Chapter 2 विलयन (Solutions) Solutions
Question - 11 : - ऐस्कॉर्बिक अम्ल (विटामिन C, C6H8O6)के उस द्रव्यमान का परिकलन कीजिए जिसे 75 g ऐसीटिक अम्ल में घोलने पर उसके हिमांक में 1.5°C की कमी हो जाए।
Kf = 3.9K kg mol-1
Answer - 11 : - हिमांक में अवनमन (∆Tf) = 1.5°
विलायक (CH3COOH) का द्रव्यमान, w1 = 75 g
विलायक (CH3COOH) का मोलर द्रव्यमान,
M1 = 60 g mol-1
विलेय (C6H8O6)का मोलर द्रव्यमान,
M2 = 176 g mol-1
Kf = 3.9 Kkg mol-1
Question - 12 : - 1,85,000 मोलर द्रव्यमान वाले एक बहुलक के 1.0 g को 37°C पर 450 mL जल में घोलने से उत्पन्न विलयन के परासरण दाब का पास्कल में परिकलन कीजिए।
Answer - 12 : -
परासरण दाब π = CRT = बहुलक को द्रव्यमान w2 = 1.0 g
बहुलक का मोलर द्रव्यमान (M2) = 185000 g mol-1
विलयन का आयतन (V) = 450 mL = 0.45 L
ताप (T)= 37 +273 = 310 K
विलयन स्थिरांक (R) = 8.314 × 103 Pa LK-1 mol-1
= 30.96 Pa
Question - 13 : - विलयन को परिभाषित कीजिए। कितने प्रकार के विभिन्न विलयन सम्भव हैं? प्रत्येक प्रकार के विलयन के सम्बन्ध में एक उदाहरण देकर संक्षेप में लिखिए।
Answer - 13 : -
विलयन (Solution) – विलयन दो या दो से अधिक अवयवों का समांगी मिश्रण (homogeneous mixture) होता है जिसका संघटन निश्चित परिसीमाओं के अन्तर्गत ही परिवर्तित हो सकता है।
यहाँ समांगी मिश्रण से तात्पर्य यह है कि मिश्रण में सभी स्थानों पर इसका संघटन व गुण समान होते हैं। विलयन को बनाने वाले पदार्थ विलयन के अवयव कहलाते हैं। किसी विलयन में उपस्थित अवयवों की कुल संख्या के आधार पर इन्हें द्विअंगी विलयन (दो अवयव), त्रिअंगी विलयन (तीन अवयव), चतुरंगी विलयन (चार अवयव) आदि कहा जाता है।
द्विअंगी विलयन के अवयवों को सामान्यत: विलेय तथा विलायक कहा जाता है। सामान्यतः जो अवयव अधिक मात्रा में उपस्थित होता है, वह विलायक कहलाता है, जबकि कम मात्रा में उपस्थित अन्य अवयव विलेय कहलाता है। विलायक विलयन की भौतिक अवस्था निर्धारित करता है जिसमें विलयन विद्यमान होता है। दूसरे शब्दों में विलेय वह पदार्थ है जो घुलता है तथा विलायक वह पदार्थ है जिसमें यह विलेय घुलता है। उदाहरणार्थ– यदि चीनी के कुछ क्रिस्टलों को जल से भरे बीकर में डाला जाता है तो ये जल में घुलकर विलयन बना लेते हैं। इस स्थिति में चीनी विलेय तथा जल विलायक है। विलयन में कणों का आण्विक आकार लगभग 1000 pm होता है तथा इसके विभिन्न अवयवों को किसी भी भौतिक विधि जैसे फिल्टरीकरण, निथारन, अभिकेन्द्रीकरण आदि के द्वारा पृथक्कृत नहीं किया जा सकता है।
विलयन के प्रकार (Types of solution) – विलेय तथा विलायक की भौतिक अवस्था के आधार पर विलयनों को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
