Question -
Answer -
‘आलो-आँधारि’ एक ऐसी रचना है जो बेबी हालदार की आत्मकथा होने के साथ-साथ एक अनदेखी दुनिया के दर्शन करवाती है। यह ऐसी दुनिया है जो हमारे पड़ोस में है, फिर भी हम इसमें झाँकना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। दो प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(क) परित्यक्ता स्त्री की स्थिति-इस रचना में बेबी एक परित्यक्ता स्त्री है। वह किराए के मकान में रहकर घरों में नौकरानी का काम करके गुजारा कर रही है। समाज का व्यवहार उसके प्रति कटु है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसका मानसिक, शारीरिक व आर्थिक शोषण किया जाता है। उस पर तरह-तरह की वर्जनाएँ थोपी जाती हैं तथा सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।
(ख) गंदी बस्तियाँ-इस रचना में गंदी बस्तियों के बारे में बताया गया है। घरेलू नौकर तंग बस्तियों में रहते हैं। वहाँ शोचालय की सुविधा भी नहीं होती। महिलाओं को इस मामले में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। नालियों. कूड़ेदानों आदि के निकट बसी इन बस्तियों में अनेक बीमारियाँ फैलने का भय रहता है। सरकार भी अपनी आँखें मूंदे रहती है।