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Chapter 12 ऐल्डिहाइड कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल (Aldehydes Ketones and Carboxylic Acids) Solutions

Question - 21 : - एक कार्बनिक यौगिक’ (आण्विक सूत्र, C8H16O2)को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल-अपघटित करने के उपरान्त एक कार्बोक्सिलिक अम्लएवं एक ऐल्कोहॉल प्राप्त हुए।को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने परउत्पन्न होता है।निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।

Answer - 21 : -


Question - 22 : - निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गए) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए
(i)
ऐसीटेल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन, मेथिल तृतीयक ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता)
(ii) CH3CH2CH(Br)COOH, CH3CH(Br)CH2COOH,(CH3)2CHCOOH, CH3CH2CH2COOH(
अम्लता के क्रम में)
(iii)
बेन्जोइक अम्ल, 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 3,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल, 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)

Answer - 22 : - (i) डाइ-तृतीयक ब्यूटिल कीटोन < तृतीयक ब्यूटिल मेथिल कीटोन < ऐसीटोन < ऐसीटैल्डिहाइड

(iii) 4.मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल < बेन्जोइक अम्ल < 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल <3,4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल।

Question - 23 : -
निम्नलिखित यौगिक युग्मों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए –
1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन
2. ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन
3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट
5. पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन
6. बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन
7. एथेनल एवं प्रोपेनल।

Answer - 23 : - 1. प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन – इन यौगिकों में विभेद करने के लिए आयोडोफॉर्म परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। यह परीक्षण प्रोपेनोन द्वारा दिया जाता है, परन्तु प्रोपेनल द्वारा नहीं। प्रोपेनोन गर्म NaOH/I2 से अभिक्रिया करके CHI3 का पीला अवक्षेप देता है, जबकि प्रोपेनल नहीं देता।
2NaOH + I2 → NaI + NaOI + H2O

2. ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन – ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जोफीनोन नहीं देता।
3. फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल – बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 से अभिक्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है, जबकि फीनॉल नहीं देता।
फीनॉल Br2 जल को रंगहीन करके सफेद अवक्षेप देता है, परन्तु बेन्जोइक अम्ल नहीं देता।
4. बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट – बेन्जोइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया पर तीव्र बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त करता है, जबकि एथिल बेन्जोएट ऐसा नहीं करता।
5. पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन – पेन्टेन-2-ऑन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है अर्थात् NaOH   I2 के साथ आयोडोफॉर्म बनाता है, जबकि पेन्टेन-3-ऑन यह परीक्षण नहीं देता।
6. बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन – ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जेल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता।
7. एथेनल एवं प्रोपेनल – एथेनल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु प्रोपेनल नहीं।

Question - 24 : -
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हों, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iii) p-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फेनिलऐसीटिक अम्ल
(v) p-नाइट्रोबेन्जेल्डिहाइड।

Answer - 24 : -


Question - 25 : -
आप निम्नलिखित रूपान्तरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे?
1. प्रोपेनोन से प्रोपीन
2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जेल्डिहाइड
3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन
5. बेन्जेल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल
7. बेन्जेल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
8. बेन्जेल्डिहाइड से α-हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल
9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।

Answer - 25 : - 1. प्रोपेनोन से प्रोपीन –

2. बेन्जोइक अम्ल से बेन्जेल्डिहाइड –
3. एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल –
4. बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन –
5. बेन्जेल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन –
6. ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल –
7. बेन्जेल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल –
8. बेन्जेल्डिहाइड से α-हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल –
9. बेन्जोइक अम्ल से m-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल –

Question - 26 : -

निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन कीजिए

  1. ऐसीटिलिनन अथवा फ्रीडेल-क्राफ्ट ऐसीटिलीकरण
  2. कैनिजारो अभिक्रिया
  3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन
  4. विकार्बोक्सिलन।

Answer - 26 : - 1. ऐसीटिलिनन (Acetylation) – ऐल्कोहॉलों, फीनॉलों अथवा ऐमीनों के एक सक्रिय हाइड्रोजन का एक ऐसिल (-RCO) समूह के साथ प्रतिस्थापन, जिसके फलस्वरूप संगत एस्टर या ऐमाइड बनते हैंऐसीटिलिनन कहलाता है। यह प्रतिस्थापन किसी क्षारक; जैसे- पिरिडीन अथवा डाइमेथिलऐनिलीन की उपस्थिति में अम्ल क्लोराइड अथवा अम्ल ऐनहाइड्राइड का प्रयोग करके कराया जाता है।

2. कैनिजारो अभिक्रिया (Cannizzaro’sReaction) – ऐल्डिहाइड, जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है, जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
इन अभिक्रियाओं में ऐल्डिहाइड असमानुपातन दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि ऐल्डिहाइड का एक अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है तथा अन्य ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है। कीटोन ये अभिक्रिया नहीं देते हैं।
 
