Chapter 4 गतिमान आवेश और चुम्बकत्व (Moving Charges and Magnetism) Solutions
Question - 21 : - एक सीधी, क्षैतिज चालक छड़ जिसकी लम्बाई 0.45 cm एवं द्रव्यमान 60 g है। इसके सिरों पर जुड़े दो ऊर्ध्वाधर तारों पर लटकी हुई है। तारों से होकर छड़ में 5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है।
(a) चालक के लम्बवत कितना चुम्बकीय क्षेत्र लगाया जाए कि तारों में तनाव शून्य हो जाए।
(b) चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा यथावत रखते हुए यदि विद्युत धारा की दिशा उत्क्रमित कर दी जाए तो तारों में कुल आवेश कितना होगा? (तारों के द्रव्यमान की उपेक्षा कीजिए। (g = 9.8 ms-2)
Answer - 21 : - छड़ की लम्बाई l= 0.45 m व द्रव्यमान m= 0.06 kg, तार में धारा i= 5.0 A
(a) तारों में तनाव शून्य करने के लिए आवश्यक है कि चुम्बकीय क्षेत्र के कारण छड़ पर बल उसके भार के बराबर वे विपरीत हो।
अतःilB sin 90° = mg

(b) यदि धारा की दिशा बदल दी जाए तो चुम्बकीय बल तथा छड़ का भार दोनों एक ही दिशा में हो जाएँगे।
इस स्थिति में, तारों का तनाव =mg + IlB sin 90°
= 2mg (∵ प्रथम दशा से,IlB sin 90° = mg)
= 2 x 0.06 x 9.8 = 1.176 = 1.18 N
Question - 22 : - एक स्वचालित वाहन की बैटरी से इसकी चालने मोटर को जोड़ने वाले तारों में 300 A विद्युत धारा (अल्प काल के लिए) प्रवाहित होती है। तारों के बीच प्रति एकांके लम्बाई पर कितना बल लगता है यदि इनकी लम्बाई 70 cm एवं बीच की दूरी 1.5 cm हो। यह बल आकर्षण बल है या प्रतिकर्षण बल ?
Answer - 22 : - दिया है, तारों में धारा i1 =i2 = 300 A, बीच की दूरी r= 1.5 x 10-2 m
तारों की लम्बाई =70 cm
तारों के बीच एकांक लम्बाई पर बल

चूँकि तारों में धारा विपरीत दिशा में प्रवाहित होती है; अत: यह बल प्रतिकर्षण का होगा।
Question - 23 : - 1.5 T का एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र, 10.0 cm त्रिज्या के बेलनाकार क्षेत्र में विद्यमान है। इसकी दिशा अक्ष के समान्तर पूर्व से पश्चिम की ओर है। एक तार जिसमें 7.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। इस क्षेत्र में होकर उत्तर से दक्षिण की ओर गुजरती है। तार पर लगने वाले बल का परिमाण और दिशा क्या है, यदि
(a) तार अक्ष को काटता हो।
(b) तार N-S दिशा से घुमाकर उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम दिशा में कर दिया जाए,
(c) N-S दिशा में रखते हुए ही तार को अक्ष से 6.0 cm नीचे उतार दिया जाए।
Answer - 23 : -
Question - 24 : - धनात्मक z-दिशा में 3000 G की एक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र लगाया गया है। एक आयताकार लूप जिसकी भुजाएँ 10 cm एवं 5 cm और जिसमें 12 A धारा प्रवाहित हो रही है, इस क्षेत्र में रखा है। चित्र 4.7 में दिखायी गई लूप की विभिन्न स्थितियों में इस पर लगने वाला बल-युग्म आघूर्ण क्या है? हर स्थिति में बल क्या है? स्थायी सन्तुलन वाली स्थिति कौन-सी है?
Answer - 24 : -
दिया है, B =3000 G = 0.3 T, a = 0.1 m, b = 0.05 m, i = 12 A
कुंडली का क्षेत्रफल A = ab = 0.1 m x 0.05 m = 5 x 10-3 m
(a), (b), (c), (d) प्रत्येक दशा में कुंडली के तल पर अभिलम्ब, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है; अतः प्रत्येक दशा में
बल-युग्म का आघूर्ण τ = iAB sin 90° = 12 x 5 x 10-3 x 0.3 = 1.8 x 10-2 N-m
प्रत्येक दशा में बल शून्य है, क्योंकि एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखे धारालूप पर बल-युग्म कार्य करता है परन्तु बल नहीं।
(a) τ = 1.8 x 10-2 N-m ऋण y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(b) τ = 1.8 x 10-2 N-m ऋण y-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(c) τ = 1.8 x 10-2 N-m ऋण x-अक्ष की दिशा में तथा बल शून्य है।
(d) τ = 1.8 x 10-2 N-m तथा बल शून्य है।
(e) तथा (f) दोनों स्थितियों में कुंडली के तल पर अभिलम्ब चुम्बकीय क्षेत्र के अनुदिश है; अत:
t = iAB sin 0° = 0
अत: इन दोनों दशाओं में बल-आघूर्ण व बल दोनों शून्य हैं। यह स्थितियाँ सन्तुलन की स्थायी अवस्था में दर्शाती हैं।
Question - 25 : - एक वृत्ताकार कुंडली जिसमें 20फेरे हैं और जिसकी त्रिज्या 10cm है, एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है जिसका परिमाण0.10 है और जो कुंडली के तल के लम्बवत है। यदि कुंडली में5.0 A विद्युत धारा प्रवाहित हो रही हो तो,
(a) कुंडली पर लगने वाला कुल बल-युग्म आघूर्ण क्या है?
(b) कुंडली पर लगने वाला कुल परिणामी बल क्या है?
(c) चुम्बकीय क्षेत्र के कारण कुंडली के प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर लगने वाला कुलै’औसत बल क्या है?
(कुंडली 10-5 m2 अनुप्रस्थ क्षेत्र वाले ताँबे के तार से बनी है, और ताँबे में मुक्त इलेक्ट्रॉन घनत्व 1029 m-3 दिया गया है।)
Answer - 25 : - फेरे N= 20, i = 5.0 A, r = 0.10 m, B = 0.10 T
इलेक्ट्रॉन घनत्व n= 1029 m-3,
तार का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल A= 10-5 m2
(a) कुंडली का तल चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् है; अत: कुंडली के तल पर अभिलम्ब व चुम्बकीय क्षेत्र के बीच का कोण शून्य है (θ= 0°)
बल-आघूर्ण τ= NiLAB sin 0° = 0
(b) कुंडली पर नेट बल भी शून्य है।
(c) यदि इलेक्ट्रॉनों का अपवाह वेग vdहै तो

