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Chapter 1 मानव भूगोल – प्रकृति एवं विषय क्षेत्र (Human Geography) Solutions

Question - 11 : -
निश्चयवाद और सम्भववाद में अन्तर को समझाइए।

Answer - 11 : -

निश्चयवाद और सम्भववाद में अन्तर

Question - 12 : -
क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर को समझाइए।

Answer - 12 : -

क्रमबद्ध भूगोल तथा प्रादेशिक भूगोल में अन्तर

Question - 13 : -
मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाओं का वर्णन कीजिए।

Answer - 13 : -

मानव और प्रकृति की अन्तक्रियाओं के फलस्वरूप अनेक प्रकार के सांस्कृतिक लक्षण जन्म लेते हैं; जैसे-गाँव, कस्बा, शहर, सड़क, उद्योग, भवन आदि। इन्हीं सभी लक्षणों की स्थिति तथा वितरण का अध्ययन मानव भूगोल में आता है। मानव भूगोल की शाखाएँ मानव भूगोल की महत्त्वपूर्ण शाखाएँ निम्नलिखित हैं
1. आर्थिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में मानवीय क्रियाकलापों में विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है तथा इन क्रियाओं द्वारा वस्तुओं के उत्पादन, वितरण तथा विनिमय का अध्ययन किया जाता है।

2. सांस्कृतिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में स्थान और समय के सन्दर्भ में मनुष्य के सांस्कृतिक पक्षों, धर्म और दृष्टिकोणों का अध्ययन किया जाता है।

3. सामाजिक भूगोल – सामाजिक भूगोल में विभिन्न मानव समूहों और उनके पर्यावरण के बीच सम्बन्धों की समीक्षा की जाती है।

4. जनसंख्या भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में जनसंख्या, उसके वितरण, घनत्व, जन्म-दर एवं मृत्यु-दर, साक्षरता, आयु, लिंगानुपात, प्रवास तथा जनसंख्या वृद्धि जैसी जनांकिकीय विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है।

5. ऐतिहासिक भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में ऐतिहासिक घटनाओं का विश्लेषण क्षेत्रीय अथवा भौगोलिक सन्दर्भ में किया जाता है।

6. राजनीतिक भूगोल – राजनीतिक भूगोल में राष्ट्रों अथवा राज्यों की सीमा, विस्तार, उनके विभिन्न घटकों तथा शासित भू-भागों का अध्ययन किया जाता है।

7.सैन्य भूगोल – सैन्य भूगोल का उद्देश्य स्थल तथा समुद्र के भौगोलिक चरित्र का युद्ध की घटनाओं पर पड़ने वाले प्रभावों को स्पष्ट करना है।

8. कृषि भूगोल – मानव भूगोल की इस शाखा में विश्व के विभिन्न भागों में पाए जाने वाले पर्यावरण के सन्दर्भ में कृषि सम्बन्धी तत्त्वों का अध्ययन किया जाता है।

9. मानव भूगोल की अन्य उप – शाखाएँ-मानव भूगोल की अन्य उप-शाखाएँ अधिवास भूगोल, नगरीय भूगोल, चिकित्सा भूगोल, संसाधन भूगोल, परिवहन भूगोल, वाणिज्य भूगोल, औद्योगिक भूगोल तथा व्यावहारिक भूगोल इत्यादि हैं।

Question - 14 : -
पर्यावरण निश्चयवाद से क्या अभिप्राय है? मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा इस संकल्पना के विकास को समझाइए।

Answer - 14 : -

पर्यावरण निश्चयवाद का अर्थ-पर्यावरण निश्चयवाद या निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मनुष्य के प्रत्येक कार्यकलाप को पर्यावरण से नियन्त्रित माना जाता है। इसके अनुसार भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि मानव के समस्त क्रियाकलापों और जीवन-शैली आदि को नियन्त्रित करते हैं।

मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा पर्यावरण निश्चयवाद की संकल्पना का विकास
मानव के प्राकृतीकरण के द्वारा मनुष्य अपने भौतिक पर्यावरण के साथ तकनीकी ज्ञान की सहायता से . पारस्परिक सम्बन्ध रखता है। यह महत्त्वपूर्ण नहीं है कि मनुष्य ने क्या उत्पन्न किया है अपितु यह महत्त्वपूर्ण है कि उसने किन उपकरण और तकनीक की सहायता से उत्पन्न किया है। प्राकृतिक नियमों को समझने के बाद ही मनुष्य ने तकनीकी विकास किया है। जिस प्रकार उसने आग का आविष्कार किया है उसी प्रकार डी०एन०ए० की जानकारी से अनेक रोगों का पता चलता है। मनुष्य एक प्रकार से ‘प्रकृति का दास’ कहलाता था। प्रकृति के अनुसार ही वह अपने आपको बनाता था। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्ति को ‘पर्यावरण निश्चयवाद’ कहा जाता है। यही मनुष्य का प्राकृतीकरण था।

Question - 15 : -
मानव का प्राकृतीकरण का संक्षेप में तीन बिन्दुओं द्वारा वर्णन कीजिए।

Answer - 15 : -

मानव का प्राकृतीकरण-मानव के प्राकृतीकरण का अभिप्राय है कि प्रकृति ही मनुष्य के क्रियाकलापों पर अपना प्रभाव डालती है अर्थात् मनुष्य प्रकृति का दास बनकर रह जाता है। उसके सभी क्रियाकलाप प्रकृति द्वारा नियन्त्रित होते हैं।
मानव के प्राकृतीकरण के बिन्दु

  1. मानव के सभी क्रियाकलाप उसके पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं; जैसे-मानव के रहन-सहन एवं कार्य, जलवायु, उच्चावच आदि द्वारा प्रभावित होते हैं।
  2. प्रकृति या पर्यावरण ही मनुष्य के समाज को एक स्वरूप प्रदान करता है। उसका खान-पान, रहन-सहन, वेशभूषा, आवास आदि सभी पर्यावरण के द्वारा निर्धारित होते हैं। यहाँ तक कि मानव की विचारधारा भी उसके पर्यावरण की ही देन है।
  3. आदिवासी लोग विश्व में सभी जगह अपने पर्यावरण के दास हैं; जैसे—कालाहारी के बुशमैन, टुण्ड्रा के एस्किमो, कांगो के पिग्मी अपने पर्यावरण द्वारा ही नियन्त्रित होते थे।

Question - 16 : -
प्रकृति और मानव किस तरह एक-दूसरे से जटिलता से जुड़े हुए हैं? उदाहरण सहित स्पष्ट करें।

Answer - 16 : -

मानव और भौतिक पर्यावरण एक-दूसरे से जुड़े हैं। मानव के पास तकनीकी ज्ञान है। वह अपने तकनीकी ज्ञान द्वारा प्रकृति से पदार्थ प्राप्त करता है। प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओं का मानव अपने ज्ञान के द्वारा उपयोग करता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है। वह प्रकृति के अनुसार ही अपने आपको पर्यावरण में ढालता है। वह कठोर पर्यावरण में भी अपने तकनीकी ज्ञान के आधार पर रहता है। कम अथवा अधिक तापमान को नियन्त्रित करता है। आज मानव ने डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों को समझकर अनेक गम्भीर रोगों पर विजय प्राप्त की है। आदिमानव समाज तथा प्रकृति की शक्तियों को ‘पर्यावरणीय नियतिवाद’ कहते हैं। इस तरह मानव और प्रकृति एक-दूसरे से जुड़े हैं।

Question - 17 : -
प्रकृति का मानवीयकरण किस प्रकार होता है? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।

Answer - 17 : -

प्रकृति का मानवीयकरण-मनुष्य भौतिक वातावरण और तकनीकी सहायता से प्रकृति पर प्रभाव डालता है। प्रकृति मानव को प्रभावित करती है तो मनुष्य अपनी तकनीक से प्रकृति को प्रभावित करता है। इसलिए इस बात का महत्त्व होता है कि मानव ने किस तकनीक और उपकरण के साथ प्रकृति पर विजय प्राप्त की है।