उपर्युक्त नौ प्रकार के विलयनों में से तीन विलयन- द्रव में ठोस, द्रव में गैस तथा द्रव में द्रव अतिसामान्य विलयन हैं। इन तीनों प्रकार के विलयनों में द्रव विलायक के रूप में होता है। वे विलयन जिनमें जल विलायक के रूप में होता है, जलीय विलयन (aqueous solution) कहलाते हैं, जबकि जिन विलयनों में जल विलायक के रूप में नहीं होता अजलीय विलयन (non-aqueous solution) कहलाते हैं। सामान्य अजलीय विलायकों के उदाहरण हैं- ईथर, बेन्जीन, कार्बन टेट्राक्लोराइड आदि।
विलयन के प्रकारों की व्याख्या निम्नलिखित है –
(1) गैसीय विलयन (Gaseous solutions) – सभी गैसें तथा वाष्प समांगी मिश्रण बनाती हैं तथा इसीलिए इन्हें विलयन कहा जाता है। ये विलयन स्वत: तथा तीव्रता से बनते हैं। वायु गैसीय विलयन का एक सामान्य उदाहरण है।
(2) द्रव विलयन (Liquid solutions) – ये विलयन ठोसों अथवा गैसों को द्रवों में मिश्रित करने पर अथवा दो द्रवों को मिश्रित करने पर बनते हैं। कुछ ठोस पदार्थ भी मिश्रित करने पर द्रव विलयन बनाते हैं। उदाहरणार्थ- साधारण ताप पर सोडियम तथा पोटैशियम धातुओं की सममोलर मात्राएँ मिश्रित करने पर द्रव विलयन प्राप्त होता है। जल में पर्याप्त मात्रा में विलेय ऑक्सीजन तालाबों, नदियों तथा समुद्र में जलीय जीवों की प्राण-रक्षा करती है।
इन विलयनों में द्रव में द्रव विलयन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं। गैसों के समान द्रव मिश्रित किए जाने पर समांगी मिश्रण नहीं बनाते हैं। इनकी विलेयताओं के आधार पर इन मिश्रणों को तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है –
1. जब दोनों अवयव पूर्णतया मिश्रणीय हों (When both components are completely miscible) – इस स्थिति में दोनों द्रव समान प्रवृत्ति के होते हैं अर्थात् या तो ये दोनों ध्रुवी (जैसे-एथिल ऐल्कोहॉल तथा जल) होते हैं या अध्रुवी (जैसे—बेन्जीन तथा हेक्सेन) होते हैं।
2. जब दोनों अवयव लगभग मिश्रणीय हों (When both components are almost miscible) – यहाँ एक द्रव ध्रुवी तथा दूसरा अध्रुवी प्रकृति का होता है; जैसे-बेन्जीन तथा जल, तेल तथा जल आदि।
3. जब दोनों अवयव आंशिक मिश्रणीय हों (When both components are partially miscible) – यदि द्रव A में अन्तरअणुक आकर्षण A-A, द्रव B में अन्तरअणुक आकर्षण B-B से भिन्न हो, परन्तु A-B आकर्षण माध्यमिक कोटि का हो, तब दोनों द्रव परस्पर सीमित मिश्रणीय होते हैं। उदाहरणार्थ-ईथर तथा जल आंशिक रूप से मिश्रित होते हैं।
(3) ठोस विलयन (Solid solutions) – ठोसों के मिश्रणों की स्थिति में ये विलयन अत्यन्त सामान्य होते हैं। उदाहरणार्थ- गोल्ड तथा कॉपर ठोस विलयन बनाते हैं; क्योंकि गोल्ड परमाणु कॉपर क्रिस्टल में कॉपर परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर देते हैं तथा इसी प्रकार कॉपर परमाणु गोल्ड क्रिस्टलों में गोल्ड परमाणुओं को प्रतिस्थापित कर सकते हैं। दो अथवा दो से अधिक धातुओं की मिश्रधातुएँ ठोस विलयन होती हैं।
ठोस विलयनों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है –
