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Chapter 2 विलयन (Solutions) Solutions

Question - 21 : - एक पेय जल का नमूना क्लोरोफॉर्म (CHCl3) से कैंसरजन्य समझे जाने की सीमा तक बहुत अधिक संदूषित है। इसमें संदूषण की सीमा 15 ppm (द्रव्यमान में) है
(i)
इसे द्रव्यमान प्रतिशत में व्यक्त कीजिए।
(ii)
जल के नमूने में क्लोरोफॉर्म की मोललता ज्ञात कीजिए।

Answer - 21 : -


Question - 22 : - ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्यक्रिया की क्या भूमिका है?

Answer - 22 : -

ऐल्कोहॉल एवं जल के विलयन में ऐल्कोहॉल तथा जल के अणु अन्तराआण्विक H- बन्ध बनाते हैं। लेकिन यह H2O-H2Oतथा ऐल्कोहॉल-ऐल्कोहॉल H-बन्ध से दुर्बल होते हैं। इससे अणुओं की वाष्प अवस्था में जाने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। अत: यह विलयन राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करता है।

Question - 23 : - ताप बढ़ाने पर गैसों की द्रवों में विलेयता में हमेशा कमी आने की प्रवृत्ति क्यों होती है?

Answer - 23 : -

गैस + विलायक  विलयन + ऊष्मा
गैस का द्रव में घुलना एक ऊष्माक्षेपी प्रक्रम है। ताप बढ़ाने पर साम्य बायीं ओर विस्थापित होता है और विलयन से गैस मुक्त होती है।

Question - 24 : - हेनरी का नियम तथा इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग लिखिए।

Answer - 24 : -

हेनरी का नियम (Henry’s Law) – सर्वप्रथम गैस की विलायक में विलेयता तथा दाब के मध्य मात्रात्मक सम्बन्ध हेनरी ने दिया। इसे हेनरी का नियम कहते हैं। इसके अनुसार, ‘‘स्थिर ताप पर विलायक के प्रति एकांक आयतन में घुला गैस का द्रव्यमान विलयन के साथ साम्यावस्था में गैस के दाब के समानुपाती होता है।’
डाल्टन, जो हेनरी के समकालीन थे, ने भी स्वतन्त्र रूप से निष्कर्ष निकाला कि किसी द्रवीय विलयन में गैस की विलेयता गैस के आंशिक दाब पर निर्भर करती है। यदि हम विलयन में गैस के मोल-अंश को उसकी विलेयता का माप मानें तो यह कहा जा सकता है कि किसी विलयन में गैस का मोल-अंश उस विलयन के ऊपर उपस्थित गैस के आंशिक दाब के समानुपाती होता है।
अत: विकल्पतः हेनरी नियम को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है –
“किसी गैस का वाष्प-अवस्था में आंशिक दाब (p), उस विलयन में गैस के मोल-अंश (x) के समानुपाती होता है।”
p α x

p= KH .x
यहाँ KH हेनरी स्थिरांक है। जब एक से अधिक गैसों के मिश्रण को विलायक के सम्पर्क में लाया जाता है, तब प्रत्येक गैसीय अवयव अपने आंशिक दाब के समानुपात में घुलता है। इसीलिए हेनरी नियम अन्य गैसों की उपस्थिति से स्वतन्त्र होकर प्रत्येक गैस पर लागू किया जाता है।

हेनरी नियम के अनुप्रयोग (Applications of Henry’s Law) – हेनरी नियम के उद्योगों में अनेक अनुप्रयोग हैं एवं यह कुछ जैविक घटनाओं को समझने में सहायक होता है। इसके कुछ महत्त्वपूर्ण अनुप्रयोग निम्नलिखित हैं

(1) सोडा-जल एवं शीतल पेयों में CO2 की विलेयता बढ़ाने के लिए बोतल को अधिक दाब पर बन्द किया जाता है।

