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Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र (Human Geography) Solutions

Question - 21 : -
मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के लक्षणों को समझाइए।

Answer - 21 : -

मानव भूगोल की कल्याणपरक विचारधारा के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. कल्याणपरक विचारधारा में मानव की वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाता है।
  2. इसमें मानव के विकास में प्रादेशिक असमानता का अध्ययन किया जाता है।
  3. पूँजीवाद के कारण इस विचारधारा का जन्म हुआ।
  4. कौन, कहाँ, क्या पाता है और कैसे; कल्याणपरक विचारधारा के मूल बिन्दु हैं।

Question - 22 : -
मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के लक्षण बताइए।

Answer - 22 : -

मानव भूगोल की मानवतावादी विचारधारा के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं-

  1. मानवतावादी विचारधारा स्वयं मनुष्य पर केन्द्रित है।
  2. मानवतावादी विचारधारा में मानव जागृति, मानव साधन, मानव चेतना आदि के सन्दर्भ में मनुष्य की केन्द्रीय एवं क्रियाशील भूमिका पर बल दिया जाता है।
  3. इस विचारधारा के विन्यास में मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इनके पीछे कार्यरत प्रक्रिया को समझना है।
  4. यह मानव भूगोल में जोड़ी गई नई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है।

Question - 23 : -
सम्भववाद की संकल्पना को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए।

Answer - 23 : -

सम्भववाद की संकल्पना-सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है। मानव और पर्यावरण में परस्पर सम्बन्ध में यह विचारधारा मानव केन्द्रित है।

उदाहरण – वर्षा के कार्य को सिंचाई द्वारा पूरा करना, पर्वतीय ढालों पर सीढ़ीदार खेत बनाकर खेती करना आदि। ये उदाहरण प्राकृतिक पर्यावरण पर मनुष्य की श्रेष्ठता सिद्ध करते हैं। सम्भववाद की संकल्पना के अनुसार नियतिवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है को अस्वीकृत कर दिया गया।

Question - 24 : -
‘नव-निश्चयवाद’ की विचारधारा पर टिप्पणी लिखिए। अथवा ‘रुको और जाओ निश्चयवाद’ की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।

Answer - 24 : -

नव-निश्चयवाद-भूगोलवेत्ता ग्रिफिथ टेलर ने एक नई संकल्पना प्रस्तुत की जो दो विचारों ‘पर्यावरणीय निश्चयवाद’ और ‘सम्भववाद’ के मध्य मार्ग को दर्शाता है। उन्होंने उसे नव-निश्चयवाद अथवा रुको और जाओ निश्चयवाद का नाम दिया। विचारधारा के अनुसार न तो नितान्त आवश्यकता की स्थिति (पर्यावरणीय निश्चयवाद) है और न ही नितान्त स्वतन्त्रता (सम्भववाद) की स्थिति है। इसका अर्थ है कि प्राकृतिक नियमों की अनुपालना करके हम प्रकृति पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। मानव को प्रकृति के ‘रुको’ के संकेतों का प्रत्युत्तर देना होगा और जब प्रकृति रूपान्तरण की स्वीकृति दे तो वे अपने विकास के प्रयत्नों में आगे बढ़ सकता है। अभिप्राय यह है कि उन सीमाओं में, जो पर्यावरण को हानि न पहुँचाते हों, सम्भावनाओं को उत्पन्न किया जा सकता है।

Question - 25 : -
प्रकृति के मानवीयकरण पर टिप्पणी लिखिए। . .