1. प्रतिस्थापनीय ठोस विलयन (Substitutional solid solutions) – इन विलयनों में एक पदार्थ के परमाणु, अणु अथवा आयन क्रिस्टल जालक में अन्य पदार्थ के कणों का स्थान ले लेते हैं। पीतल, कॉपर तथा जिंक प्रतिस्थापनीय ठोस विलयनों के सामान्य उदाहरण हैं।
2. अन्तराकाशी ठोस विलयन (Interstitial solid solutions) – इन विलयनों में एक प्रकार के परमाणु अन्य पदार्थ के परमाणुओं के जालक में विद्यमान रिक्तिकाओं अथवा अन्तराकाशों के स्थान को ग्रहण कर लेते हैं। अन्तराकाशी ठोस विलयन का एक सामान्य उदाहरण टंगस्टन-कार्बाइड (WC) है।
Question - 14 : - एक ऐसे ठोस विलयन का उदाहरण दीजिए जिसमें विलेय कोई गैस हो।
Answer - 14 : - चूँकि एक पदार्थ के कण दूसरे पदार्थ के कणों की तुलना में बहुत छोटे हैं, अतः छोटे कण बड़े कणों के अन्तराकाशी स्थलों में व्यवस्थित हो जायेंगे। अतः ठोस विलयन अन्तराकाशी ठोस विलयन (interstitial solid solution) प्रकार का होगा।
Question - 15 : - निम्न पदों को परिभाषित कीजिए –
1. मोल-अंश
2. मोललता
3. मोलरता
4. द्रव्यमान प्रतिशत।
या
किसी जलीय विलयन की सान्द्रता व्यक्त करने की किन्हीं चार विधियों का उल्लेख कीजिए। प्रत्येक का एक उदाहरण भी दीजिए।
Answer - 15 : - 1. मोल-अंश (Mole-Fraction) – विलयन में उपस्थित किसी एक घटक या अवयव के मोलों की संख्या तथा विलेय एवं विलायक के कुल मोलों की संख्या के अनुपात को उस अवयव का मोल-अंश कहते हैं। इसे x से व्यक्त करते हैं।
माना एक विलयन में विलेय के nA मोल तथा विलायक के nB मोल उपस्थित हैं, तब
अतः यदि किसी द्विअंगी विलयन के एक अवयव के मोल-अंश ज्ञात हों तो दूसरे अवयव के मोल-अंश ज्ञात किए जा सकते हैं। उदाहरणार्थ-द्विअंगी विलयन के लिए मोल-अंश xA, xB से निम्नलिखित प्रकार सम्बन्धित है –
xA = 1 – xB
या xB = 1 – xA
मोल- अंश विलयन के ताप पर निर्भर नहीं करते हैं।
2. मोललता (Molality) – किसी विलयन के 1 kg विलायक में उपस्थित विलेय के मोलों की संख्या विलयन की मोललता कहलाती है। इसे m से व्यक्त किया जाता है। गणितीय रूप में,अत: मोललता की इकाई मोल प्रति किग्रा (mol kg-1) होती है।
यदि विलेय के nB मोल विलायक के W ग्राम में घुले हों, तब
मोललता = x 1000 3. मोलरता (Molarity) – एक लीटर (1 क्यूबिक डेसीमीटर) विलयन में घुले हुए विलेय के मोलों की संख्या को उस विलयन की मोलरता (M) कहते हैं।
अत: वह विलयन जिसमें विलेय के एक ग्राम- मोल विलयन के एक लीटर में उपस्थित हों, 1 M विलयन कहलाता है। उदाहरणार्थ– 1M-Na2CO3 (मोलर द्रव्यमान = 106) विलयन के प्रति लीटर में 106 g विलेय उपस्थित होता है।
अतः मोलरता की इकाई मोल प्रति लीटर (mol L-1) या मोल प्रति घन डेसीमीटर (mol dm-3)होती हैं। प्रतीक M को mol L-1 अथवा mol dm-3 के लिए प्रयोग किया जाता है तथा यह मोलरता व्यक्त करता है।
यदि विलेय के nB मोल विलयन के V mL आयतन में उपस्थित हों, तब
