Question -
Answer -
(क) Na2CO3 एक दुर्बल अम्ल (H2CO3)और एक प्रबल क्षार (NaOH) से बना लवण है। जब यह जल में घोला जाता है, तो निम्न प्रकार से जल अपघटित हो जाता है-
NaCO3 → 2Na+ + CO2-3
CO2-3 +2H2O →H2CO3 +2OH–
OH– की अधिकता के कारण विलयन क्षारीय होता है।
(ख) क्षार धातु आयनों के मानक अपचयन विभव का मान हाइड्रोजन के मानक अपचयन विभव के मान से बहुत कम होता है। इसलिए, क्षार धातु क्लोराइड के जलीय विलयन का विद्युत अपघटन करने पर क्षार धातु के स्थान पर हाइड्रोजन कैथोड पर मुक्त होती है। क्षार धातुओं का निर्माण उनके संगलित क्लोराइडों के विद्युत अपघटन से किया जाता है।
(ग) सोडियम जैविक क्रियाविधि में पोटैशियम (K) की अपेक्षा अधिक उपयोगी है। सोडियम आयन तन्त्रिका (nerve) आवेग के संचरण में, कोशिका झिल्ली (cell membrane) में जल के परिवहन में और शुगर वे अमीनो अम्लों के कोशों में परिवहन में सहायता करता है। सोडियम कोशों को घेरे हुए blood plasma में रहता है। यद्यपि K+ आयन भी जैविक तन्त्रों में उपयोगी कार्य करते हैं फिर भी Na+ का कार्य अधिक महत्त्वपूर्ण है। यही कारण है कि सोडियम, पोटैशियम से अधिक आवश्यक है।