MENU

Chapter 10 तरलों के यान्त्रिक गुण (Mechanical Properties of Fluids) Solutions

Question - 21 : -

1.0 m2 क्षेत्रफल के वर्गाकार आधार वाले किसी टैंक को बीच में ऊर्ध्वाधर विभाजक दीवार द्वारा दो भागों में बाँटा गया है। विभाजक दीवार के नीचे 20 cm2 क्षेत्रफल का कब्जेदार दरवाजा है। टैंक का एक भाग जल से भरा है तथा दूसरा भाग 1.7 आपेक्षिक घनत्व के अम्ल से भरा है। दोनों भाग 40 m ऊँचाई तक भरे गए हैं। दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल परिकलित कीजिए।

Answer - 21 : -

दरवाजे को बन्द रखने के लिए आवश्यक बल
F = विभाजक दीवार के दोनों ओर का दाबान्तर x दरवाजे का क्षेत्रफल
= (अम्ल स्तम्भ का दाब – जल स्तम्भ का दाब) x A
 

Question - 22 : -
चित्र-10.3 (a) में दर्शाए अनुसार कोई मैनोमीटर किसी बर्तन में भरी गैस के दाब का पाठ्यॉक लेता है। पम्प द्वारा कुछ गैस बाहर निकालने के पश्चात मैनोमीटर चित्र 10.3 (b)] में दर्शाए अनुसार पाठ्यांक लेता है। मैनोमीटर में पारा भरा है तथा वायुमण्डलीय दाब का मान 76 cm मरकरी (Hg) है।
 
(i) प्रकरणों (a) तथा (b) में बर्तन में भरी गैस के निरपेक्ष दाब तथा प्रमापी दाब cm (Hg) के मात्रक में लिखिए।
(ii) यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजा में 13.6 cm ऊँचाई तक जल (पारे के साथ | अमिश्रणीय) उड़ेल दिया जाए तो प्रकरण (b) में स्तर में क्या परिवर्तन होगा? (गैस के आयतन में हुए थोड़े परिवर्तन की उपेक्षा कीजिए।)

Answer - 22 : -

वायुमण्डलीय दाब P0 = 76 सेमी पारा
(i)
चित्र 10.3(a) में
निरपेक्ष दाब P = P0 + 20 सेमी पारा
= 76
सेमी पारा + 20 सेमी पारा = 96 सेमी पारा
प्रमापी (गेज) दाब = (P – P0) = 20 सेमी पारा
चित्र 10.3(b) में,
निरपेक्ष दाब P = P0 – 18 सेमी पारा
= 76
सेमी पारा – 18 सेमी पारा
= 58
सेमी पारा
प्रमापी (गेज) दाब = (P – P0) = -18 सेमी पारा
यह ऋणात्मक (-) चिह्न यह दर्शाता हैकि बर्तन में भरी गैसका दाब वायुमण्डलीय दाबसे कम है।
(ii)
यदि मैनोमीटर की दाहिनी भुजामें 13.6सेमी ऊँचाई तक जल उड़ेलदिया जाता है, तो चित्र 10.4 के अनुसार मैनोमीटर कीदाहिनी भुजा में पारे। कातल नीचे गिरता है तथा बायींभुजा में यह ऊपरउठता है ताकि तलीपर दोनों ओर के दाबसमान हो जायें। मानापारे का दाहिनी भुजासे बायीं भुजा में स्थानान्तरण x सेमीहै। अत: दोनों भुजाओं में पारे। केस्तम्भ का अन्तर 2x सेमी होगा।

 

Question - 23 : -

वो पात्रों के आधारों के क्षेत्रफल समान हैं परन्तु आकृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। पहले पात्र में दूसरे पात्र की अपेक्षा किसी ऊँचाई तक भरने पर दोगुना जल आता है। क्या दोनों प्रकरणों में पात्रों के आधारों पर आरोपित बल समान हैं? यदि ऐसा है तो भार मापने की मशीन पर रखे एक ही ऊँचाई तक जल से भरे दोनों पात्रों के पाठ्यांक भिन्न-भिन्न क्यों होते हैं?