Question - 26 : - एक परिनालिका जो 60 cm लम्बी है, जिसकी त्रिज्या 4.0 cm है और जिसमें 300 फेरों वाली 3 परतें लपेटी गई हैं। इसके भीतर एक 2.0 cm लम्बा, 2.5 g द्रव्यमान का तार इसके (केन्द्र के निकट) अक्ष के लम्बवत रखा है। तार एवं परिनालिका का अक्ष दोनों क्षैतिज तल में हैं। तार को परिनालिका के समान्तर दो वाही संयोजकों द्वारा एक बाह्य बैटरी से जोड़ा गया है जो इसमें 6.0 A विद्युत धारा प्रदान करती है। किस मान की विद्युत धारा (परिवहन की उचित दिशा के साथ) इस परिनालिका के फेरों में प्रवाहित होने पर तारे का भार संभाल सकेगी?
Answer - 26 : - परिनालिका की लम्बाई l= 0.6 m, त्रिज्या = 4.0 cm, फेरे N= 300 x 3
तार की लम्बाई L= 20 x 10-2 m, द्रव्यमान m= 25 x 10-3 kg, धारा I= 6.0 A
माना परिनालिका में प्रवाहित धारा =i
तब परिनालिका के अक्ष पर केन्द्रीय भाग में चुम्बकीय क्षेत्र

Question - 27 : - किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 12 Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 18 V परास वाले वोल्टमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे ?
Answer - 27 : - दिया है, G= 12 Ω, ig = 4 mA = 4 x 10-3 A
0 से V(V = 18 V) वोल्ट परास के वोल्टमीटर में बदलने के लिए गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में एक उच्च प्रतिरोध R जोड़ना होगा, जहाँ

अत: गैल्वेनोमीटर के श्रेणीक्रम में4488 Ω का प्रतिरोध जोड़ना होगा।
Question - 28 : - किसी गैल्वेनोमीटर की कुंडली का प्रतिरोध 15 Ω है। 4 mA की विद्युत धारा प्रवाहित होने पर यह पूर्णस्केल विक्षेप दर्शाता है। आप इस गैल्वेनोमीटर को 0 से 6 A परास वाले अमीटर में कैसे रूपान्तरित करेंगे?
Answer - 28 : - दिया है, G= 15 Ω, ig = 4 mA = 4.0 x 10-3 A, i = 6 A
गैल्वेनोमीटर को0-1 ऐम्पियर धारा परास वाले अमीटर में बदलने के लिए इसके पाश्र्वक्रम में एक सूक्ष्म प्रतिरोध S(शण्ट) जोड़ना होगा, जहाँ

अत: इसके समान्तर क्रम में 10mΩ का प्रतिरोध जोड़ना होगा।