MENU

Chapter 13 जीव और समष्टियाँ (Organisms and Populations) Solutions

Question - 11 : -
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए –
(क) मरुस्थलीय पादपों और प्राणियों का अनुकूलन, 
(ख) जल की कमी के प्रति पादपों का अनुकूलन,
(ग) प्राणियों में व्यावहारिक (बिहेवियोरल) अनुकूलन,
(घ) पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व,
(ङ) तापमान और जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन।

Answer - 11 : -

() 1. मरुस्थलीय पादपों के अनुकूलन इस प्रकार हैं

  1. इनकी जड़ें बहुत लम्बी, शाखित, मोटी एवं मिट्टी के नीचे अधिक गहराई तक जाती हैं।
  2. इनके तने जल-संचय करने के लिए मांसल और मोटे होते हैं।
  3. रन्ध्र स्टोमैटल गुहा में धंसे रहते हैं।
  4. पत्तियाँ छोटी, शल्कपत्र या काँटों के रूप में परिवर्तित हो जाती हैं।
  5. तना क्यूटिकिल युक्त तथा घने रोम से भरा होता है।

2. मरुस्थलीय प्राणियों के अनुकूलन इस प्रकार हैं

  1. मरुस्थल के छोटे जीव, जैसे- चूहा, साँप, केकड़ा दिन के समय बालू में बनाई गई सुरंग में रहते हैं तथा रात को बिल से बाहर निकलते हैं।
  2. कुछ मरुस्थलीय जन्तु अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करते हैं। उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपनी आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है।
  3. जन्तु प्रायः सूखे मल का त्याग करता है।
  4. फ्रीनोसोमा तथा मेलोच होरिडस में काँटेदार त्वचा पाई जाती है।

() जल की कमी के प्रति पादपों में अनुकूलन- ये मरुस्थलीय पादप कहलाते हैं। अत: इनका अनुकूलन मरुस्थलीय पादपों के समान होगा।

() प्राणियों में व्यावहारिक अनुकूलन इस प्रकार हैं

  1. शीत निष्क्रियता,
  2. ग्रीष्म निष्क्रियता,
  3. सामयिक सक्रियता,
  4. प्रवास आदि।

() पादपों के लिए प्रकाश का महत्त्व इस प्रकार है

  1. ऊर्जा का स्रोत,
  2. दीप्तिकालिक आवश्यकता,
  3. वाष्पोत्सर्जन,
  4. पुष्पन,
  5. पादप गति,
  6. पिग्मेंटेशन,
  7. वृद्धि
  8. कंद निर्माण आदि।

() 1. तापमान में कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है

  1. शीत निष्क्रियता,
  2. सामयिक सक्रियता,
  3. प्रवास आदि।

2. जल की कमी का प्रभाव तथा प्राणियों का अनुकूलन इस प्रकार है

  1. सूखे मल का त्याग करना।
  2. अपने शरीर के मेटाबोलिज्म से उत्पन्न जल का उपयोग करना।
  3. सूखे वातावरण को सहने की क्षमता।
  4. उत्तरी अमेरिका के मरुस्थल में पाया जाने वाला कंगारू चूहा जल की आवश्यकता की पूर्ति अपने आन्तरिक वसा के ऑक्सीकरण से करता है।

Question - 12 : - अजैवीय (abiotic) पर्यावरणीय कारकों की सूची बनाइए।

Answer - 12 : -

अजैवीय पर्यावरणीय कारक (Abiotic Environmental Factors) – विभिन्न अजैवीय कारकों को निम्नलिखित तीन समूहों में बाँट सकते हैं –
1. जलवायवीय कारक (Climatic factors) – प्रकाश, ताप, वायुगति, वर्षा, वायुमण्डलीय नमी तथा वायुमण्डलीय गैसें।
2. मृदीय कारक (Edaphic factors) – खनिज पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, मृदा जल तथा मृदा वायु।
3. स्थलाकृतिक कारक (Topographic factors) – स्थान की ऊँचाई, भूमि का ढाल, पर्वत की दिशा आदि।

Question - 13 : -
निम्नलिखित का उदाहरण दीजिए –
1. आतपोभिद् (हेलियोफाइट)
2. छायोदभिद (स्कियोफाइट)
3. सजीवप्रजक (विविपेरस) अंकुरण वाले पादप
4. आन्तरोष्मी (एंडोथर्मिक) प्राणी
5. बाह्योष्मी (एक्टोथर्मिक) प्राणी
6. नितलस्थ (बैन्थिक) जोन का जीव।

Answer - 13 : -

1. सूर्यमुखी
2. फ्यूनेरिया
3. राइजोफोरा
4. पक्षी तथा स्तनधारी
5. ऐम्फीबियन्स तथा रेप्टाइल्स
6. जीवाणु, स्पंज, तारा मछली आदि।

Question - 14 : - समष्टि (पॉपुलेशन) और समुदाय (कम्युनिटी) की परिभाषा दीजिए।

Answer - 14 : -

1. समष्टि (Population) – किसी खास समय और क्षेत्र में एक ही प्रकार की स्पीशीज के व्यष्टियों या जीवों की कुल संख्या को समष्टि कहते हैं।
2. समुदाय (Community) – किसी विशिष्ट आवास-स्थान की जीव-समष्टियों का स्थानीय संघ समुदाय कहलाता है।