मोलरता (M) = x 1000 विलेय के मोल निम्नलिखित प्रकार ज्ञात किए जा सकते हैं –
मोलरता सान्द्रता व्यक्त करने की एक साधारण माप है जिसे प्रयोगशाला में सामान्यतया प्रयोग किया जाता है। यद्यपि इसमें एक कमी है, यह ताप के साथ परिवर्तित हो जाती है क्योंकि ताप के साथ द्रव का प्रसार अथवा संकुचन हो जाता है।
(iv) द्रव्यमान प्रतिशत (Mass Percentage) – किसी विलयन में किसी अवयव का द्रव्यमान प्रतिशत विलयन के प्रति 100 g में उस अवयव का द्रव्यमान होता है। उदाहरणार्थ– यदि विलयन में अवयव A का द्रव्यमान WA तथा अवयव B को द्रव्यमान WB हो तो
A का द्रव्यमान प्रतिशत = × 100इसे w/w से व्यक्त किया जाता है। उदाहरणार्थ- 10% (w/w) सोडियम क्लोराइड विलयन का अर्थ है। कि 10 g सोडियम क्लोराइड 90 g जल में उपस्थित है तथा विलयन का कुल द्रव्यमान 100 g है अथवा 10 g सोडियम क्लोराइड 100 g विलयन में उपस्थित है।
Question - 16 : - प्रयोगशाला कार्य के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला सान्द्र नाइट्रिक अम्ल द्रव्यमान की दृष्टि से नाइट्रिक अम्ल का 68% जलीय विलयन है। यदि इस विलयन का घनत्व 1.504 g mL-1 हो तो अम्ल के इस नमूने की मोलरता क्या होगी?
Answer - 16 : - द्रव्यमानानुसार 68% HNO3 का तात्पर्य है कि 100 g विलयन में 68 g HNO3 उपस्थित होगा।
Question - 17 : - ग्लूकोस का एक जलीय विलयन 10% (w/w) है। विलयन की मोललता तथा विलयन में प्रत्येक घटक का मोल-अंश क्या है? यदि विलयन का घनत्व 1.2 g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता क्या होगी?
Answer - 17 : - 10%(w/w) ग्लूकोस विलयन का तात्पर्य है कि 100 g ग्लूकोस विलयन में 10 g ग्लूकोस उपस्थित होगा।
जल का द्रव्यमान = 100 – 10 = 90 g= 0.090kg
10 g ग्लूकोस = mol = 0.0555 mol,
90 g H2O = = 5 mol
मोललता (m)= = 0.617 m
Question - 18 : - यदि 1g मिश्रण में Na2CO3 एवं NaHCO3 के मोलों की संख्या समान हो तो इस मिश्रण से पूर्णतः क्रिया करने के लिए 0.1 M HCl के कितने mL की आवश्यकता होगी?
Answer - 18 : -
Question - 19 : - द्रव्यमान की दृष्टि से 25% विलयन के 300 g एवं 40% के 400 g को आपस में मिलाने पर प्राप्त मिश्रण का द्रव्यमान प्रतिशत सान्द्रण निकालिए।
Answer - 19 : - 25% विलयन का तात्पर्य है कि 25 g विलेय 100 g विलयन में उपस्थित है तथा 40% विलयन का तात्पर्य है कि 40 g विलेय 100 g विलयन में उपस्थित है।
300 g विलयन में विलेय = = 75 g
400 g विलयन में विलेय = = 160 g
∴ विलेय का कुल द्रव्यमान = 75 + 160 = 235 g
∴ मिश्रण में विलेय का द्रव्यमान प्रतिशत = = 33.57 %
Question - 20 : - 222.6 g, एथिलीन ग्लाइकॉल, C2H4(OH)2 तथा 200 g जल को मिलाकर प्रतिहिम मिश्रण बनाया गया। विलयन की मोललता की गणना कीजिए। यदि विलयन का घनत्व 1.072 g mL-1 हो तो विलयन की मोलरता निकालिए।
Answer - 20 : -