(2) गहरे समुद्र में श्वास लेते हुए गोताखोरों को अधिक दाब पर गैसों को अधिक घुलनशीलता का सामना करना पड़ सकता है। अधिक बाहरी दाब के कारण श्वास के साथ ली गई वायुमण्डलीय गैसों की विलेयता रुधिर में अधिक हो जाती है। जब गोताखोर सतह की ओर आते हैं, बाहरी दाब धीरे-धीरे कम होने लगता है। इसके कारण घुली हुई गैसें बाहर निकलती हैं, इससे रुधिर में नाइट्रोजन के बुलबुले बन जाते हैं। यह केशिकाओं में अवरोध उत्पन्न कर देता है और एक चिकित्सीय अवस्था उत्पन्न कर देता है। जिसे बेंड्स (Bends) कहते हैं, यह अत्यधिक पीड़ादायक एवं जानलेवा होता है। बेंड्स से तथा नाइट्रोजन की रुधिर में अधिक मात्रा के जहरीले प्रभाव से बचने के लिए, गोताखोरों द्वारा श्वास लेने के लिए उपयोग किए जाने वाले टैंकों में हीलियम मिलाकर तनु की गई वायु को भरा जाता है (इस वायु को संघटन इस प्रकार होता है-11.7% हीलियम, 56.2% नाइट्रोजन तथा 32.1% ऑक्सीजन)

(3) अधिक ऊँचाई वाली जगहों पर ऑक्सीजन का आंशिक दाब सतही स्थानों से कम होता है, अत: इन जगहों पर रहने वाले लोगों एवं आरोहकों के रुधिर और ऊतकों में ऑक्सीजन की सान्द्रता निम्न हो जाती है। इसके कारण आरोहक कमजोर हो जाते हैं और स्पष्टतया सोच नहीं पाते। इन लक्षणों को एनॉक्सिया कहते हैं।

Question - 25 : - 6.56 x 10-3 g एथेन युक्त एक संतृप्त विलयन में एथेन का आंशिक दाब 1 bar है। यदि विलयन में 5.00 x 10-2 gएथेन हो तो गैस का आंशिक दाब क्या होगा?

Answer - 25 : - m = KH x p
प्रथम मामले में, 6.56 x 10-2 g= KH x 1 bar
KH = 6.56 x 10-2 g bar-1
द्वितीय मामले में, 5.00 x 10-2 g= (6.56 x 10-2 g bar-1) x p

Question - 26 : - राउल्ट के नियम से धनात्मक एवं ऋणात्मक विचलन का क्या अर्थ है तथा Δमिश्रण H का चिह्न इन विचलनों से कैसे सम्बन्धित है?

Answer - 26 : -

जब कोई विलयन सभी सान्द्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन नहीं करता तो वह अनादर्श विलयन (non-ideal solution) कहलाता है। इस प्रकार के विलयनों का वाष्प दाब राउल्ट के नियम द्वारा निर्धारित किए गए वाष्प दाब से या तो अधिक होता है या कम। यदि यह अधिक होता है तो यह विलयन राउल्ट के नियम से धनात्मक विचलन (positive deviation) प्रदर्शित करता है और यदि यह कम होता है तो यह ऋणात्मक विचलन (negative deviation) प्रदर्शित करता है।
(i) राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन (Non-ideal solutions showing positive deviation from Raoult’s law) – दो अवयवों A तथा B वाले एक द्विअंगी विलयन पर विचार करते हैं। यदि विलयन में A-B अन्योन्यक्रियाएँ A-A तथा B-B अन्योन्यक्रियाओं की तुलना में दुर्बल होती हैं अर्थात् विलेय-विलायक अणुओं के मध्य अन्तराआण्विक आकर्षण बल विलेय-विलेय और विलायक-विलायक अणुओं की तुलना में दुर्बल होते हैं, तब इस प्रकार के विलयनों में से A अथवा B के अणु शुद्ध अवयव की तुलना में सरलता से पलायन कर सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप विलयन के प्रत्येक अवयव का वाष्प दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प दाब से अधिक होता है। इस प्रकार कुल वाष्प दाब भी अधिक होता है। विलयन का यह व्यवहार राउल्ट नियम से धनात्मक विचलन के रूप में जाना जाता है।
गणितीय रूप से इसे इस प्रकार व्यक्त कर सकते हैं –

