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Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन (Haloalkanes and Haloarenes) Solutions

Question - 21 : -
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइडे द्वारा विहाइड्रोहैलोजेनीकरण के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इसमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी?
1. 1-ब्रोमो-1-मेथिलसाइक्लोहेक्सेन
2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन
3. 2,2,3-ट्राइमेथिल-3-ब्रोमोपेन्टेन।

Answer - 21 : - 1. चूँकि Br के दोनों ओर स्थित है-हाइड्रोजन परमाणु समतुल्य हैं, अतएव केवल एक ऐल्कीन प्राप्त होगी।

2. 2-क्लोरो-2-मेथिलब्यूटेन में समतुल्य β- हाइड्रोजनों के 2 अलग-अलग समुच्चय हैं अत: यह 2 ऐल्कीन देगा।
चूँकि अधिक प्रतिस्थापित ऐल्कीन अधिक स्थायी होगी अत: 2-मेथिलब्यूट-2-ईन ही मुख्य ऐल्कीन होगी।
(iii)
हैलाइड में दो भिन्न प्रकार के β- हाइड्रोजन परमाणु उपस्थित हैं। अतएव विहाइड्रोहैलोजनीकरण अभिक्रिया में यह दो ऐल्कीन 3,4,4-ट्राइ-मेथिल पेंट-2-ईन तथा 2-एथिल-3, डाइमेथिलब्यूट-1-ईन का निर्माण करेगा। पहला ऐल्कीन अधिक स्थिर है, क्योंकि यह अधिक प्रतिस्थापित (more substituted) है (सैटजैफ नियम के अनुसार) अतएव यह प्रमुख उत्पाद है।

Question - 22 : -
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?
(i) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएथेन
(iii) प्रोपीन से 1-नाइट्रोप्रोपीन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
(ix) 1-क्लोरोब्यूटेन से n-ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल

Answer - 22 : -


Question - 23 : -
समझाइए, क्यों –
1. क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिले क्लोराइड की तुलना में कम होता है?
2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
3. ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?

Answer - 23 : -

1. उच्च s- लक्षण के कारण sp2 – संकरित कार्बन sp3 – संकरित कार्बन से अधिक ऋणविद्युती होता है। अत: क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध के sp2 – संकरित कार्बन में साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 – ‘संकरित कार्बन की तुलना में Cl की इलेक्ट्रॉन मुक्त करने की प्रवृत्ति कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से कम ध्रुवीय होता है। बेंजीन वलय पर Cl परमाणु के एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण (delocalization) के कारण क्लोरोबेंजीन के C-Cl आबन्ध में आंशिक द्विआबन्ध लक्षण जाते हैं। दूसरे शब्दों में क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से छोटा होता है।
चूँकि द्विध्रुव आघूर्ण आवेश तथा दूरी को गुणनफल होता है, अत: क्लोरोबेंजीन को द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड से कम होता है।

2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय (polar) होते हैं अत: इनके अणु द्विध्रुव आकर्षण द्वारा परस्पर बँधे रहते हैं। H2O के अणु परस्पर हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। चूँकि जल तथा ऐल्किल हैलाइड में नये बने आबन्ध बल पूर्व से उपस्थित बलों से दुर्बल होते हैं। अतः ऐल्किल हैलाइड जल में अमिश्रणीय (immiscible) होते हैं।

3. ग्रिगनार्ड (ग्रीन्यार) अभिकर्मक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये उपकरण के अन्दर उपस्थित नमी से अभिक्रिया करते हैं। अतः ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों को निर्जल परिस्थितियों (anhydrous conditions) में बनाते हैं।
R – MgX + H – OH → RH + Mg(OH)X

Question - 24 : - फ्रेऑन-12, DDT, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग दीजिए। 

Answer - 24 : -

फ्रेऑन-12 के उपयोग (Uses of Freon-12) – यह ऐरोसॉल प्रणोदक, प्रशीतक तथा वायु शीतलन में उपयोग करने के लिए उत्पादित किए जाते हैं।
DDT
के उपयोग (Uses of DDT) –DDT का उपयोग कीटनाशी के रूप में किया जाता है, परन्तु जीवों में इसके सतत अन्तर्ग्रहण से उत्पन्न विषैले प्रभावों के कारण इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया है।
कार्बन टेट्राक्लोराइड के उपयोग (Uses of CarbonTetrachloride)

