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Chapter 13 ऐमीन (Amines) Solutions

Question - 11 : -

निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम लिखिए

  1. (CH3)2CHNH2
  2. CH3(CH2)2CH2NH2
  3. CH3NHCH(CH3)2
  4. (CH3)3CNH2
  5.  C6H5NHCH3
  6. (CH3CH2)2NCH3
  7. m-BrC6H4NH

Answer - 11 : -

  1. प्रोपेन-2-ऐमीन (1°)
  2. प्रोपेन-1-ऐमीन (1°)
  3. N-मेथिल प्रोपेन-2-ऐमीन (2°)
  4. 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन (3°)
  5. N-मेथिलबेन्जीनेमीन या N-मेथिलऐनिलीन (2°)
  6. N-एथिल, N-मेथिलऐथेनेमीन (3°)
  7. 3-ब्रोमोबेन्जैनेमीन या 3-ब्रोमोऐनिलीन (1°)

Question - 12 : -
निम्नलिखित युग्मों के यौगिकों में विभेद के लिए एक रासायनिक परीक्षण दीजिए
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन।

Answer - 12 : - (i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन :
इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। मेथिलऐमीन प्राथमिक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् KOH के ऐल्कोहॉलिक विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह मेथिल काबिलेमीन की तीव्र गन्ध देती है। इसके विपरीत, डाइमेथिलऐमीन एक द्वितीयक ऐमीन है, इसलिए यह कार्बिलऐमीन परीक्षण नहीं देती।

(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन :
इनमें लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। द्वितीयक ऐमीन लिबरमैन नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण देती हैं, जबकि तृतीयक ऐमीन ये परीक्षण नहीं देती।। द्वितीयक ऐमीन HNO2, से अभिक्रिया करके पीले रंग का तैलीय N-नाइट्रोसोऐमीन देती हैं। यहाँ HNO2, को खनिज अम्ल (HCI) तथा सोडियम नाइट्राइट की अभिक्रिया द्वारा माध्यम में (in situ) ही बनाया जाता है

N-नाइट्रोसोडाइएथिल ऐमीन को फीनॉल के क्रिस्टल तथा सान्द्र H2SO2 के साथ गर्म करने पर यह एक हरा विलयन देती है जिसे जलीय NaOH के साथ क्षारीय बनाए जाने पर गहरा नीला विलयन प्राप्त होता है जो तनुकरण पर लाल हो जाता है। तृतीयक ऐमीन यह परीक्षण नहीं देती हैं।

(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन
एथिलऐमीन प्राथमिक ऐलिफैटिक ऐमीन है, जबकि ऐनिलीने प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन है। इन्हें ऐजो रंजक परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। ऐजो रंजक परीक्षणइसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की HNO2, (NaNO2,+ तनु HCl ) के साथ 273–278K पर अभिक्रिया होती है तथा इसके पश्चात् 2 नैफ्थॉल (β – नैफ्थॉल) के क्षारीय विलयन के साथ अभिक्रिया से गहरे पीले, नारंगी या लाल रंग का रंजक प्राप्त होता है।
ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीन उपर्युक्त परिस्थितियों के अन्तर्गत प्राथमिक ऐल्कोहॉलों के निर्माण के साथ नाइट्रोजन गैस तीव्रता से मुक्त करती हैं अर्थात् विलयन पारदर्शी ही रहता है।
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन :
इन्हें नाइट्रस अम्ल परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। नाइट्रस अम्ल परीक्षणबेन्जिल ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके डाइऐजोनियम लवण बनाती है जो कम ताप पर भी अस्थायी होने के कारण N2, के विमुक्तन के साथ विघटित हो जाता है।
ऐनिलीनHNO2, से अभिक्रिया करके बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाती है जो 273 – 278 K पर स्थायी होता है, इसलिए विघटित होकर नाइट्रोजन गैस नहीं देता है।
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन :
इनमें कार्बिलऐमीन परीक्षण द्वारा विभेद किया जा सकता है। ऐनिलीन प्राथमिक ऐमीन होने के कारण कार्बिलऐमीन परीक्षण देती है अर्थात् ऐल्कोहॉलिक KOH विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह फेनिल आइसोसायनाइड की हानिकारक गन्ध देती है। इसके विपरीत, N – मेथिल ऐनिलीन द्वितीयक ऐमीन होने के कारण यह परीक्षण नहीं देती।

