Chapter 3 आलो आँधारि Solutions
Question - 1 : - पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
Answer - 1 : -
पाठ के निम्नलिखित अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है-
- घर में अकेले रहते देख आस-पास के सभी लोग पूछते, तुम यहाँ अकेली रहती हो? तुम्हारा स्वामी कहाँ रहता है? तुम कितने दिनों से यहाँ हो? तुम्हारा स्वामी वहाँ क्या करता है? तुम क्या यहाँ अकेली रह सकोगी। तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? ऐसी बातें सुन मेरी किसी के पास खड़े होने की इच्छा नहीं होती, किसी से बात करने की इच्छा नहीं होती।
- उसके यहाँ से लौटने में कभी देर हो जाती तो सभी मुझे ऐसे देखते जैसे में कोई अपराध कर आ रही हूँ। बाजार-हाट करने भी जाना होता तो वह बूढ़े मकान मालिक की स्त्री, कहती, “कहाँ जाती है रोज-रोज? तेरा स्वामी है नहीं, तू तो अकेली ही है। तुझे इतना घूमने-घामने की क्या दरकार?” मैं सोचती, मेरा स्वामी मेरे साथ नहीं है तो क्या मैं कहीं घूम-फिर भी नहीं सकती और फिर उसका साथ में रहना भी तो न रहने जैसा है। उसके साथ रहकर भी क्या मुझे शांति मिली। उसके होते हुए भी पाड़े के लोगों की क्या-क्या बातें मैंने नहीं सुनीं।
- जब मैं बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग तरह-तरह की बातें करते, कितनी सीटियाँ मारते, कितने ताने मारते।
- आसपास के लोग एक-दूसरे को बताते कि इस लड़की का स्वामी यहाँ नहीं रहता है, वह अकेली ही भाड़े के घर में बच्चों के साथ रहती है। दूसरे लोग यह सुनकर मुझसे छेड़खानी करना चाहते। वे मुझसे बातें करने की चेष्टा करते और पानी पीने के बहाने मेरे घर आ जाते। मैं अपने लड़के से उन्हें पानी पिलाने को कह कोई बहाना बना बाहर निकल आती।
- मैंने सोचा यह क्या इतना सहज है। घर में कोई मर्द नहीं है तो क्या इसी से मुझे हर किसी की कोई भी बात माननी होगी। वर्तमान समय में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में काफी बदलाव आया है। वे अपने पैरों पर खड़ी हैं तथा अनेक तरह के कार्य कर रही हैं। महानगरों में तो अविवाहित युवतियाँ भी अकेली रहकर अपना जीवन-यापन करती हैं। कुछ मनचले अवश्य उन्हें तंग करने की कोशिश करते हैं, परंतु आम व्यक्ति का व्यवहार अपमानजनक नहीं होता।
Question - 2 : - अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
Answer - 2 : -
अपने परिवार से लेकर तातुश के घर तक के सफर में बेबी ने रिश्तों की सच्चाई जानी। उसने जाना कि रिश्तों का संबंध दिल से होता है, अन्यथा रिश्ते बेगाने होते हैं। पति का घर छोड़कर आने के बाद वह अकेली व असहाय थी। वह अकेले ही बच्चों के साथ किराये के मकान में रहने लगी। वह खुद ही काम ढूँढ़ने जाती। हालाँकि उसके समीप ही भाई व रिश्तेदार रहते थे, परंतु किसी ने उसकी सहायता नहीं की। वे उससे मिलने तक नहीं आए। उसे अपनी माँ की मृत्यु का समाचार तक छह महीन बाद अपने पिता से मिला। दूसरी तरफ, बाहरी व्यक्तियों ने उसकी सहायता की। सुनील नामक युवक ने उसे काम दिलवाया, तातुश ने उसे बेटी के समान माना तथा उसकी हर तरीके से मदद की। उनके प्रोत्साहन से वह लेखिका बन पाई। मकान टूटने के बाद भोला दा उसके साथ रात भर खुले आसमान में बैठा रहा। इस प्रकार दिल में स्नेह हो तो रिश्ते बन जाते हैं।
Question - 3 : - इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और । किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है? इस पर विचार करिए।
Answer - 3 : -
इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है-
- घरेलू नौकरों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती। उनकी नौकरी कभी भी खत्म हो सकती है।
- उन्हें गदे व सस्ते मकानों में रहना पड़ता है, क्योंकि ये अधिक किराया नहीं दे पाते।
