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Question -

‘दत्ता जी राव की सहायता के बिना ‘जूझ’ कहानी का ‘मैं’ पात्र वह सब नहीं पा सकता था जो उसे मिला।”-टिप्पणी कीजिए।



Answer -

यह बात बिलकुल सही है कि दत्ता जी राव की सहायता के बिना लेखक पढ़ नहीं सकता था। यदि दत्ता जी राव लेखक के पिता को नहीं समझाते तो लेखक को कभी स्कूल नसीब न होता। वह अर्धशिक्षित ही रह जाता तथा गीत, कविता, उपन्यास न लिख पाता। उच्च शिक्षा के अभाव में उसे अपने खेतों में मजदूर की तरह आजीवन काम करना पड़ता। अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उसे जमींदार के खेतों में काम भी करना पड़ता। वस्तुत: उसका जीवन ही अंधकारमय हो जाता।

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