PA >PºA xA तथा PB >PºBxB

इसी प्रकार कुल वाष्प दाब, p = pA +pB सदैव (pºAxA + pºBxB)से अधिक होता है।
इस प्रकार के विलयनों में, Δमिश्रण H शून्य नहीं होता, अपितु धनात्मक होता है क्योकि A-A अथवा B-B आकर्षण बलों के विरुद्ध ऊष्मा की आवश्यकता होती है। अत: घुलनशीलता ऊष्माशोषी प्रक्रिया होती है।

(ii) राउल्ट नियम से ऋणात्मक विचलन प्रदर्शित करने वाले अनादर्श विलयन (Non-ideal solutionsshowing negative deviation from Raoult’s law) – इस प्रकार के विलयनों में A-A B-B के बीच अन्तराआण्विक आकर्षण बल A-B की तुलना में दुर्बल होता है, अत: इस प्रकार के विलयनों में A तथा B अणुओं की पलायन प्रवृत्ति शुद्ध अवयव की तुलना में कम होती है, परिणामस्वरूप विलयन के प्रत्येक अवयव का वाष्प दाब राउल्ट नियम के आधार पर अपेक्षित वाष्प दाब से कम होता है। इसी प्रकार कुल वाष्प दाब भी कम होता है। गणितीय रूप में,

इस प्रकार के विलयनों में Δमिश्रण H शून्य नहीं होता, अपितु ऋणात्मक होता है क्योंकि आकर्षण बलों में वृद्धि से ऊर्जा उत्सर्जित होती है। अत: घुलनशीलता ऊष्माक्षेपी प्रक्रिया होती है।

Question - 27 : - विलायक के सामान्य क्वथनांक पर एक अवाष्पशील विलेय के 2% जलीय विलयन का 1.004 bar वाष्प दाब है। विलेय का मोलर द्रव्यमान क्या है?

Answer - 27 : -

क्वथनांक पर शुद्ध जल का वाष्प दाब (p°) = 1 atm = 1.013 bar
विलयन का वाष्प दाब (ps) = 1.004 bar

विलेय का द्रव्यमान (w2) = 2 g
विलयन का द्रव्यमान = 100 g
विलयन का द्रव्यमान = 98 g
तनु विलयनों के लिए राउल्ट के नियमानुसार,

Question - 28 : - हेप्टेन एवं ऑक्टेन एक आदर्श विलयन बनाते हैं। 373 K पर दोनों द्रव घटकों के वाष्प दाब क्रमशः 105.2 k Pa तथा 46.8 k Pa हैं। 26.0 g हेप्टेन एवं 35.0 g ऑक्टेन के मिश्रण का वाष्प दाब क्या होगा?

Answer - 28 : -


Question - 29 : - 300 K पर जल का वाष्प दाब 12.3 k Pa है। इसमें बने अवाष्पशील विलेय के एक मोलल विलयन का वाष्प दाब ज्ञात कीजिए।

Answer - 29 : - एक मोलल विलयन का तात्पर्य है कि 1 kg विलायक (जल) में विलेय का 1 mol उपस्थित है।

Question - 30 : - 114 g ऑक्टेन में किसी अवाष्पशील विलेय (मोलर द्रव्यमान 40 gmol-1) की कितनी मात्रा घोली जाए कि ऑक्टेन का वाष्प दाब घट कर मूल वाष्प दाब का 80% रह जाए?

Answer - 30 : -


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