Question - 13 : -
निम्नलिखित के कारण बताइए
(i) ऐनिलीन का pKb मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) एथिल ऐमीन जल में विलेय है, जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देती है।
(iv) यद्यपि ऐमीनो समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थों एवं पैरा-निर्देशक होता है, फिर भी ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में     मेटा-नाइट्रोऐनिलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ्रीडेल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती

Answer - 13 : -

(i) ऐनिलीन, मेथिलऐमीन से अधिक दुर्बल क्षार होती है। ऐनिलीन में  N – परमाणु पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। दूसरी ओर, मेथिलऐमीन में CH3 समूह के + I  प्रभाव के कारण N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है। अत: ऐनिलीन मेथिलऐमीन से दुर्बल क्षार होता है, अत: इसका  pKb, मान मेथिलऐमीन से उच्च होता है।

(ii) एथिलऐमीन जल के अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाने के कारण जल में विलेय होती है।
image 18
दूसरी ओर, ऐनिलीन जल में वृहत् हाइड्रोकार्बन भाग CH5 के कारण अविलेय होता है, क्योंकि यह हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनाता है।

(iii) मेथिलऐमीन जल से अधिक क्षारीय होने के कारण जल से प्रोटॉन ग्रहण करके OH आयन मुक्त करती है।
ये OH आयन जल में उपस्थित Fe3+ आयनों से संयुक्त होकर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप देती हैं।
(iv) नाइट्रीकरण की प्रक्रिया सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4 के मिश्रण की उपस्थिति में होती है। इन अम्लों की उपस्थिति में अधिकांश ऐनिलीन प्रोटॉनीकृत होकर ऐनिलीनियम आयन बनाती है। अतः अम्लों की उपस्थिती में अभिक्रिया मिश्रण में ऐनिलीन और ऐनिलीनियम आयन होते हैं -NH2, समूह ऐनिलीन में ऑर्थों तथा पैरा निर्देशक होता है तथा सक्रियक (dactivating) होता है, जबकि ऐनिलीनियम आयन में \overset { + }{ N } { H }_{ 3 } समूह मेटा निर्देशक तथा निष्क्रियकारक होता है। ऐनिलीन के नाइट्रीकरण से p-नाइट्रोऐनिलीन प्राप्त होती है, जबकि ऐनिलीनियम आयन मेटा नाइट्रोऐनिलीन देता है।

अतः ऐनिलीन का नाइट्रीकरण ऐमीनो समूह के प्रोटॉनीकरण द्वारा m – नाइट्रोऐनिलीन देता है।

(v) ऐल्किलीकरण तथा ऐसिलीकरण की तरह ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया नहीं देती है क्योंकि यह एलुमिनियम क्लोराइड जो कि उत्प्रेरक के रूप में प्रयुक्त होता है (लुईस अम्ल) के साथ लवण बनाती है। इस नाइट्रोजन परमाणु के कारण ऐनिलीन -NH2, समूह के नाइट्रोजन परमाणु पर धनावेश जाता है अतः यह पुनः अभिक्रिया के लिए प्रबल निष्क्रियकारक समूह का कार्य करता है।

(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों के लवणों से अधिक स्थायी होते हैं। क्योंकि निम्न ताप पर ऐलिफैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण वियोजित होकर नाइट्रोजन गैस देते हैं।

(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया से शुद्ध प्राथमिक ऐमीन प्राप्त होती है। अतएव, इसका प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के संश्लेषण में किया जाता है।

Question - 14 : -

निम्नलिखित को क्रम में लिखिए
(i) pKb,
मान के घटते क्रम में
C2H5NH2, C6H5NHCH3,(C2H5)2 NH
एांव C6H5NH2,

(ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2,(C2H5)2 NH,
एांव CH3NH2

(iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में
(
) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलूडीन
(
)C6H5NH2, C6H5NHCH3,C6H5CH2NH2

(iv) गैस अवस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में
C2H5NH2, (C2H5)2 NH,(C2H5)3 N
एवं  NH3

(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में
C2H5OH, (CH3)2NH, C6H5NH2

(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में
C2H5NH2,  (C2H5)2 NH, C2H5NH2

Answer - 14 : -


Question - 15 : -
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिल ऐमीन में
(viii) प्रोपेनोइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में?

