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Chapter 13 नाभिक (Nuclei) Solutions

Question - 11 : - स्वर्ण के समस्थानिक एवं रजत के समस्थानिक की नाभिकीय त्रिज्या के अनुपात का सन्निकट मान ज्ञात कीजिए।

Answer - 11 : - किसी नाभिक की त्रिज्या निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्राप्त होती है
R =  R0A1/3
जहाँ A = परमाणु द्रव्यमान जबकि R0 = नियतांक
यहाँ   के लिए, A1 = 197
तथा के लिए, Ag = 107

Question - 12 : - (a) एवं (b) नाभिकों के α-क्षय में उत्सर्जित -कणों का Q-मान एवं
गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
दिया है : m () =226.02540u, m() =222.01750u
m() =220.01137u, m() =216.00189u

Answer - 12 : - (a) का z-क्षय निम्न अभिक्रिया के अनुसार होगा



Question - 13 : - रेडियोन्यूक्लाइड का क्षय निम्नलिखित समीकरण के अनुसार होता है

उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम ऊर्जा 0.960 Mev है। द्रव्यमानों के निम्नलिखित मान दिए गए हैं
m( ) =11.011434u
तथा m( ) =11.009305u
Q-
मान की गणना कीजिए एवं उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा के मान से इसकी तुलना कीजिए।

Answer - 13 : - दिया गया समीकरण

उत्सर्जित पॉजिट्रॉन की महत्तम गतिज ऊर्जा 0.960 MeV है जो कि Q-मान के तुल्य है।
उत्पाद नाभिक पॉजिट्रॉन की तुलना में अत्यधिक भारी है; अत: इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी, पुन: चूंकि पॉजिट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा Q – मान के तुल्य है; अतः न्यूट्रिनो भी लगभग शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित होगा।

Question - 14 : - का नाभिक, β उत्सर्जन के साथ क्षयित होता है। इस β-क्षय के लिए समीकरण लिखिए और उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए।
m () =22.994466 um() =22.089770u

Answer - 14 : -   नाभिक के β-क्षय का समीकरण निम्नलिखित है

    नाभिक,    तथा ऐन्टिन्यूट्रिनो की तुलना में अत्यधिक भारी है; अत: इसकी गतिज ऊर्जा लगभग शून्य होगी। β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की ऊर्जा अधिकतम होगी यदि ऐन्टिन्यूट्रिनो शून्य ऊर्जा के साथ उत्सर्जित हो। इस दशा में β-कण की अधिकतम ऊर्जा मान के बराबर अर्थात् 4.37 MeV होगी।

Question - 15 : - किसी नाभिकीय अभिक्रिया A+b→ C+d का Q-मान निम्नलिखित समीकरण द्वारा परिभाषित होता है: Q= [mA +mb –mc – md] c2
जहाँ दिए गए द्रव्यमान, नाभिकीय विराम द्रव्यमान (rest mass) हैं। दिए गए आँकड़ों के आधार पर बताइए कि निम्नलिखित अभिक्रियाएँ ऊष्माक्षेपी हैं या ऊष्माशोषी।

Answer - 15 : - (i) दी गई अभिक्रिया निम्नलिखित है

Q-मान धनात्मक है; अत: यह अभिक्रिया ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया है।

Question - 16 : - माना कि हम नाभिक के दो समान अवयवों में विखण्डन पर विचार करें।
क्या ऊर्जा की दृष्टि से यह विखण्डन सम्भव है? इस प्रक्रम का Q-मान ज्ञात करके अपना तर्क प्रस्तुत करें।
दिया है : m() =55.93494u एवं m() =27.98191u

Answer - 16 : -

  → +Q

Q = [m( ) – 2 xm ()]x 931MeV

= [55.93494- 2x 27.98191]x 931 MeV
= -26.92 MeV
चूँकि Q का मान ऋणात्मक है अतः विखण्डन सम्भव नहीं है।

Question - 17 : - के विखण्डन गुण बहुत कुछ से मिलते-जुलते हैं। प्रति विखण्डन विमुक्त औसत ऊर्जा 180 MeV है। यदि 1kg शुद्ध के सभी परमाणु विखण्डित हों तो कितनी MeV ऊर्जा विमुक्त होगी?

Answer - 17 : - यहाँ के विखण्डन से मुक्त ऊर्जा = 180 MeV
का ग्राम परमाणु द्रव्यमान = 239g
 प्लूटोनियम में उपस्थित परमाणुओं की संख्या = 6.02 x 1023

Question - 18 : - किसी1000 MW विखण्डन रिएक्टर के आधे ईधन का 5.00 वर्ष में व्यय हो जाता है। प्रारम्भ में इसमें कितना था? मान लीजिए कि रिएक्टर 80% समय कार्यरत रहता है, इसकी सम्पूर्ण ऊर्जा   के विखण्डन से ही उत्पन्न हुई है; तथा एन्यूक्लाइड केवल विखण्डन प्रक्रिया में ही व्यय होता है।

Answer - 18 : - रिएक्टर की शक्ति P= 1000 MW = 1000 x 106 Js-1=109 Js-1
समय t = 5.0 वर्ष = 5 x 365 x 24 x 60 x 60s
= 1.577 x 108 s
5 वर्ष में रिएक्टर में उत्पन्न ऊर्जा (जबकि यह 80% समय ही कार्य करता है)
E = 80% t x P
x 1.577x 108 x 169
: = 1.2616 x 1017J
 के एक परमाणु के विखण्डन से औसतन 200 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है।
100 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से
या 200 x 1.6 x 10-13Jऊर्जा उत्पन्न होती है = 1 परमाणु से

Question - 19 : - 2.0 kg ड्यूटीरियम के संलयन से एक 100 वाट का विद्युत लैम्प कितनी देर प्रकाशित रखा जा सकता है? संलयन अभिक्रिया निम्नवत् ली जा सकती है।

Answer - 19 : -


Question - 20 : - दो ड्यूट्रॉनों के आमने-सामने की टक्कर के लिए कूलॉम अवरोध की ऊँचाई ज्ञात कीजिए। (संकेत-कूलॉम अवरोध की ऊँचाई का मान इन ड्यूट्रॉन के बीच लगने वाले उस कूलॉम प्रतिकर्षण बल के बराबर होता है जो एक-दूसरे को सम्पर्क में रखे जाने पर उनके बीच आरोपित होता है। यह मान सकते हैं कि ड्यूट्रॉन 2.0 fm प्रभावी त्रिज्या वाले दृढ़ गोले हैं।)

Answer - 20 : - प्रत्येक ड्यूट्रॉन पर आवेश
q1 = q2 = +1.6 x 10-19C
ऊर्जा के पदों में कुलॉम अवरोध (विभव प्राचीर)
माना प्रारम्भ में प्रत्येक ड्यूट्रॉन की गतिज ऊर्जा K है। जब ये दोनों एक-दूसरे के सम्पर्क में आते हैं तो सम्पूर्ण ऊर्जा विद्युत स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। ऊर्जा संरक्षण से,

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