Chapter 10 s ब्लॉक तत्त्व (The s block Elements) Solutions
Question - 21 : - निम्नलिखित की महत्ता बताइए
(i) चूना पत्थर,
(ii) सीमेण्ट,
(iii) प्लास्टर ऑफ पेरिस।
Answer - 21 : -
(i) चूना पत्थर की महत्ता (Importance of Lime stone)
- संगमरमर के रूप में भवन निर्माण में।
- बुझे चूने के निर्माण में।
- कैल्सियम कार्बोनेट को मैग्नीशियम कार्बोनेट के साथ लोहे जैसी धातुओं के निष्कर्षण में फ्लक्स (flux) के रूप में।
- विशेष रूप से अवक्षेपित CaCO3 के प्रयोग से वृहद् रूप में उच्च गुणवत्ता वाले कागज के निर्माण में।
- ऐन्टासिड, टूथपेस्ट में अपघर्षक के रूप में, च्यूइंगम के संघटक एवं सौन्दर्य प्रसाधनों में पूरक के रूप में।
(ii) सीमेण्ट की महत्ता (Importance of Cement)
लोहा तथा स्टील के पश्चात् सीमेण्ट ही एक ऐसा पदार्थ है जो किसी राष्ट्र की उपयोगी वस्तुओं की श्रेणी में रखा जा सकता है। इसका उपयोग कंक्रीट, प्रबलित कंक्रीट, प्लास्टरिंग, पुल निर्माण आदि में किया जाता है।
(iii) प्लास्टर ऑफ पेरिस की महत्ता (Importance of Plaster of Paris)
प्लास्टर ऑफ पेरिस का वृहत्तर उपयोग भवन निर्माण उद्योग के साथ-साथ टूटी हुई हड्डियों के प्लास्टर में भी होता है। इसका उपयोग दन्त-चिकित्सा, अलंकरण-कार्य एवं मूर्तियों तथा अर्द्ध-प्रतिमाओं को बनाने में भी होता है।
Question - 22 : - लीथियम के लवण साधारणतया जलयोजित होते हैं, जबकि अन्य क्षार धातुओं के लवण साधारणतया निर्जलीय होते हैं। क्यों?
Answer - 22 : -
सभी क्षार धातु आयनों में Li+ आयन आकार में सबसे छोटा है। अपने छोटे आकार के कारण यह जल अणु (water molecule) को ध्रुवित कर देता है, उससे जुड़ जाता है और अन्य क्षार धातुओं की अपेक्षा आसानी से जलयोजित हो जाता है। इस कारण लीथियम के लवण सामान्यत: जलयोजित होते हैं, जैसे-LiCl.2H2O
Question - 23 : - LiF जल में लगभग अविलेय होता है, जबकि LiCl न सिर्फ जल में, बल्कि ऐसीटोन में भी विलेय होता है। कारण बताइए।
Answer - 23 : -
LiF की जालक ऊर्जा (-1005 kJ mol-1)LiCl की जालक ऊर्जा (- 845 kJ mol-1) से अधिक है जिस कारण LiF जल में लगभग अविलेय तथा LiCl जल में विलेय है। इसके अतिरिक्त Cl आयन के F आयन की अपेक्षा आकार में बड़ा होने के कारण LiCl की ध्रुवीकरण की मात्रा LiF की अपेक्षा अधिक होती है। उच्च ध्रुवीकरण की मात्रा के कारण LiCl में सहसंयोजक गुण अधिक होता है। और यह ऐसीटोन organic solvent) में विलेय है।
Question - 24 : - जैव द्रवों में सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम एवं कैल्सियम की सार्थकता बताइए।
Answer - 24 : -
सोडियम एवं पोटैशियम की जैव द्रवों में सार्थकता (Significance of Sodiumand Potassium in Biological Fluids) 70 किग्रा भार वाले एक सामान्य व्यक्ति में लगभग 90 ग्राम सोडियम एवं 170 ग्राम पोटैशियम होता है, जबकि लोहा केवल 5 ग्राम तथा ताँबा 0:06 ग्राम होता है।
सोडियम आयन मुख्यतः अन्तराकाशीय द्रव में उपस्थित रक्त प्लाज्मा, जो कोशिकाओं को घेरे रहता है, में पाया जाता है। ये आयन शिरा-संकेतों के संचरण में भाग लेते हैं, जो कोशिका झिल्ली में जलप्रवाह को नियमित करते हैं तथा कोशिकाओं में शर्करा और ऐमीनो अम्लों के प्रवाह को भी नियन्त्रित करते हैं। सोडियम एवं पोटैशियम रासायनिक रूप से समान होते हुए भी कोशिका झिल्ली को पार करने की क्षमता एवं एन्जाइम को सक्रिय करने में मात्रात्मक रूप से भिन्न हैं। इसीलिए कोशिकाद्रव्य में पोटैशियम धनायन बहुतायत में होते हैं, जहाँ ये एन्जाइम को सक्रिय करते हैं तथा ग्लूकोस के ऑक्सीकरण से ATP बनने में भाग लेते हैं। सोडियम आयन शिरा-संकेतों के संचरण के लिए। उत्तरदायी हैं।
