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Question -

अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्त्व है?



Answer -

अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्त्व इसके निम्नलिखित महत्त्व हैं
1. अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बने युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। लेकिन जनन में नर तथा मादा युग्मकों के मिलने से द्विगुणित जाइगोट (zygote)का निर्माण होता है। इस प्रकार अर्द्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन के फलस्वरूप प्रत्येक जाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
2. अर्द्धसूत्री विभाजन के समय विनिमय (crossing over) के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है, इससे भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जैव विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार होती हैं।

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