Answer - 25 : -

प्रकृति का मानवीयकरण-मानव क्रियाओं की छाप प्रत्येक स्थान पर देखी जा सकती है। उच्च स्थानों; जैसे-पर्वतों तथा समतत्त्व क्षेत्रों; जैसे—मैदानों में स्वास्थ्य केन्द्र, विशाल नगरीय विस्तार, चरागाह, उद्यान आदि देखे जा सकते हैं। तटीय भागों में बन्दरगाह, महासागरीय मार्ग तथा अन्तरिक्ष उपग्रह आदि। ये सभी मानव क्रियाएँ हैं। प्रकृति अवसर प्रदान करती है और मनुष्य इसका लाभ उठाता है। इस प्रकार प्रकृति धीरे-धीरे मानवकृत हो जाती है और मानव छाप उस पर पड़नी आरम्भ हो जाती है।

Question - 26 : -
मानवतावाद के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।

Answer - 26 : -

मानवतावाद के लक्षण/विशेषताएँ निम्नलिखित हैं

  1. मानवतावाद विचारधारा मानव कल्याण, मानव जागृति, मानव चेतना,. मानव संसाधन एवं मानव की सृजनात्मकता के सन्दर्भ में मानव सक्रियता पर बल देती है।
  2. इस विचारधारा का केन्द्र बिन्दु मानव है जो मानव विकास पर बल देता है।
  3. इस विचारधारा के विकास में मानव भूगोल में मानवीय परिघटनाओं के प्रतिरूपों के वर्णन के स्थान पर इनके पीछे कार्यरत प्रक्रिया को समझना है।
  4. मानवतावाद मानव भूगोल में जोड़ी गई नई विचारधारा है जिसका सम्बन्ध मानव कल्याण के स्थानिक प्रतिरूप से है।

Question - 27 : -
प्रत्यक्षवाद के लक्षणों का वर्णन कीजिए।

Answer - 27 : -

प्रत्यक्षवाद के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. प्रत्यक्षवाद में मात्रात्मक विधियों के प्रयोग पर अधिक बल दिया गया ताकि विभिन्न कारकों के भौगोलिक प्रतिरूपों के अध्ययन के समय विश्लेषण को अधिक वस्तुनिष्ठ बनाया जा सके।
  2. यह विचारधारा मुख्यत: निरीक्षण एवं अनुभवों पर आधारित है। इसी कारण इसे ‘प्रयोगवाद’ भी कहते हैं।
  3. इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं-वी० जे० एलवेरी, डेविड हाइँ तथा विलियम वंग आदि हैं।

Question - 28 : -
निश्चयवाद के लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।

Answer - 28 : -

निश्चयवाद के लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं

  1. निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार प्राकृतिक पर्यावरण सर्वप्रमुख है जो मानव के सारे क्रियाकलापों को नियन्त्रित करता है।
  2. इस विचारधारा के अनुसार विभिन्न सामाजिक समूह, समाज अथवा देश का इतिहास, संस्कृति, मानव जीवन-शैली तथा विकास की अवस्था आदि सभी पर्यावरण के भौतिक कारकों द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
  3. इस विचारधारा के अनुसार मनुष्य प्रकृति का दास है और उसके सभी कार्य प्रकृति द्वारा प्रभावित होते हैं।
  4. निश्चयवाद में विश्वास करने वाले मानव को निष्क्रिय समझा जाता है।

Question - 29 : -
सम्भववाद के लक्षणों को समझाइए।

Answer - 29 : -

सम्भववाद के लक्षण निम्नलिखित हैं

  1. सम्भववाद के अनुसार मनुष्य अपने पर्यावरण में परिवर्तन करने में समर्थ है तथा वह प्रकृतिदत्त अनेक सम्भावनाओं का अपने लाभ के लिए इच्छानुसार उपयोग कर सकता है।
  2. यह विचारधारा प्रकृति की तुलना में मनुष्य को महत्त्वपूर्ण स्थान देती है और उसे सक्रिय शक्ति के रूप में देखती है।
  3. इस विचारधारा के अनुसार निश्चयवाद का यह सिद्धान्त कि मनुष्य प्रकृति का दास है, अस्वीकृत कर दिया गया।
  4. सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के साथ मनुष्य ने कुशल तकनीक का विकास किया।

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