कोशिका झिल्ली के अन्य भागों में पाए जाने वाले सोडियम एवं पोटैशियम आयनों की सान्द्रता में अत्यधिक भिन्नता पाई जाती है। उदाहरण के लिए-रक्त प्लाज्मा में लाल रक्त कणिकाओं में सोडियम की मात्रा 143 m mol L-1 है, जबकि पोटैशियम का स्तर केवल 5 m mol L-1 है। यह सन्द्रिता 10 m mol L-1 (Na+)एवं 105 m mol L-1 (K) तक परिवर्तित हो सकती है। यह असाधारण आयनिक उतार-चढ़ाव, जिसे सोडियम-पोटैशियम पम्प कहते हैं, कोशिका झिल्ली पर कार्य करता है, जो मनुष्य की विश्रामावस्था के कुल उपभोगित ATP की एक-तिहाई से ज्यादा का उपयोग कर लेता है, जो मात्रा लगभग 15 किलो जूल प्रति 24 घण्टे तक हो सकती है।
मैग्नीशियम एवं कैल्सियम की जैव द्रवों में सार्थकता (Significance of Magnesiumand Calcium in Biological Fluids)
एक वयस्क व्यक्ति में लगभग 25 ग्राम मैग्नीशियम एवं 1200 ग्राम कैल्सियम होता है, जबकि लोहा मात्र 5 ग्राम एवं ताँबा 0-06 ग्राम होता है। मानव-शरीर में इनकी दैनिक आवश्यकता 200-300 मिग्री अनुमानित की गई है।
समस्त एन्जाइम, जो फॉस्फेट के संचरण में ATP का उपयोग करते हैं, मैग्नीशियम का उपयोग सह-घटक के रूप में करते हैं। पौधों में प्रकाश-अवशोषण के लिए मुख्य रंजक (pigment) क्लोरोफिल में भी मैग्नीशियम होता है। शरीर में कैल्सियम का 99% दाँतों तथा हड्डियों में होता है। यह अन्तरतांत्रिकीय पेशीय कार्यप्रणाली, अन्तरतांत्रिकीय प्रेषण, कोशिका झिल्ली अखण्डता (cell membrane integrity) तथा रक्त-स्कन्दन (blood-coagulation) में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लाज्मा में कैल्सियम की सान्द्रता लगभग 100 mg L-1 होती है। दो हॉर्मोन कैल्सिटोनिन एवं पैराथायरॉइड इसे बनाए रखते हैं। चूँकि हड्डी अक्रिय तथा अपरिवर्तनशील पदार्थ नहीं है, यह किसी मनुष्य में लगभग 400 मिग्रा प्रतिदिन के अनुसार विलेयत और निक्षेपित होती है। इसका सारा कैल्सियम प्लाज्मा में से ही गुजरता है।
Question - 25 : - क्या होता है जब?
(i) सोडियम धातु को जल में डाला जाता है।
(ii) सोडियम धातु को हवा की अधिकता में गर्म किया जाता है।
(iii) सोडियम परॉक्साइड को जल में घोला जाता है।
Answer - 25 : -
(i) 2Na (s) +2H2O(l)→ 2NaOH(aq) + H2 (g)
H2 गैस मुक्त होती है जो अभिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा के कारण आग पकड़ लेती है।
(ii)
(iii) Na2O2(s)+ 2H2O (l) → 2NaOH(aq) + H2O2(aq)
Question - 26 : - निम्नलिखित में से प्रत्येक प्रेक्षण पर टिप्पणी लिखिए-
(क) जलीय विलयनों में क्षार धातु आयनों की गतिशीलता Li+ + + + + क्रम में होती है।
(ख) लीथियम ऐसी एकमात्र क्षार धातु है, जो नाइट्राइड बनाती है।
(ग) M2+ (aq)+ 2e– → M(s) हेतु E⊖ (जहाँ M = Ca, Sr या Ba) लगभग स्थिरांक है।
Answer - 26 : -
(क) क्षार धातु आयन का आकार जितना छोटा होगा, उसकी जलयोजन की मात्रा उतनी अधिक होगी और उसकी गतिशीलता भी उतनी ही कम होगी। क्षार धातु आयनों के आकार का क्रम निम्न हैLi’ इसलिए क्षार धातु आयनों की गतिशीलता का क्रम Li+ < Na+ K+ + < Cs+
(ख) लीथियम और मैग्नीशियम विकर्ण सम्बन्ध रखते हैं। ये दोनों लगभग समान विद्युत ऋणात्मक हैं। इसलिए Mg की तरह लीथियम भी नाइट्रोजन से अभिक्रिया करके नाइट्राईड बन्मता है जबकि दूसरे । क्षार धातु ऐसा करने में असमर्थ हैं।
(ग) किसी भी निकाय के लिए E⊖ मान निम्नलिखित तीन कारकों पर निर्भर करता है
