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Chapter 15 पृथ्वी पर जीवन (Life on the Earth) Solutions

Question - 11 : -
जैव भू-रासायनिक चक्र क्या है? वायुमण्डल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण कैसे होता है? वर्णन करें।

Answer - 11 : - जैव भू-रासायनिक चक्र

जैवमण्डल में जीवधारी व पर्यावरण के बीच में रासायनिक तत्त्वों के चक्रीय प्रवाह को जैव भू-रासायनिक चक्र कहते हैं। यह चक्र जीवों द्वारा रासायनिक तत्त्वों के अवशोषण से आरम्भ होता है। जिसमें वायु, जल व मिट्टी में विघटन से इसकी पुनरावृत्ति होती रहती है, जिसमें रासायनिक तत्त्वों का सन्तुलन पौधों व प्राणी ऊतकों के चक्रीय प्रवाह द्वारा बना रहता है।

वायुमण्डल में नाइट्रोजन (79%) एक प्रमुख गैस है। कुछ जीव इसका उपयोग स्वतन्त्र रूप से वायु द्वारा करते हैं, जबकि कुछ जीव प्रत्यक्ष रूप से इसे ग्रहण करने में असमर्थ रहते हैं। वायु में स्वतन्त्र रूप में पाई जाने वाली नाइट्रोजन को मृदा जीवाणु व नील-हरित शैवाल प्रत्यक्ष रूप से ग्रहण कर लेते हैं। किन्तु सामान्यतया नाइट्रोजन यौगिकीकरण द्वारा ही प्रयोग में लाई जाती है। स्वतन्त्र नाइट्रोजन का प्रमुख स्रोत मिट्टी के सूक्ष्म जीवाणुओं की क्रिया से सम्बन्धित पौधों की जड़ों व रंध्रों वाली मृदा है जहाँ से यह वायुमण्डल में पहुँचती है। वायुमण्डल में नाइट्रोजन का यौगिकीकरण बिजली चमकने व कोसमिक रेडिएशन द्वारा होता है, किन्तु महासागरों में इस यौगिकीकरण में जलीय जीवों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।

Question - 12 : - पारिस्थितिक सन्तुलन क्या है? इसके असन्तुलन को रोकने के महत्त्वपूर्ण उपायों की चर्चा करें।

Answer - 12 : -

किसी पारितन्त्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक सन्तुलन कहलाती है। यह तभी सम्भव है, जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे। इसे पारितन्त्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी सन्तुलन के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। यह सन्तुलन निश्चित प्रजातियों में प्रतिस्पर्धा व आपसी सहयोग से होता है। कुछ प्रजातियों के जीवित रहने के संघर्ष से भी पर्यावरण सन्तुलन प्राप्त किया जा सकता है। पारिस्थितिक सन्तुलने इस बात पर भी निर्भर करता है कि कुछ प्रजातियाँ अपने भोजन व जीवित रहने के लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं, जिससे प्रजातियों की संख्या निश्चित रहती है और सन्तुलन बना रहता है; जैसे—विशाल घास के मैदानों में शाकाहारी जीव अधिक संख्या में होते हैं और मांसाहारी जीव अधिक नहीं होते हैं, अत: इनकी संख्या नियन्त्रित रहती है।

पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के उपाय-पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं

  1. वृक्षारोपण में वृद्धि करना।
  2. वन्य पशुओं का संरक्षण एवं इनके शिकार पर प्रतिबन्ध लगाना।
  3. झूमिंग कृषि पद्धति पर प्रतिबन्ध लगाना।
  4. निर्वनीकरण को नियन्त्रित करना।
  5. मनुष्य की जीवन शैली में ऐसा परिवर्तन लाना जिससे पर्यावरण हस्तक्षेप में वह कमी आए तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति सतर्क हो सके।
  6. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण।।

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