Answer - 15 : -


Question - 16 : - प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के रासायनिक समीकरण भी लिखिए।

Answer - 16 : - बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO4Cl),जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक भी कहा जाता है, प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीनों से अभिक्रिया करके सल्फोनेमाइड बनाता है।
(i) 
बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड और प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया से N-एथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड प्राप्त होता है।

सल्फोनेमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खींचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होती है, अत: यह क्षार में विलेय होता है।

(ii) द्वितीयक ऐमीन की अभिक्रिया से N,N-डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनेमाइड बनता है।

N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड में कोई भी हाइड्रोजन परमाणु नाइट्रोजन परमाणु से नहीं जुड़ा है। अत: यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।

(iii) तृतीयक ऐमीन बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गों के ऐमीनों का यह गुण जिसमें वे बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती हैं, प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में विभेद करने एवं इन्हें मिश्रण से पृथक् करने में प्रयुक्त होता है। यद्यपि आजकल बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड के स्थान पर p – टॉलूईन सल्फोनिल क्लोराइड का प्रयोग होता है।

Question - 17 : -
निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए
(i) कार्बिलऐमीन अभिक्रिया 
(ii) डाइऐजोकरण 
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया 
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमोनीअपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।

Answer - 17 : - (i) काबिलऐमीन अभिक्रिया (Carbylamine Reaction) :
जब ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन (जैसेऐनिलीन, एथिल या मेथिल ऐमीन) को ऐल्कोहॉलीय KOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म की कुछ बूंदों के साथ गर्म किया जाता है तो तीव्र दुर्गन्धयुक्त आइसोसायनाइड प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को कार्बिलऐमीन अभिक्रिया कहते हैं। इसका उपयोग प्राथमिक ऐमीन समूह की उपस्थिति ज्ञात करने में होता है।
उदाहरण :

(ii) डाइऐजोकरण अभिक्रिया (Diazotisation Reaction) :
वह क्रिया जिसमें ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन सोडियम नाइट्राइट तनु HCl के मिश्रण (तनु खनिज अम्ल) के साथ 273 से 278 K ताप पर अभिक्रिया द्वारा ऐमीनो समूह को डाइऐजो समूह में परिवर्तित करते हों, डाइऐजोकरण अभिक्रिया कहलाती है।

उदाहरण :
ऐनिलीन को सोडियम नाइट्राइट तनु HCl के मिश्रण के साथ 273 से 278 K ताप पर अभिकृत करने पर बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनता है।
(iii) हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया (Hofmann’s BromamideReaction) : 
वह अभिक्रिया जिसमें ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक ऐसिड ऐमाइड द्रव ब्रोमीन के साथ कास्टिक पोटाश के जलीय विलयन की उपस्थिति में अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐमीन (1C कम का) बनाते हैं, तो यह अभिक्रिया हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया की सहायता से – CONH2, समूह को -NH2, समूह में परिवर्तित किया जाता है।
इस अभिक्रिया में ऐसीटेमाइड, प्रोपिल ऐमाइड तथा बेन्जेमाइड को क्रमशः मेथिल ऐमीन, एथिल ऐमीन तथा ऐनिलीन में परिवर्तित किया जा सकता है। यह अभिक्रिया निम्नलिखित पदों में होती है
 
(iv) युग्मन अभिक्रिया (Coupling Reaction) :
डाइऐजोनियम लवणों की फीनॉलों तथा ऐरोमैटिक ऐमीनों के साथ अभिक्रिया जिससे सामान्य सूत्रAr – N = N – Ar के ऐजो यौगिक बनते हैं। युग्मन अभिक्रियाएँ कहलाती हैं। इस अभिक्रिया में डाइऐजो समूह का नाइट्रोजन परमाणु उत्पाद में भी उपस्थित रहता है। फीनॉलों के साथ युग्मन अल्प क्षारीय माध्यम में होता है, जबकि ऐमीनों के साथ यह पर्याप्त अम्लीय माध्यम में होता है।
उदाहरणार्थ :
बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड फीनॉल से अभिक्रिया करके इसके पैरा स्थान पर युग्मित होकर पैरा हाइड्रॉक्सीऐजोबेन्जीन बनाता है। इसी प्रकार की अभिक्रिया को युग्मन अभिक्रिया कहते हैं। इसी प्रकार से डाइऐजोनियम लवण की ऐनिलीन से अभिक्रिया द्वारा पैरा-ऐमीनोऐजोबेन्जीन बनती है। यह एक इलेक्ट्रॉनरागी अभिक्रिया का उदाहरण है।

