Question -
Answer -
1. ऐसीटिलिनन (Acetylation) – ऐल्कोहॉलों, फीनॉलों अथवा ऐमीनों के एक सक्रिय हाइड्रोजन का एक ऐसिल (-RCO) समूह के साथ प्रतिस्थापन, जिसके फलस्वरूप संगत एस्टर या ऐमाइड बनते हैं, ऐसीटिलिनन कहलाता है। यह प्रतिस्थापन किसी क्षारक; जैसे- पिरिडीन अथवा डाइमेथिलऐनिलीन की उपस्थिति में अम्ल क्लोराइड अथवा अम्ल ऐनहाइड्राइड का प्रयोग करके कराया जाता है।

2. कैनिजारो अभिक्रिया (Cannizzaro’sReaction) – ऐल्डिहाइड, जिनमें α-हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया में ऐल्डिहाइड का एक अणु ऐल्कोहॉल में अपचयित होता है, जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।

इन अभिक्रियाओं में ऐल्डिहाइड असमानुपातन दर्शाता है। इसका तात्पर्य है कि ऐल्डिहाइड का एक अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल में ऑक्सीकृत हो जाता है तथा अन्य ऐल्कोहॉल में अपचयित हो जाता है। कीटोन ये अभिक्रिया नहीं देते हैं।
3. क्रॉस ऐल्डोल संघनन (Cross AldolCondensation) – जब दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड और/या कीटोन के मध्य ऐल्डोल संघनन होता है तो उसे क्रॉस ऐल्डोल संघनन कहते हैं। यदि प्रत्येक में g-हाइड्रोजन हो तो ये चारे उत्पादों का मिश्रण देते हैं। इसे निम्नलिखित एथेनल व प्रोपेनल के मिश्रण की ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया द्वारा समझाया गया है –

क्रॉस ऐल्डोल संघनन में कीटोन भी एक घटक के रूप में प्रयुक्त हो सकते हैं।

4. विकार्बोक्सिलन (Decarboxylation) – कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडलाइम (NaOH तथा CaO, 3 : 1 के अनुपात में) के साथ गर्म करने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलने (decarboxylation) कहलाती है।
कार्बोक्सिलिक अम्लों के क्षार धातु लवणों के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन द्वारा विकार्बोक्सिलन हो जाता है तथा ऐसे हाइड्रोकार्बन निर्मित होते हैं जिसमें कार्बन परमाणुओं की संख्या, अम्ल के ऐल्किल समूह में उपस्थित कार्बन परमाणुओं की संख्या से दुगुनी होती है। इस अभिक्रिया को कोल्बे विद्युत-अपघटन (Kolbe electrolysis) कहते हैं।