3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन (Cross AldolCondensation) – जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड और/या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि प्रत्येक में g-हाइड्रोजन हो तो ये चारे उत्पादों का मिश्रण देते हैं। इसे निम्नलिखित एथेनल प्रोपेनल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया द्वारा समझाया गया है
क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।
4. विकार्बोक्सिलन (Decarboxylation) – कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडलाइम (NaOH तथा CaO, 3 : 1 के अनुपात में) के साथ गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलने (decarboxylation) कहलाती है।

कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन द्वारा विकार्बोक्सिलन हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दुगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे विद्युत-अपघटन (Kolbe electrolysis) कहते हैं।

Question - 27 : - निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए –

Answer - 27 : -


(iii) H2NNHCONH2 का अधिक नाभिकरागी NH2NH भाग अभिक्रिया करके सेमीकाबेंजोन बनाता है।
(iv) 
(v) केवल ऐल्डिहाइड ही टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकृत होते हैं।
(vi) सायनोहाइड्रिन निर्माण ऐल्डिहाइड समूह पर होता है।
(viii) केवल कीटो समूह NaBH4 द्वारा अपचयित होता है।

Question - 28 : - निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए
(i)
साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है, परन्तु 2,2,6- ट्राइमेथिल साइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
(ii)
सेमीकाबेंजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकाबेंजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii)
कार्बोक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है, उसको निकाल दिया जाना चाहिए।

Answer - 28 : -


α-स्थानों पर तीन मेथिल समूहों की उपस्थिति के कारण CN आयनों का नाभिकस्नेही आक्रमण नहीं होता है। साइक्लोहेक्सेन में यह स्टेरिक अवरोध अनुपस्थित होता है। अत: CN आयनों का नाभिकस्नेही आक्रमण शीघ्रता से होता है। अत: साइक्लोहेक्सेनोन सायनोहाइडूिन अच्छी मात्रा में प्राप्त होता है।

सेमीकाबेंजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, लेकिन इनमें से एक (ऊपर प्रदर्शित) अनुनाद में भाग लेता है जिसके परिणामस्वरूप इस NH2 समूह पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है। अतः यह नाभिकस्नेही नहीं है, लेकिन दूसरे NH2 समूह पर एकाकी युग्म इलेक्ट्रॉन अनुनाद में भाग नहीं लेता है। अत: ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के C == O समूह पर आक्रमण के लिए उपलब्ध होता है।

(iii) कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल से अम्ल की उपस्थिति में एस्टरों के निर्माण की प्रक्रिया उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है।

साम्यावस्था को अग्र दिशा (forward direction) में विस्थापित करने के लिए जल या एस्टर को निर्मित होते ही निष्कासित कर लिया जाना चाहिए।

Question - 29 : - एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11.63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, परन्तु सोडियम हाइड्रोजनसल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। यौगिक की सम्भावित संरचना लिखिए।

Answer - 29 : - () यौगिक का अणुसूत्र ज्ञात करना
कार्बन का प्रतिशत = 69.77%
हाइड्रोजन का प्रतिशत = 11.63%
ऑक्सीजन का प्रतिशत = 100 – (69.77 + 11.63)
= 18.6%
C : H : O = 

=5.81 : 11.63 : 1.16
सरल अनुपात = 5 : 10 : 1
दिए गए यौगिक का मूलानुपाती सूत्र = C5H10O
मूलानुपाती सूत्र द्रव्यमान = 5 × 12 + 10 × 1 + 1 × 16= 86
आण्विक द्रव्यमान = 86 (दिया है)
अणुसूत्र = C5H10O× = C5H10O

इस प्रकार दिए गए यौगिक का अणुसूत्र = C5H10O

() यौगिक की संरचना ज्ञात करना –

  1. चूंकि दिया गया यौगिक सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक बनाता है, इसलिए यह एक ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन होना चाहिए।
  2. चूंकि यौगिक टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, इसलिए यह ऐल्डिहाइड नहीं हो सकता। अतः यह कीटोन होना चाहिए।
  3. चूँकि यौगिक आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, इसलिए दिया गया यौगिक मेथिल कीटोन है।
चूँकि दिया गया यौगिक प्रबल ऑक्सीकरण पर एथेनोइक अम्ले तथा प्रोपेनोइक अम्ल का मिश्रण देता है, इसलिए मेथिल कीटोन पेन्टेन-2-ओन है। इसकी संरचना इस प्रकार है
() सम्मिलित अभिक्रियाओं का विवरण –

Question - 30 : - यद्यपि फीनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ कार्बोक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं, परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है, क्यों?

Answer - 30 : -

काबॉक्सिलेट आयन में ऋणावेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर विस्थानित होता है, जबकि फीनॉक्साइड आयन में ऋणावेश एक ऑक्सीजन परमाणु पर ही विस्थानित होता है, इसलिए फोनॉक्साइड आयन की तुलना में कार्बोक्सिलेट आयन अधिक स्थायी होता है, फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल होते हैं।

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