- वाष्पन की ऊष्मा
- आयनन की ऊष्मा
- जलीकरण की ऊष्मा
उपर्युक्त तीनों कारकों का सम्मिलित प्रभाव Ca, Sr और Ba पर समान है। इसलिये इन तीनों के लिए E⊖ का मान लगभग समान होता है।
Question - 27 : - समझाइए कि क्यों
(क) Na2CO3 का विलयन क्षारीय होता है।
(ख) क्षार धातुएँ उनके संगलित क्लोराइडों के विद्युत-अपघटन से प्राप्त की जाती हैं।
(ग) पोटैशियम की तुलना में सोडियम अधिक उपयोगी है।
Answer - 27 : -
(क) Na2CO3 एक दुर्बल अम्ल (H2CO3)और एक प्रबल क्षार (NaOH) से बना लवण है। जब यह जल में घोला जाता है, तो निम्न प्रकार से जल अपघटित हो जाता है-
NaCO3 → 2Na+ + CO2-3
CO2-3 +2H2O →H2CO3 +2OH–
OH– की अधिकता के कारण विलयन क्षारीय होता है।
(ख) क्षार धातु आयनों के मानक अपचयन विभव का मान हाइड्रोजन के मानक अपचयन विभव के मान से बहुत कम होता है। इसलिए, क्षार धातु क्लोराइड के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करने पर क्षार धातु के स्थान पर हाइड्रोजन कैथोड पर मुक्त होती है। क्षार धातुओं का निर्माण उनके संगलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन से किया जाता है।
(ग) सोडियम जैविक क्रियाविधि में पोटैशियम (K) की अपेक्षा अधिक उपयोगी है। सोडियम आयन तन्त्रिका (nerve) आवेग के संचरण में, कोशिका झिल्ली (cell membrane) में जल के परिवहन में और शुगर वे अमीनो अम्लों के कोशों में परिवहन में सहायता करता है। सोडियम कोशों को घेरे हुए blood plasma में रहता है। यद्यपि K+ आयन भी जैविक तन्त्रों में उपयोगी कार्य करते हैं फिर भी Na+ का कार्य अधिक महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि सोडियम, पोटैशियम से अधिक आवश्यक है।
Question - 28 : - निम्नलिखित के मध्य क्रियाओं के सन्तुलित समीकरण लिखिए
(क) Na2CO3 एवं जल
(ख) KO2 एवं जल
(ग) Na2O एवं CO2.
Answer - 28 : -
(क) Na2O2 (s)+ 2H2O(l) → 2NaOH(aq) + H2O2 (aq)
(ख) 2KO2 (s)+ 2H2O(l) → 2KOH(aq) + H2O2 (aq)+ O2 (g)
(ग) Na2O(s) + CO2(g) → Na2CO3 (s)
Question - 29 : - आप निम्नलिखित तथ्यों को कैसे समझाएँगे
(क) Be0 जल में अविलेय है, जबकि BeSO4 विलेय है।
(ख) BaO जल में विलेय है, जबकि BaSO4 अविलेय है।
(ग) एथेनॉल में Lil, KI की तुलना में अधिक विलेय है।
Answer - 29 : -
(क) BeO सहसंयोजक प्रकृति का होता है और जल में अविलेय है, जबकि BeSO4 आयनिक प्रकृति का होता है और जल में विलेय है। BeSO4 की जलयोजन ऊर्जा Be2+ आयन का आकार छोटा होने के कारण जालक ऊर्जा से बहुत अधिक होती है। इस कारण यह जल में विलेय है।
(ख) BaO और BaSO4 दोनों आयनिक प्रकृति के होते हैं, परन्तु SO2-4 आयन का आकार O2-2 आयन के आकार से अधिक होता है। चूंकि एक छोटा ऋणायन बड़े धनायन को जितनी स्थिरता प्रदान करता है, बड़ा ऋणायन बड़े धनायन को उससे कहीं अधिक क्षमता से स्थिर बनाता है, अत: BaSO4 की जालक ऊर्जा BaO से बहुत अधिक होती है। यही कारण है कि BaO जल में विलेय है जबकि BaSO4 अविलेय।।
(ग) Li+ आयन K+ आयन से बहुत छोटा होता है और यह I– आयन को K+ आयन की अपेक्षा अधिक सीमा तक ध्रुवित कर सकता है। इस प्रकार LiI में सहसंयोजक गुण KI से अधिक है। यही कारण है कि LiI एथिल ऐल्कोहल में KI की अपेक्षा अधिक घुलनशील है।
Question - 30 : - इनमें से किस क्षार धातु का गलनांक न्यूनतम है?
(क) Na
(ख) K
(ग) Rb
(घ) Cs
Answer - 30 : -
(घ) Cs धातु के परमाणु का आकार बढ़ने पर गलनांक कम हो जाता है, क्योंकि आकार बढ़ने पर धातु आबन्ध कमजोर हो जाते हैं।