले-जुले प्रयोगों को छाँटिए।

Answer - 5 : -

आँगन में लिए चाँद के टुकड़े को खड़ी।

रह-रह के हवा में जो लोका देती है।
उलझे हुए गेसुओं में कंघी करके
दीवार की शाम घर पुते और सजे
बालक तो हुई चाँद पें ललचाया है।
आँगन में ठनक रहा है ज़िदयाया है।
देख आईने में चाँद उतर आया है।

Question - 6 : - कविता में एक भाव, एक विचार होते हुए भी उसका अंदाजे बयाँ या भाषा के साथ उसका बर्ताव अलग-अलग रूप में अभिव्यक्ति पाता है।

Answer - 6 : -

 इस बात को ध्यान रखते हुए नीचे दी गई कविताओं को पढ़िए और दी गई फ़िराक की गज़ल-रूबाई में से समानार्थी पंक्तियाँ ढूंढ़िए
(क) मैया मैं तो चंद्र खिलौना लैहों।                                                                                                      -सूरदास
(ख) वियोगी होगा पहला कवि                              उमड़ कर आँखों से चुपचाप
आह से उपजा होगा गान                                      बही होगी कविता अनजान                            -सुमित्रानंदन पंत
(ग) सीस उतारे भुईं धरे तब मिलिहैं करतार                                                                                            -कबीर

उत्तर

(क) आँगन में तुनक रहा है जिदयाया है।
बालक तो हई चाँद पै ललचाया है।

(ख) आबो ताबे अश्आर न पूछो तुम भी आँखें रक्खो हो
ये जगमग बैतों की दमक है या हम मोती रोले हैं।
ऐसे में तू याद आए हैं अंजमने मय में रिंदो को,
रात गए गर्दै पे फरिश्ते बाबे गुनह जग खोले हैं।

(ग) “ये कीमत भी अदा करे हैं हम बदुरुस्ती-ए-होशो हवास
तेरा सौदा करने वाले दीवाना भी होलें हैं।”

Question - 7 : -
बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा कब पूँजी है?

Answer - 7 : -

जब माँ अपने बच्चे को उछाल-उछाल कर प्यार करती है तो बच्चे की हँसी सबसे ज्यादा पूँजती है। बच्चा खुले वातावरण में आकर बहुत खुशी महसूस करता है। जब वह ऊपर की ओर बार-बार उछलता है तो वह रोमांचित हो उठता है।

Question - 8 : -
माँ बच्चे को किस प्रकार तैयार करती है?

Answer - 8 : -

माँ बच्चे को छलकते हुए निर्मल और स्वच्छ पानी से नहलाती है। उसके बालों में प्यार से कंघी करती है। उसे कपड़े पहनाती है। यह सारे कार्य देखकर बच्चा बहुत खुश होता है। वह ठंडे पानी से नहाकर ताजा महसूस करता है। अपनी माँ को प्यार से देखता है।

Question - 9 : -
बच्चा किस वस्तु के कारण लालची बन जाता है?

Answer - 9 : -

बच्चा जब चाँद को देखता है तो उसका मन लालची हो जाता है। वह चाँद को पकड़ने की जिद करता है। वह माँ से कहता है कि मुझे यही वस्तु चाहिए। चाँद को देखते ही उसका मन लालच से भर जाता है।

Question - 10 : -
क्या शायर भाग्यवादी है?

Answer - 10 : -

शायर बिलकुल भी भाग्यवादी नहीं है। उसे अपने भाग्य पर बिलकुल भरोसा नहीं। वह तो कहता है कि मैं और मेरी किस्मत दोनों मिलकर रोते हैं। वह मुझ पर रोती है और मैं उस पर रो लेता हूँ। दोनों परस्पर विरोधी हैं। इसलिए कह सकते हैं। कि शायर भाग्यवादी नहीं कर्मवादी है। भाग्य की अपेक्षा उसे अपने कर्म पर विश्वास है।

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