- इन लोगों का शारीरिक शोषण भी किया जाता है। नौकरानियों को अकसर शोषण का शिकार होना पड़ता है।
- इन लोगों के साथ मकान मालिक अशिष्ट व्यवहार करते हैं।
- बेबी की तरह इन्हें सुबह से देर रात तक काम करना पड़ता है।
अन्य समस्याएँ
- अपूर्ण भोजन व दवाइयों के अभाव में ये अकसर बीमार रहते हैं।
- धन के अभाव में इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं। उन्हें कम उम्र में ही दूसरों के यहाँ काम करना पड़ता है।
- ये अकसर आर्थिक संकट में फँसे रहते हैं।
Question - 4 : - ‘आलो-आँधारि’ रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मददों को समेटे है। किन्हीं दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
Answer - 4 : -
‘आलो-आँधारि’ एक ऐसी रचना है जो बेबी हालदार की आत्मकथा होने के साथ-साथ एक अनदेखी दुनिया के दर्शन करवाती है। यह ऐसी दुनिया है जो हमारे पड़ोस में है, फिर भी हम इसमें झाँकना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। दो प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(क) परित्यक्ता स्त्री की स्थिति-इस रचना में बेबी एक परित्यक्ता स्त्री है। वह किराए के मकान में रहकर घरों में नौकरानी का काम करके गुजारा कर रही है। समाज का व्यवहार उसके प्रति कटु है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसका मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण किया जाता है। उस पर तरह-तरह की वर्जनाएँ थोपी जाती हैं तथा सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।
(ख) गंदी बस्तियाँ-इस रचना में गंदी बस्तियों के बारे में बताया गया है। घरेलू नौकर तंग बस्तियों में रहते हैं। वहाँ शोचालय की सुविधा भी नहीं होती। महिलाओं को इस मामले में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नालियों. कूड़ेदानों आदि के निकट बसी इन बस्तियों में अनेक बीमारियाँ फैलने का भय रहता है। सरकार भी अपनी आँखें मूंदे रहती है।
Question - 5 : - तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेदू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
Answer - 5 : -
जेलू का यह कथन यह बताता है कि परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही विकट क्यों न हों, मनुष्य इच्छाशक्ति से अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है। आशापूर्णा देवी भी आम गृहणी थीं। वे सारा दिन घर के काम-काज में व्यस्त रहती थीं, परंतु वे लेखन में रुचि रखती थीं। परिवार के सो जाने के बाद वे लिखती थीं और लिखते-लिखते विश्व प्रसिद्ध कथाकार बन गई। बेबी की स्थिति उनसे भी खराब है। वह आर्थिक संकट से ग्रस्त है, फिर भी वह निरंतर लिखकर अपनी शैली को सुधार सकती है। वह थोड़ा समय निकालकर लिख सकती है। इस तरह वह भी प्रसिद्ध लेखिका बन सकती है।
Question - 6 : - बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें।
Answer - 6 : -
तातुश के संपर्क में आने से पहले बेबी कई घरों में काम कर चुकी थी। उसका जीवन कष्टों से भरा था। तातुश के परिवार में आने के बाद उसे आवास, वित्त, भोजन आदि समस्याओं से राहत मिली। यहाँ उसके बच्चों का पालन-पोषण ठीक ढंग से होने लगा। यदि उसकी जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन अंधकारमय होता। उसे गंदी बस्ती में रहने के लिए विवश होना पड़ता। उसके बच्चों को शिक्षा शायद नसीब ही नहीं होती, क्योंकि उसके पास आय के स्रोत सीमित होते। बच्चे या तो आवारा बन जाते या बाल मजदूर बनते। अकेली औरत होने के कारण उसे समाज के लोगों के मात्र अश्लील व्यवहार का ही सामना नहीं करना पड़ता, अपितु उसे अवारा लोगों के शोषण का शिकार भी होना पड़ सकता था। बड़ा लड़का तो शायद ही उसे मिल पाता। उसके पिता भी उसे याद नहीं करते और माँ की मृत्यु का समाचार भी नहीं मिलता। इस तरह बेबी का जीवन चुनौतीपूर्ण तथा अंधकारमय होता।