  1. यह शुष्क धुलाई में विलायक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  2. यह औषधियों में हुकवर्म तथा कीटनाशक के रूप में प्रयुक्त होता है।
  3. यह वसा, तेल, मोम तथा रेजिन के लिए भी उचित विलायक है।
  4. आयोडाइड तथा ब्रोमाइड के क्लोरीन जल परीक्षण में भी यह विलायक के रूप में प्रयुक्त किया जाता
  5. इससे फ्रेऑन-12 भी प्राप्त होता है।
  6. यह पाइरीन नाम से अग्निशामक के रूप में प्रयुक्त होता है। इसके घने वाष्प जलते पदार्थ के ऊपर सुरक्षात्मक परत बनाते हैं और ऑक्सीजन या वायु को जलते पदार्थ के सम्पर्क में आने से रोकते हैं। इसके उपयोग के बाद कक्ष का संवातन (ventilation) करते हैं जिससे बनी हुई फॉस्जीन पूर्णतया दूर हो जाए।

आयोडोफॉर्म के उपयोग (Uses of Iodoform) – इसका उपयोग प्रारम्भ में पूतिरोधी (ऐण्टीसेप्टिक) के रूप में किया जाता था, परन्तु आयोडोफॉर्म का यह पूतिरोधी गुण आयोडोफॉर्म के कारण स्वयं नहीं, बल्कि मुक्त हुई आयोडीन के कारण होता है। इसकी अरुचिकर गन्ध के कारण अब इसके स्थान पर आयोडीनयुक्त अन्य दवाओं का उपयोग किया जाता है।

Question - 25 : - निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए –

Answer - 25 : -


Question - 26 : - निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए
n-BuBr + KCN nBuCN

Answer - 26 : - KCN निम्न संरचनाओं का अनुनादी संकर होता है

अत:CN उभयदन्ती नाभिकस्नेही के रूप में कार्य करता है। अतः यह n – BuBr में C-Br आबन्ध के कार्बन परमाणु पर C या N परमाणु से आक्रमण करता है। चूंकि C-N आबन्ध, C-C आबन्ध से दुर्बल होता है अत: C पर आक्रमण होता है तथा n -ब्यूटिल सायनाइड बनता है।

Question - 27 : -
SN 2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए –
1. 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमोपेन्टेन, 2-ब्रोमोपेन्टेन
2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन
3. 1-ब्रोमोब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2,2-डाइमेथिलप्रोपेन, 1-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन।

Answer - 27 : -

1. 1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमोपेन्टेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
2. 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिलब्यूटेन
3. 1-ब्रोमोब्यूटेन > 1-ब्रोमो-3-मेथिलब्यूटेन > 1-ब्रोमो-2- मेथिलब्यूटेन, 1-ब्रोमो-2, 2-डाइमेथिलप्रोपेन

Question - 28 : - C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से , शीघ्रता से जल-अपघटित होगा?

Answer - 28 : -

  • SN 1 परिस्थितियों में C6H5CHClC6H5,C6H5CH2Cl की तुलना में शीघ्रता से जल अपघटित होगा।
  • SN 2 परिस्थितियों में C6H5CH2Cl, C6H5CHClC6H5 की तुलना में शीघ्रता से जल-अपघटित होगा।

Question - 29 : - o- तथा m- समावयवियों की तुलना में p- डाइक्लोरोबेन्जीन का गलनांक उच्च एवं विलेयता निम्न होती है, विवेचना कीजिए।

Answer - 29 : -

p-समावयव अधिक सममिताकार होने के कारण क्रिस्टल जालक में भली-भाँति स्थित हो जाता है, इसलिए इसमें o- तथा m- समावयवों की तुलना में प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल उपस्थित होते हैं।
चूँकि संगलन अथवा विलायकीकरण (solvation) के दौरान क्रिस्टल जालक टूटता है, इसलिए p- समावयव के संगलन अथवा इसे विलेय करने के लिए सम्बन्धित o- तथा m- समावयवों की तुलना में अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। दूसरे शब्दों में, p- समावयव का गलनांक सम्बन्धित o- तथा m- समावयव की तुलना में उच्च होता है, जबकि इसकी विलेयता निम्न होती है।

Question - 30 : -
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किए जा सकते हैं?
(i) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल
(ii) एथेनॉल से ब्यूट-2-आइन
(iii) 1-ब्रोमोप्रोपेन से 2-ब्रोमोप्रोपेन
(iv) टॉलूईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल।
(v) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(vi) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(vii) एथेनॉल से प्रोपेननाइट्राइल
(viii) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(ix) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3,4-डाइमेथिलहेक्सेन
(x) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-1-मेथिलप्रोपेन
(xi) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(xii) ब्यूट-1-ईन से n-ब्यूटिल आयोडाइड
(xiii) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(xiv) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(xv) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनॉल
(xvi) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-ब्रोमोप्रोपेन
(xvii) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(xviii) बेन्जीन से डाइफेनिल
(xiv) तृतीयक-ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो-ब्यूटिल ब्रोमाइड
(xx) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइडे।

Answer - 30 : -


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