Chapter 12 ध्वनि Solutions
Question - 11 : - ध्वनि की प्रबलता तथा तीव्रता में अन्तर बताइए।
Answer - 11 : -
तीव्रता – किसी एकांक क्षेत्रफल से, एक सेकण्ड में गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
प्रबलता – प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदन -शीलता की माप है। उदाहरण के लिए, दो ध्वनियाँ समान तीव्रता की हो सकती हैं। परन्तु हम एक को दूसरे की अपेक्षा अधिक प्रबल ध्वनि के रूप में सुन सकते हैं। क्योंकि हमारे कान इसके लिए अधिक संवेदनशील हैं।
Question - 12 : - वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
Answer - 12 : -
ध्वनि वायु (346 m/s), जल (1498 m/s) से अधिक तेज लौह (5950 m/s) माध्यम में चलती है।
Question - 13 : - कोई प्रतिध्वनि 3 s के पश्चात् सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 ms-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक सतह के बीच कितनी दूरी होगी?
Answer - 13 : -
ध्वनि की चाल, v = 342 m/s
परावर्तक सतह की स्रोत से दूरी = d
ध्वनि द्वारा तय की गई दूरी = 2d
ध्वनि द्वारा 2d दूरी तय करने में लिया गया समय, = 3 सेकण्ड
हम जानते हैं कि,
Question - 14 : - कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
Answer - 14 : -
बड़े हालों में बनी कंक्रीट की छतों को वक्राकार बनाया जाता है ताकि वक्राकार छतों से ध्वनि का परावर्तन होकर, ध्वनि हाल के प्रत्येक कोने में समान रूप से पहुँच सके।
Question - 15 : - सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परास क्या है?
Answer - 15 : -
सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर 20 Hz से 20,000 Hz (या 20 kHz) है।
Question - 16 : - निम्न से सम्बन्धित आवृत्तियों का परास क्या है?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि।
Answer - 16 : -
(a) 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनि को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
(b) पराध्वनि की आवृत्ति 20 kHz से अधिक होती है।
Question - 17 : - एक पनडुब्बी सोनार स्पन्द उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02 s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
Answer - 17 : -
समय, t = 1.02 s
खारे जल में ध्वनि का वेग = 1531 m/s
सोनार पल्स से चली दूरी = 2d
जहाँ कि चट्टान की दूरी d है।
2d = सोनारे स्पंद की चाल x समय = 1531 m/s x 1.02 s = 1561.62 m
अथवा d = 780.8 m.
इसलिए चट्टान 780.8 m दूर होगी।
Question - 18 : - ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
Answer - 18 : -
ध्वनि – ध्वनि एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारे कानों में सुनने की संवेदना उत्पन्न करती है। उदाहरण के लिए हम बहुत-से स्रोतों जैसे-अलार्म घड़ी की ध्वनि, सड़क पर दौड़ते हुए स्कूटर एवं कारों की ध्वनि, पक्षियों की चहचहाहट, विद्यालय की घंटी की ध्वनि, तबले तथा हारमोनियम की ध्वनि आदि सुनते हैं।
ध्वनि का उत्पन्न होना – ध्वनि किसी वस्तु के कंपन द्वारा उत्पन्न होती है। कंपन का अर्थ है किसी वस्तु का अपनी माध्य स्थिति के दोनों ओर इधर-उधर गति करना है। हम विभिन्न वस्तुओं में उन्हें खींचकर, चोट मारकर, हूँक मारकर, रगड़कर अथवा, उसे हिलाकर कंपन उत्पन्न कर सकते हैं।
सितार, वीणा आदि डोरी वाले वाद्य यंत्रों में कर्षण द्वारा तारों में कंपन पैदा किए जाते हैं तो ये ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकारे जब चिमटे की दो भुजाओं को एकदूसरे से टकराते हैं तो उनमें, कंपन के साथ ध्वनि उत्पन्न होती है। सभी वाद्य यंत्र, जैसे-ढोल या नगाड़े की चर्म (membrane), बांसुरी के अन्दर की वायु, हारमोनियम की रीड ध्वनि उत्पन्न करते समय कंपन की स्थिति में होते हैं।
Question - 19 : - एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलने कैसे उत्पन्न होते हैं?
Answer - 19 : -
ध्वनि सबसे अधिक हवा के माध्यम में गमन करती है। कोई कंपित वस्तु जब आगे बढ़ती है, तो वो अपने सामने वाली हवा पर बल लगाकर उसे संपीडित करती है, जिससे कि उच्च दबाव का क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र संपीडन (C) कहलाता है। यह क्षेत्र कंपित वस्तु से दूर जाने लगता है। तथा कंपित वस्तु पीछे की ओर हटती है, जिससे निम्न दबाव को क्षेत्र बनता है। यह क्षेत्र विरलन (R) कहलाता है। जैसे-जैसे वस्तु कंपित होती है, अर्थात् तीव्रता से आगे-पीछे हिलती है, वैसे-वैसे हवा में संपीडनों और विरलनों की श्रृंखला बनती चली जाती है। इससे हवा में ध्वनि का संचरण होता है?
Question - 20 : - किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है। कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है।
Answer - 20 : -
जब विद्युत घंटी में स्विच को दबाकर विद्युत-धारा प्रवाहित की जाती है तो हमें विद्युत घंटी की
आवाज़ स्पष्ट सुनाई देती है। जब निर्वात पम्प की सहायता से धीरे-धीरे बेलजार के अन्दर की वायुं बाहर निकालें तो जैसे-जैसे बेलजार की वायु बाहर निकलती जाती है घंटी की आवाज भी धीमी होती जाती है। यद्यपि घंटी में समाने विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। जब बेलजार में निर्वात पैदा हो जाता है तो हमें घंटी की आवाज सुनाई नहीं देती क्योंकि बेलजार में ध्वनि के संचरण के लिए कोई द्रव्यात्मक माध्यम नहीं रहा। अत: इस प्रयोग से यह प्रदर्शित हो जाता है ध्वनि संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है।