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Question -

समझाइए, क्यों –
1. क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिले क्लोराइड की तुलना में कम होता है?
2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं?
3. ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए?



Answer -

1. उच्च s- लक्षण के कारण sp2 – संकरित कार्बन sp3 – संकरित कार्बन से अधिक ऋणविद्युती होता है। अत: क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध के sp2 – संकरित कार्बन में साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 – ‘संकरित कार्बन की तुलना में Cl की इलेक्ट्रॉन मुक्त करने की प्रवृत्ति कम होती है, जिसके परिणामस्वरूप क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से कम ध्रुवीय होता है। बेंजीन वलय पर Cl परमाणु के एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉनों के विस्थानीकरण (delocalization) के कारण क्लोरोबेंजीन के C-Cl आबन्ध में आंशिक द्विआबन्ध लक्षण जाते हैं। दूसरे शब्दों में क्लोरोबेंजीन में C-Cl आबन्ध साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में C-Cl आबन्ध से छोटा होता है।
चूँकि द्विध्रुव आघूर्ण आवेश तथा दूरी को गुणनफल होता है, अत: क्लोरोबेंजीन को द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड से कम होता है।

2. ऐल्किल हैलाइड ध्रुवीय (polar) होते हैं अत: इनके अणु द्विध्रुव आकर्षण द्वारा परस्पर बँधे रहते हैं। H2O के अणु परस्पर हाइड्रोजन आबन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। चूँकि जल तथा ऐल्किल हैलाइड में नये बने आबन्ध बल पूर्व से उपस्थित बलों से दुर्बल होते हैं। अतः ऐल्किल हैलाइड जल में अमिश्रणीय (immiscible) होते हैं।

3. ग्रिगनार्ड (ग्रीन्यार) अभिकर्मक अत्यधिक क्रियाशील होते हैं। ये उपकरण के अन्दर उपस्थित नमी से अभिक्रिया करते हैं। अतः ग्रिगनार्ड अभिकर्मकों को निर्जल परिस्थितियों (anhydrous conditions) में बनाते हैं।
R – MgX + H – OH → RH + Mg(OH)X

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