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Chapter 10 कोशिका चक्र और कोशिका विभाजन (Cell Cycle and Cell Division) Solutions

Question - 11 : - सूत्री एवं अर्द्धसूत्री विभाजन में प्रमुख अन्तरों को सूचीबद्ध कीजिए।

Answer - 11 : - सूत्री व अर्द्धसूत्र विभाजन में अन्तर

Question - 12 : - अर्द्धसूत्री विभाजन का क्या महत्त्व है?

Answer - 12 : -

अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्त्व इसके निम्नलिखित महत्त्व हैं
1. अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप बने युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या आधी रह जाती है। लेकिन जनन में नर तथा मादा युग्मकों के मिलने से द्विगुणित जाइगोट (zygote)का निर्माण होता है। इस प्रकार अर्द्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन के फलस्वरूप प्रत्येक जाति में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनी रहती है।
2. अर्द्धसूत्री विभाजन के समय विनिमय (crossing over) के कारण गुणसूत्रों की संरचना बदल जाती है, इससे भिन्नताएँ उत्पन्न होती हैं। जैव विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार होती हैं।

Question - 13 : -
अपने शिक्षक के साथ निम्नलिखित के बारे में चर्चा कीजिए
1. अगुणित कीटों व निम्न श्रेणी के पादपों में कोशिका विभाजन कहाँ सम्पन्न होता है?
2. उच्च श्रेणी पादपों की कुछ अगुणित कोशिकाओं में कोशिका विभाजन कहाँ नहीं होता है?

Answer - 13 : -

1. नर मधुमक्खियाँ अर्थात् ड्रोन्स (drones) अगुणित होते हैं। इनमें सूत्री विभाजन अनिषेचित अगुणित अण्डों में होता है। निम्न श्रेणी के पादपों; जैसे-एककोशिकीय क्लैमाइडोमोनास (Chlamydomonas), बहुकोशिकीय यूलोथ्रिक्स (Ulothrix) आदि में समसूत्री विभाजन द्वारा जनन होता है। इनमें अगुणित युग्मक बनते हैं। युग्मकों के परस्पर मिलने से युग्माणु (zygote) बनते हैं। जाइगोट में अर्द्धसूत्री विभाजन होता है। इसके फलस्वरूप बने अगुणित बीजाणु समसूत्री विभाजन द्वारा नए पादपों का विकास करते हैं।
2. उच्च श्रेणी के पादपों में द्विगुणित बीजाण्डकाय में गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन के कारण चार अगुणित गुरुबीजाणु बनते हैं। इनमें से तीन में कोशिका विभाजननहीं होता। सक्रिय गुरुबीजाणु से भ्रूणकोष (embryo sac) बनता है। भ्रूणकोष की अगुणित प्रतिमुख कोशिकाओं (antipodal cells) तथा सहायक कोशिकाओं (synergids)में क्रोशिका विभाजन नहीं होता। साइकस के लघुबीजाणुओं (परागकण) के अंकुरण के फलस्वरूप नर युग्मकोभिद् बनता है। इसकी प्रोथैलियल कोशिका (prothallial cell) तथा लिका कोशिका (tube cell) में कोशिका विभाजन नहीं होता।

Question - 14 : - क्या S प्रावस्था में बिना डी०एन०ए० प्रतिकृति के सूत्री विभाजन हो सकता है?

Answer - 14 : - ‘S’ प्रावस्था में DNA की प्रतिकृति के बिना सूत्री विभाजन नहीं हो सकता।

Question - 15 : - क्या बिना कोशिका विभाजन के डी०एन०ए० प्रतिकृति हो सकती है?

Answer - 15 : - कोशिका विभाजन के बिना भी DNA प्रतिकृति हो सकती है। सामान्यतया DNA से RNA का निर्माण प्रतिकृति के फलस्वरूप ही होता रहता है।

Question - 16 : -
कोशिका विभाजन की प्रत्येक अवस्थाओं के दौरान होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कीजिए और ध्यान दीजिए कि निम्नलिखित दो प्राचलों में कैसे परिवर्तन होता है?
1. प्रत्येक कोशिका की गुणसूत्र संख्या (N)
2. प्रत्येक कोशिका में डी०एन०ए० की मात्रा (C)

Answer - 16 : -

प्रावस्था में DNA की प्रतिकृति होती है। इसके फलस्वरूप DNA की मात्रा दोगुनी हो जाती है। यदि DNA की प्रारम्भिक मात्रा 2C से प्रदर्शित करें तो इसकी मात्रा 4C हो जाती है, जबकि गुणसूत्रों की संख्या में कोई परिवर्तन नहीं होता। यदि G1 प्रावस्था में गुणसूत्रों की संख्या 2N है। तो G2 प्रावस्था में भी इनकी संख्या 2N रहती है।
अर्द्धसूत्री विभाजन की पूर्वावस्था प्रथम की युग्मपट्ट (जाइगोटीन) अवस्था में समजात गुणसूत्र जोड़े बनाते हैं। पश्चावस्था प्रथम में गुणसूत्रों का बँटवारा होता है। यदि गुणसूत्रों की संख्या 2N है तो अर्द्धसूत्री विभाजन के पश्चात् गुणसूत्रों की संख्या N रह जाती है। जननांगों (2N) में युग्मकजनन अर्द्धसूत्री विभाजन के फलस्वरूप होता है। इसके फलस्वरूप युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या घटकर अगुणित (आधी-N) रह जाती है।

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