Answer - 23 : -

मानाप्रत्येक पात्र में जल-स्तम्भ कीऊँचाई h तथा आधार काक्षेत्रफल A है तो
आधार पर बल = जल-स्तम्भ का दाब x क्षेत्रफल
= h ρ g × A = A h ρ g
A h दोनों के लिए समानहै तथा ρ g अचर राशियाँ हैं।
दोनों पात्रों के आधारों परसमान बल आरोपित होंगे। भारमापने वाली मशीन, पात्र के आधार परआरोपित बल को मापनेके स्थान पर पात्र + जलका भार मापती है।
एकपात्र में दूसरे कीअपेक्षा दोगुना जल है; अतःभार मापने की मशीन केपाठ्यांक अलग-अलग होंगे।

 

Question - 24 : -
रुधिर-आधान के समय किसी शिरा में, जहाँ दाब 2000 Pa है, एक सुई धेसाई जाती है। रुधिर के पात्र को किस ऊँचाई पर रखा जाना चाहिए ताकि शिरा में रक्त ठीक-ठीक प्रवेश कर सके। (रुधिर का घनत्व = 1.06 x 103 kg m-3)

Answer - 24 : -

शिरा में रक्त दाबP = 2000 Pa, रक्तका घनत्व ρ = 1.06 x 103 kg m-3
माना कि रक्त केपात्र की सुई सेऊँचाई = h
रक्त के शिरा मेंठीक-ठीक प्रवेश करनेहेतु, h ऊँचाई वाले रक्त स्तम्भ का दाबशिरा मेंरक्त स्तम्भ के दाब केठीक बराबर होना चाहिए।


 

Question - 25 : -
बरनौली समीकरण व्युत्पन्न करने में हमने नली में भरे तरल पर किए गए कार्य को तरल की गतिज तथा स्थितिज ऊर्जाओं में परिवर्तन के बराबर माना था।
(a) यदि क्षयकारी बल, उपस्थित हैं, तब नली के अनुदिश तरल में गति करने पर दाब में परिवर्तन किस प्रकार होता है?
(b) क्या तरल का वेग बढ़ने पर क्षयकारी बल अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं? गुणात्मक रूप में चर्चा कीजिए।

Answer - 25 : -

(a) क्षयकारी बल की अनुपस्थिति में बहते हुए द्रव के एकांक आयतन की कुल ऊर्जा स्थिर रहती है परन्तु क्षयकारी बल की उपस्थिति में नली में तरल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए क्षयकारी बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। इस कारण नली के अनुदिश चलने पर तरल का दाब अधिक तेजी से घटता जाता है। यही कारण है कि शहरों में जल की टंकी से बहुत दूरी पर स्थित मकानों की ऊँचाई टंकी से कम होने पर भी जल उनकी ऊपर वाली मंजिल तक नहीं पहुँच पाता। तरलों के यान्त्रिक गुण, 267
(b) हाँ, तरलं का वेग बढ़ने पर तरल की अपरूपण दर बढ़ जाती है; अतः क्षयकारी बल (श्यान बल) और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

Question - 26 : -
(a) यदि किसी धमनी में रुधिर का प्रवाह पटलीय प्रवाह ही बनाए रखना है तो | 2 x 10-3 m त्रिज्या की किसी धमनी में रुधिर-प्रवाह की अधिकतम चाल क्या होनी चाहिए?
(b) तद्नुरूपी प्रवाह-दर क्या है ? (रुधिर की श्यानता 2.084 x 10-3 Pas लीजिए।

Answer - 26 : -

(a) धमनी रुधिरप्रवाह की अधिकतम चाल= क्रान्तिक वेग 
परन्तु धारा-रेखी प्रवाह के लिए रेनॉल्ड संख्या काअधिकतम मान
R
e =2000

