Question -
Answer -
बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO4Cl),जिसे हिन्सबर्ग अभिकर्मक भी कहा जाता है, प्राथमिक और द्वितीयक ऐमीनों से अभिक्रिया करके सल्फोनेमाइड बनाता है।
(i) बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड और प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया से N-एथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड प्राप्त होता है।
सल्फोनेमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खींचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होती है, अत: यह क्षार में विलेय होता है।
(ii) द्वितीयक ऐमीन की अभिक्रिया से N,N-डाइएथिलबेन्जीनसल्फोनेमाइड बनता है।
N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड N, N – डाइएथिलबेन्जीन सल्फोनेमाइड में कोई भी हाइड्रोजन परमाणु नाइट्रोजन परमाणु से नहीं जुड़ा है। अत: यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।
(iii) तृतीयक ऐमीन बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गों के ऐमीनों का यह गुण जिसमें वे बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती हैं, प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में विभेद करने एवं इन्हें मिश्रण से पृथक् करने में प्रयुक्त होता है। यद्यपि आजकल बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड के स्थान पर p – टॉलूईन सल्फोनिल क्लोराइड का प्रयोग होता है।