युग्मन सामान्यतया पैरा स्थिति [हाइड्रॉक्सिल अथवा ऐमीनो समूह के सापेक्ष (यदि मुक्त है)] पर होता है, अन्यथा यह ऑर्थो स्थिति पर होता है।

(v) अमोनीअपघटन (Ammonolysis) :
ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइडों में कार्बन-हैलोजेन आबन्ध नाभिकरागी द्वारा सरलता से विदलित हो जाता है, इसलिए ऐल्किल अथवा बेन्जिल हैलाइड अमोनिया के एथेनॉलिक विलयन से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं जिसमें हैलोजेन परमाणु ऐमीनो (NH2) समूह से प्रतिस्थापित हो जाता है। अमोनिया अणु द्वारा C-X आबन्ध के विदलन की प्रक्रिया को अमोनीअपघटन (ammonolysis) कहते हैं। यह अभिक्रिया 373 K ताप पर सील बन्द नलिका में कराते हैं। इस प्रकार से प्राप्त प्राथमिक ऐमीन नाभिकरागी की तरह व्यवहार करती है और पुनः ऐल्किल हैलाइड से अभिक्रिया करके द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा अन्तत: चतुष्क अमोनियम लवण बना सकती है।
इस अभिक्रिया में हैलाइडों की ऐमीनों से अभिक्रियाशीलता का क्रम RI > RBr > RCI होता है। अमोनियम लवण से मुक्त ऐमीन प्रबल क्षार द्वारा अभिक्रिया से प्राप्त की जा सकती है।

अमोनीअपघटन में यह असुविधा है कि इससे प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन तथा चतुष्क अमोनियम लवण का मिश्रण प्राप्त होता है। यद्यपि अमोनिया आधिक्य में लेने पर प्राप्त मुख्य उत्पाद प्राथमिक ऐमीन हो सकता है।

(vi) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण (Acetylation) :
किसी –OH या –NH, समूह के हाइड्रोजन परमाणु का ऐसीटिल (CH3CO) समूह द्वारा विस्थापन ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण कहलाता है। यह प्रक्रम ऐसीटिल क्लोराइड (CH3COCI), ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड या ग्लेशियल ऐसीटिक अम्ल द्वारा किया जाता है।
उदाहरण :

इस प्रक्रम का उपयोग ऐमीनो तथा हाइड्रॉक्सी समूहों की संख्या ज्ञात करने में होता है।

(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण (Gabriel PhthalimideSynthesis) :
गैब्रिएल संश्लेषण का प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए किया जाता है। थैलिमाइड एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है जो ऐल्किल हैलाइड के साथ गर्म करने के पश्चात् क्षारीय जल-अपघटन द्वारा संगत प्राथमिक ऐमीन उत्पन्न करता है।

ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकती क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं कर सकते।

Question - 18 : -
निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2,4,6-ट्राइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2 – फेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लोरोबेन्जीन से p – क्लोरोऐनिलीन
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलूईन
(vii) ऐनिलीन से p – ब्रोमोऐनिलीन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल

Answer - 18 : - (i)

(ix) (vii) के समान ऐनिलीन से अभिक्रिया लिखिए, तब

Question - 19 : - निम्नलिखित अभिक्रियाओं में  A, B  तथा  C की संरचना दीजिए

Answer - 19 : - (i)

Question - 20 : - एक ऐरोमैटिक यौगिक  ‘A’  जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक  ‘B’  बनाता है जो Br2, (ब्रोमीन) एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणुसूत्र C6H7Nवाला यौगिक ‘C’ बनाता है। A, B एवं C यौगिकों की संरचना एवं इनके आई०यू०पी०ए०सी० नाम। लिखिए।

Answer - 20 : - चूंकि यह ऐरोमैटिक यौगिक है अत: इसमें बेन्जीन वलय होगी। B, Brतथा KOH के साथ गर्म करने पर (हॉफमान ब्रोमेमाइड अभिक्रिया) यौगिक ‘C’ (अणुसूत्र C6H7N) बनाता है। केवल उच्च ऐमाइड हॉफमैन ब्रोमेमाइड अभिक्रिया [Br2 +KOH]द्वारा निम्न ऐमीन देते हैं। अतएव  B, C6H5CONH2,तथा  C, C6H5NH,हैं। चूंकि यौगिक C6H5CONH2,A से प्राप्त होता है, अत: A, C6H5COOH (कार्बोक्सिलिक अम्ल) होगा, अभिक्रियाओं का अनुक्रम और A, B तथा C की संरचनाएँ अग्रवत् होंगी

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