Question - 27 : -
कोई वायुयान किसी निश्चित ऊँचाई पर किसी नियत चाल से आकाश में उड़ रहा है तथा इसके दोनों पंखों में प्रत्येक का क्षेत्रफल 25 m2 है। यदि वायु की चाल पंख के निचले पृष्ठ पर 180 kmh-1 तथा ऊपरी पृष्ठ पर 234 km h-1 है तो वायुयान की संहति ज्ञात कीजिए। (वायु का घनत्व 1 kgm-3 लीजिए।) ।

Answer - 27 : - वायुयान के एक पंख पर उत्थापक बल = (P2 – P1) x A
अतः दोनों पंखों पर उत्थापक बल F =2 (P2 – P1) x A


Question - 28 : -

मिलिकन तेल की बूंद प्रयोग में, 2.0 x 10-5 m त्रिज्या तथा 1.2 x 103 kg m-3 घनत्व की किसी बूंद की सीमान्त चाल क्या है? प्रयोग के ताप पर वायु की श्यानता 1.8 x 10-5 Pas लीजिए। इस चाल पर बूंद पर श्यान बल कितना है? (वायु के कारण बूंद पर उत्प्लावन बल की उपेक्षा कीजिए।)

Answer - 28 : -

किसी तरल (वायु) में गिरती हुईतेल की बूंद कासीमान्त वेग

यहाँ वायु के कारण उत्प्लावन बलकी उपेक्षा की गयी है।अतः σ को नगण्य अर्थात् शून्यमानते हुए

परन्तु यहाँ बूंद (तेल) का घनत्व ρ = 1.2 x 103 किग्रा-मी-3, बूंदकी त्रिज्या
r = 2.0 x 10
-5 मीटर, बूंदका श्यानता गुणांक η = 1.8 x 10-5 Pa.s
तथा g =9.8 मी/से2.

 

Question - 29 : -

सोडा काँच के साथ पारे का स्पर्श कोण 140° है। यदि पारे से भरी द्रोणिका में 1.00 mm त्रिज्या की काँच की किसी नली का एक सिरा डुबोया जाता है तो पारे के बाहरी पृष्ठ के स्तर की तुलना में नली के भीतर पारे का स्तर कितना नीचे चला जाता (पारे का घनत्व = 136 x 103kg m-3)

Answer - 29 : -

केशनली की त्रिज्या r = 1.00 mm = 10-3 m, स्पर्श कोण θ = 140°,
पारे का घनत्व ρ = 13.6 x 103 kg m-3, पृष्ठ-तनाव S = 0.4355 N m-1
माना पारे का स्तर केशनली मेंh ऊँचाई ऊपर उठता हैतो

 

Question - 30 : -

3.0 mm तथा 6.0 mm व्यास की दो संकीर्ण नलियों को एक साथ जोड़कर दोनों सिरों से खुली एक U-आकार की नली बनाई जाती है। यदि इस नली में जल भरा है तो इस नली की दोनों भुजाओं में भरे जल के स्तरों में क्या अन्तर है? प्रयोग के ताप पर जल का पृष्ठ-तनाव 7.3 x 10-2 N m-1 है। स्पर्श कोण शून्य लीजिए तथा जल का घनत्व 10 x 103 kg m-3 लीजिए। (g = 9.8 ms-2)

Answer - 30 : - त्रिज्याएँ r1 = 1.5 x 10-3 m,r2 = 3.0 x 10-3 m,
जल का पृष्ठ-तनाव S= 7.3 x 10-2 N m-1,
जल का घनत्व ρ= 1.0 x 103 kg m-3, g= 9.8 ms-2
पृष्ठ-तनाव की अनुपस्थिति में दोनों नलिकाओं में जल का तल समान ऊँचाई पर होता। माना। पृष्ठ-तनाव के कारण जल दोनों ओर क्रमशः h1 h2ऊँचाई तक चढ़ता है तो दोनों नलिकाओं में जल के तल का अन्तर



Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×