Question -
Answer -
प्रकृति में किसी भी समष्टि के पास इतने असीमित साधन नहीं होते कि चरघातांकी वृद्धि होती रहे। इसी कारण सीमित संसाधनों के लिए व्यष्टियों में प्रतिस्पर्धा होती है। आखिर में योग्यतम् व्यष्टि जीवित बना रहेगा और जनन करेगा। प्रकृति में दिए गए आवास के पास अधिकतम सम्भव संख्या के पालन-पोषण के लिए पर्याप्त संसाधन होते हैं, इससे आगे और वृद्धि सम्भव नहीं है। उस आवास में उस जाति के लिए इस सीमा को प्रकृति की पोषण क्षमता (K) मान लेते हैं।
किसी आवास में सीमित संसाधनों के साथ वृद्धि कर रही समष्टि आरम्भ में पश्चता प्रावस्था (लैग फेस) दर्शाती है। उसके बाद त्वरण और मंदन और अन्ततः अनन्तस्पर्शी प्रावस्थाएँ आती हैं। समष्टि घनत्व पोषण क्षमता प्रकार की समष्टि वृद्धि विर्हस्ट-पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि कहलाता है। इसे निम्न समीकरण के द्वारा निरूपित किया जाता है –
= rN = जहाँ, N = समय t में समष्टि घनत्व, r = प्राकृतिक वृद्धि की दर,
K = पोषण क्षमता।