उदाहरण – घर्षण व ताप से आग की खोज हुई। उसी तरह डी०एन०ए० के ज्ञान से कई तरह के वंशानुगत रोगी की जानकारी प्राप्त हुई। तकनीकी ज्ञान मनुष्य पर प्रकृति की पकड़ को कमजोर करता है। प्रारम्भ में मानव प्रकृति से अधिक प्रभावित था लेकिन अब उसने उपकरणों तथा तकनीक की सहायता से प्रकृति को अपने अनुकूल बना लिया है।

Question - 18 : -
निश्चयवाद की उपयुक्त उदाहरणों सहित व्याख्या कीजिए।

Answer - 18 : -

निश्चयवाद-निश्चयवादी विचारधारा के अनुसार मानव के समस्त क्रियाकलाप पर्यावरण द्वारा नियन्त्रित होते हैं। निश्चयवाद का अनुसरण करने वाले मानते हैं कि भौतिक कारक; जैसे-जलवायु, उच्चावच, प्राकृतिक वनस्पति आदि, मानव के समस्त क्रियाकलाप और जीवन-शैली को नियन्त्रित करते हैं।

उदाहरण के लिए-टुण्ड्रा क्षेत्र के एस्किमो के बर्फ के घर (इग्लू) व भोजन वालरस व सील मछली होती है। ह्वेल भी उनके जीवन का प्रमुख अंग है। वे मछली के तेल का भी उपयोग करते हैं। थार, सहारा जैसे गर्म मरुस्थलों के लोग भेड़, बकरी तथा ऊँट आदि जैसे जानवरों पर निर्भर करते हैं।

निश्चयवादी, साधारणतया मानव को एक निष्क्रिय कारक मानते हैं जो कि पर्यावरणीय कारकों से प्रभावित हैं।

Question - 19 : -
“प्रकृति का ज्ञान प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।” कथन की पुष्टि उदाहरण देकर कीजिए।

Answer - 19 : -

प्रौद्योगिकी किसी समाज के सांस्कृतिक विकास के स्तर की सूचक होती है। मानव प्रकृति के नियमों को बेहतर ढंग से समझने के बाद ही प्रौद्योगिकी की विकास कर पाया।
उदाहरण

  1. घर्षण और ऊष्मा की संकल्पनाओं ने अग्नि की खोज में हमारी सहायता की।
  2. डी०एन०ए० और आनुवंशिकी के रहस्यों की समझ ने हमें अनेक गम्भीर रोगों पर विजय पाने के योग्य बनाया।
  3. अधिक तेजी से चलने वाले यान विकसित करने के लिए हम वायु गति के नियमों का प्रयोग करते हैं।
  4. अतः प्रकृति, प्रौद्योगिकी को विकसित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है और प्रौद्योगिकी मानव पर पर्यावरण की बंदिशों को कम करती है।

Question - 20 : -
“भौतिक भूगोल और मानव भूगोल के तत्त्वों के मध्य परस्पर अन्योन्यक्रिया होती है।” उपयुक्त उदाहरण सहित समझाइए।

Answer - 20 : -

मानव भूगोल भौतिक वातावरण और मनुष्य द्वारा सामाजिक-सांस्कृतिक पर्यावरण के मध्य अन्तर्सम्बन्धों का अध्ययन करता है। भौतिक भूगोल के अंग हैं-स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, जल, प्रकृति, वनस्पति आदि। मानव भूगोल तथा भौतिक भूगोल में परस्पर गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य भौतिक वातावरण से तकनीकी सहायता के साथ पारस्परिक प्रभाव डालता है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि मानव ने अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किस तकनीक और उपकरण के साथ उत्पादन किया। भौतिक वातावरण का मानव पर प्रभाव पड़ता है। वह मनुष्य को अपने अनुरूप ढालने को मजबूर करता है।

उदाहरण – मरुस्थल में रहने वाले लोगों की जीवनचर्या मैदानों में रहने वाले लोगों से भिन्न होती है। उसकी आवश्यकताएँ भी भिन्न हैं। लेकिन मनुष्य कठिनाई के बावजूद कठिन वातावरण में रहने का प्रयास करता है। वह नवीन तकनीक व उपकरणों का उपयोग करके वातावरण को अपने रहने के लिए अनुकूल बना लेता है।

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