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Question -

अयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता हैं तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।



Answer -

माना नाभिक का द्रव्यमान m है तथा प्रश्नानुसारयह विराम में है अर्थात् 

= 0
नाभिक को प्रारम्भिक संवेग = m × 0 = 0
माना इसके टूटने से बने दो नाभिकों के द्रव्यमान m1 तथा m2 हैं तथा ये क्रमशः तथा वेगों से गति करते हैं।
अतः इन नए नाभिकों का कुल संवेग = m1 +m2 
नाभिक स्वतः विघटित हुआ है अर्थात् उस पर बाह्य बल शून्य है; अत: निकाय का संवेग संरक्षित रहेगा।
विघटन के बाद कुल संवेग = विघटन के पूर्व कुल संवेग

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