Question -
Answer -
किसी पारितन्त्र या आवास में जीवों के समुदाय में परस्पर गतिक साम्यता की अवस्था ही पारिस्थितिक सन्तुलन कहलाती है। यह तभी सम्भव है, जब जीवधारियों की विविधता अपेक्षाकृत स्थायी रहे। इसे पारितन्त्र में हर प्रजाति की संख्या के एक स्थायी सन्तुलन के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है। यह सन्तुलन निश्चित प्रजातियों में प्रतिस्पर्धा व आपसी सहयोग से होता है। कुछ प्रजातियों के जीवित रहने के संघर्ष से भी पर्यावरण सन्तुलन प्राप्त किया जा सकता है। पारिस्थितिक सन्तुलने इस बात पर भी निर्भर करता है कि कुछ प्रजातियाँ अपने भोजन व जीवित रहने के लिए दूसरी प्रजातियों पर निर्भर रहती हैं, जिससे प्रजातियों की संख्या निश्चित रहती है और सन्तुलन बना रहता है; जैसे—विशाल घास के मैदानों में शाकाहारी जीव अधिक संख्या में होते हैं और मांसाहारी जीव अधिक नहीं होते हैं, अत: इनकी संख्या नियन्त्रित रहती है।
पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के उपाय-पारिस्थितिक असन्तुलन को रोकने के मुख्य उपाय निम्नलिखित हैं
- वृक्षारोपण में वृद्धि करना।
- वन्य पशुओं का संरक्षण एवं इनके शिकार पर प्रतिबन्ध लगाना।
- झूमिंग कृषि पद्धति पर प्रतिबन्ध लगाना।
- निर्वनीकरण को नियन्त्रित करना।
- मनुष्य की जीवन शैली में ऐसा परिवर्तन लाना जिससे पर्यावरण हस्तक्षेप में वह कमी आए तथा पर्यावरण संरक्षण के प्रति सतर्क हो सके।
- जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण।।