Question - 15 : -
निम्नलिखित की परिभाषा दीजिए और प्रत्येक का एक-एक उदाहरण भी दीजिए –
1. सहभोजिता,
2. परजीविता,
3. छद्मावरण,
4. सहोपकारिता, 
5. अन्तरजातीय स्पर्धा।

Answer - 15 : -

1. सहभोजिता (Commensalism) – यह ऐसी पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी जाति को न लाभ और न हानि होती है। उदाहरण-आम की शाखा पर उगने वाला ऑर्किड तथा ह्वेल की पीठ पर रहने वाला बार्नेकल।
2. परजीविता (Parasitism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें एक जाति को लाभ होता है जबकि दूसरी जाति को हानि, परजीविता कहलाती है। उदाहरण-मानव यकृत पर्णाभ (लिवर फ्लूक)।
3. छद्मावरण (Camouflage) – जीवों के द्वारा अपने आपको परभक्षी द्वारा आसानी से पहचान लिए जाने से बचने के लिए गुप्त रूप से रंगा होना, छद्मावरण कहलाता है। उदाहरण- कीट एवं मेंढक की कुछ जातियाँ।
4. सहोपकारिता (Mutualism) – दो जातियों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध जिसमें दोनों जातियों को लाभ होता है, सहोपकारिता कहलाती है। उदाहरण- शैवाल एवं कवक से मिलकर बना | हुआ लाइकेन।
5. अन्तरजातीय स्पर्धा (Interspecies Competition) – जब निकट रूप से सम्बन्धित जातियाँ उपलब्ध संसाधनों (भोजन, आवास) के लिए स्पर्धा करती हैं जो सीमित हैं, अन्तरजातीय स्पर्धा कहलाती है। उदाहरण-गैलापैगोस द्वीप में बकरियों के आगमन से एबिंग्डन का विलुप्त होना। बार्नेकल बेलनेस के द्वारा बार्नेकल चैथेमैलस को भगाना।

Question - 16 : - उपयुक्त आरेख की सहायता से लॉजिस्टिक (सम्भार तन्त्र) समष्टि वृद्धि का वर्णन कीजिए।

Answer - 16 : - प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित साधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में योग्यतम् व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम सम्भव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि सम्भव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।

किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरम्भ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अन्ततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है। इसे निम्न समीकरण के द्वारा निरूपित किया जाता है –
= rN = जहाँ, N = समय t में समष्टि घनत्व,

r = प्राकृतिक वृद्धि की दर,
K =
पोषण क्षमता।

Question - 17 : -
निम्नलिखित कथनों में परजीविता को कौन-सा कथन सबसे अच्छी तरह स्पष्ट करता है?
(क) एक जीव को लाभ होता है।
(ख) दोनों जीवों को लाभ होता है।
(ग) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित नहीं होता है।
(घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है।

Answer - 17 : - (घ) एक जीव को लाभ होता है, दूसरा प्रभावित होता है।

Question - 18 : - समष्टि की कोई तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ बताइए और व्याख्या कीजिए।

Answer - 18 : -

समष्टि की तीन महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1. समष्टि आकार और समष्टि घनत्व (population size and population density)
  2. जन्मदर (birth rate),
  3. मृत्युदर (mortality rate)

व्याख्या (i) समष्टि आकार और समष्टि घनत्व – किसी जाति के लिए समष्टि का आकार स्थैतिक प्रायता नहीं है। यह समय-समय पर बदलता रहता है जो विभिन्न कारकों, जैसे- आहार उपलब्धती, परभक्षण दाब और मौसमी परिस्थितियों पर निर्भर करता है। समष्टि घनत्व बढ़ रहा है। अथवा घट रहा है कारण कुछ भी हो, परन्तु दी गई अवधि के दौरान दिए गए आवास में समष्टि का घनत्व चार मूलभूत प्रक्रमों में घटता-बढ़ता है। इन चारों में से दो (जन्मदर और आप्रवासन) समष्टि घनत्व को बढ़ाते हैं और दो (मृत्युदर और उत्प्रवासन) इसे घटाते हैं।
अगर समय t में समष्टि घनत्व N है तो समय t + 1 में इसका घनत्व Nt + 1= Nt + (B + I) – (D + E) होगा।

उपरोक्त समीकरण में आप देख सकते हैं कि यदि जन्म लेने वालों की संख्या + आप्रवासियों की संख्या (B + I) मरने वालों की संख्या + उत्प्रवासियों की संख्या (D + E) से अधिक है तो समष्टि घनत्व बढ़ जाएगा, अन्यथा यह घट जाएगा।

(ii) जन्मदर – यह साधारणत: प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति जन्म की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है। जन्मदर समष्टि आकार तथा समष्टि घनत्व को बढ़ाता है।
(iii) मृत्युदर – यह जन्मदर के विपरीत है। यह साधारणतः प्रतिवर्ष प्रति समष्टि के 1000 व्यक्ति प्रति मृत्यु की संख्या द्वारा व्यक्त की जाती है।

Free - Previous Years Question Papers
Any questions? Ask us!
×