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Chapter 5 गति के नियम (Laws of Motion) Solutions

Question - 11 : - किसी कमरे की छत से 2 m लम्बी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरम्भ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1 ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप्य-पथ क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी – (a) चरम स्थितियों में से किसी एक पर है तथा (b) माध्य स्थिति पर है?

Answer - 11 : -

(a) चरम स्थिति में गोलक का वेग शून्य होगा; अत: डोरी काट देने पर, गोलक ऊर्ध्वाधर रेखा में नीचे की ओर गिर जाएगा।
(b) माध्य स्थिति में गोलक के पास क्षैतिज दिशा में अधिकतम वेग होगा; अत: इस स्थिति में डोरी काट दिए जाने पर गोलक प्रक्षेप्य की भाँति परवलयाकार पथ पर चलता हुआ अन्त में भूमि पर गिर जाएगा।

Question - 12 : -
किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो –
(a) 10 ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है
(b) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है
(c) 5 ms-2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
(d) यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?

Answer - 12 : -

दिया है। व्यक्ति की संहति m = 70 kg
(a) 
लिफ्ट एकसमान वेग से गतिमान है; अत: त्वरण a = 0
तुला का पाठ्यांक R = mg = 70 kg × 9.8 m s -2
=686 N

(b) यहाँ लिफ्ट त्वरण a = 5 m s-2 से नीचे जा रही है
तुला का पाठ्यांक R =m (g – a)
= 70 kg (9.8 – 5) m s-2
= 336 N

(c) यहाँ लिफ्ट त्वरण a = 5 m s -2 से ऊपर जा रही है,
तुला का पाठ्यांक R = m (g + a)
= 70 kg (9.8 + 5) m s -2
=1036 N

(d)  लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से गिर रही है, अर्थात् a = g
तब, तुला का पाठ्यांक R = m (g – a)
= 70 kg × 0 = 0

Question - 13 : -
चित्र-5.4 में 4 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है।
(a) t < 0 ; t > 4 s ; 0 < t,< 4 s के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
(b) t = 0 तथाt =4 s पर आवेग क्या है? (केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए)

Answer - 13 : -

(a) t <0 के लिए स्थिति-समय ग्राफ समय अक्ष के साथ सम्पाती है अर्थात् पिण्ड मूलबिन्दु पर विराम में स्थित है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।
t > 4 s के लिए स्थिति-समय माफ समय अक्ष के समान्तर सरल रेखा है जो बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत है।
अर्थात् पिण्ड विराम में है।
∴ पिण्ड पर कार्यरत बल शून्य है।
पुन: 0 < t < 4s के लिए स्थिति समय-ग्राफ एक झुकी हुई सरल रेखा है जो यह बताती है कि इस काल में पिण्ड की मूलबिन्दु से दूरी नियत दर से बढ़ रही है।
अर्थात् पिण्ड नियत वेग से गति कर रहा है; अतः उसको त्वरण शून्य है।
∴ पिण्ड पर आरोपित बल शून्य है।

Question - 14 : - किसी घर्षणरहित मेज पर रखे 10 kg तथा 20kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600 N का कोई क्षैतिज बल (i) A पर, (ii) B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?

Answer - 14 : -


Question - 15 : - 8 kg तथा 12kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त रूप से छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।

Answer - 15 : -

माना पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर भारी पिण्ड a त्वरण से नीचे की ओर उतरता है। चूंकि डोरी अवितान्य है; अत: हल्का पिण्ड त्वरण से ऊपर की ओर चढ़ेगा।
माना डोरी में तनाव T है, जो कि पूरी डोरी में एकसमान होगा।
भारी अर्थात् 12 kg के पिण्ड पर नेट बल F = 12g – T नीचे की ओर कार्य करेगा।

Question - 16 : - अयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता हैं तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।

Answer - 16 : -

माना नाभिक का द्रव्यमान m है तथा प्रश्नानुसारयह विराम में है अर्थात् 

= 0
नाभिक को प्रारम्भिक संवेग = m × 0 = 0
माना इसके टूटने से बने दो नाभिकों के द्रव्यमान m1 तथा m2 हैं तथा ये क्रमशः तथा वेगों से गति करते हैं।
अतः इन नए नाभिकों का कुल संवेग = m1 +m2 
नाभिक स्वतः विघटित हुआ है अर्थात् उस पर बाह्य बल शून्य है; अत: निकाय का संवेग संरक्षित रहेगा।
विघटन के बाद कुल संवेग = विघटन के पूर्व कुल संवेग

Question - 17 : - दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6 मी / से-1 की चाल से विपरीत . दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती हैं और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?

Answer - 17 : - संघट्ट के पश्चात् प्रत्येक गेंद के वेग की दिशा उलट जाती है। अत: प्रत्येक गेंद के वेग में परिवर्तन का परिमाण

Question - 18 : - 100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80 मी/से-1 है तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?

Answer - 18 : -

तोप का द्रव्यमान M =100 किग्रा
गोले का द्रव्यमान m=0.020 किग्रा
गोले की नालमुखी चाल =80 मी/से
माना तोप की प्रतिक्षेप चाल =V मी/से
प्रारम्भ में गोला व तोप दोनों विरामावस्था में हैं। अत: प्रारम्भ में प्रत्येक का संवेग शून्य था।
अतः रेखीय संवेग-संरक्षण नियम के अनुसार,
तोप तथा गोले का अन्तिम संवेग = प्रारम्भिक संवेग

यहाँ (-) चिह्न इस तथ्य का प्रतीक है कि तोप का वेग गोले के वेग की विपरीत दिशा में होगा। इसीलिए इसको प्रतिक्षेप चाल कहते हैं। अत: तोप की प्रतिक्षेप चाल = 0.016 सेमी/से।

Question - 19 : - कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरम्भिक चाल, जो 54 km/h-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति 0.15 kg है)

Answer - 19 : - माना गेंद पथ AB के अनुदिश बल्लेबाज की ओर υ = 54 किमी/घण्टा =54 × (5 / 18) मी/से = 15 मी/से की चाल से रही है। यह बिन्दु B पर बल्लेबाज द्वारा उसी चाल से कोण ABC =45° पर पथ BC के अनुदिश विक्षेपित कर दी जाती है। B से गुजरते ऊर्ध्वाधर तल पर X’ BX अभिलम्ब है।

Question - 20 : - किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev/min की चाल से चक्कर लगाता है। डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200 N के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है, तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।

Answer - 20 : - दिया है : पत्थर का द्रव्यमान m=0.25 kg

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