Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था (1950 1990) Solutions
Question - 1 : - योजना को परिभाषित कीजिए।
Answer - 1 : -
योजना इसकी व्याख्या करती है कि किसी देश के दुर्लभ संसाधनों का प्रयोग किस प्रकार किया जाए ताकि देश के आर्थिक विकास को गति दी जा सके।
Question - 2 : - भारत ने योजना को क्यों चुना?
Answer - 2 : -
1947 ई० (स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात्) में भारतीय अर्थव्यवस्था गतिहीन तथा पिछड़ी अर्थव्यवस्था थी। कृषि ही जीवन-निर्वाह का मुख्य साधन थी किंतु कृषि की अवस्था अत्यधिक दयनीय थी। अर्थव्यवस्था के द्वितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र अविकसित थे और देश की बहुत बड़ी जनसंख्या घोर निर्धनता का जीवन व्यतीत कर रही थी। अर्थव्यवस्था मुख्यत: माँग और पूर्ति की सापेक्षिक शक्तियों पर आधारित थी। जिसका परिणाम था-निर्धनता, असमानता एवं गतिहीनता। ऐसी अर्थव्यवस्था को बाजार की शक्तियों पर नहीं छोड़ा जा सकता है। अतः इन समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए भारत ने ‘नियोजन’ का मार्ग अपनाया।
Question - 3 : - योजनाओं के लक्ष्य क्या होने चाहिए?
Answer - 3 : -
किसी योजना के स्पष्टत: निर्दिष्ट लक्ष्य होने चाहिए। भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्य हैं
- संवृद्धि,
- आधुनिकीकरण,
- आत्मनिर्भरता,
- समानता,
- रोजगार।
Question - 4 : - चमत्कारी बीज क्या होते हैं?
Answer - 4 : -
उच्च पैदावार वाली किस्मों के बीजों (HYV) को चमत्कारी बीज कहते हैं। इन बीजों का प्रयोग करने से कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
Question - 5 : - ‘विक्रय अधिशेष क्या है?
Answer - 5 : -
किसानों द्वारा उत्पादन का बाजार में बेचा गया अंश ही ‘विक्रय अधिशेष’ कहलाता है।
Question - 6 : - कृषि क्षेत्रक में लागू किए गए भूमि सुधार की आवश्यकता और उनके प्रकारों की व्याख्या करो।
Answer - 6 : -
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंतर्गत भारत में मूलत: एक कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था ही बनी रही। देश की लगभग 85 प्रतिशत जनसंख्या, जो गाँवों में बसी थी, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि के माध्यम से ही रोजी-रोटी कमा रही थी परंतु फिर भी कृषि क्षेत्र में न तो संवृद्धि हुई और न ही समता रह गई। इन्हीं सब कारणों से भूमि सुधार की आवश्यकता पड़ी। कृषि क्षेत्रक में निम्नलिखित सुधार किए गए हैं
- देश में कृषि क्षेत्रक में बिचौलियों का उन्मूलन किया गया।
- वास्तविक कृषकों को ही भूमि का स्वामी बनाया गया।
- किसी व्यक्ति की कृषि भूमि के स्वामित्व की अधिकतम सीमा का निर्धारण किया गया।
- नई तकनीक के प्रयोग पर बल दिया गया।
मध्यस्थों के उन्मूलन का परिणाम यह हुआ कि लगभग 2 करोड़ काश्तकारों को सरकार से सीधा संपर्क हो गया तथा वे जमींदारों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्त हो गए।
Question - 7 : - हरित क्रांति क्या है? इसे क्यों लागू किया गया और इससे किसानों को कैसे लाभ पहुँचा? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
Answer - 7 : -
हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि उत्पादने में होने वाली भारी वृद्धि से है जो कृषि की नई नीति अपना के कारण हुई है। स्वतंत्रता के समय देश की 25 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर आश्रित थी। इस क्षेत्र में उत्पादकता बहुत कम थी और पुरानी प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया जाता था। अधिसंख्य किसानों के पास आधारिक संरचना का अभाव था जिसके कारण कृषिप्रधान देश होने पर भी हम गरीब और विदेशी सहायता पर निर्भर थे। औपनिवेशिक काल में कृषि क्षेत्र में उत्पन्न गतिरोध को दूर करने के लिए हरित क्रांति लाना आवश्यक था। हरित क्रांति के कारण कृषि क्षेत्र की आगतों; जैसे उच्च पैदावार वाली किस्मों के बीजों (HYV), पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों, कीटनाशकों तथा निश्चित जल आपूर्ति, नई तकनीक आदि का एक साथ प्रयोग होने लगा। हरित क्रांति प्रौद्योगिकी के प्रसार से खाद्यान्न उत्पादन में अत्यधिक बढोतरी हुई विशेषकर गेहूँ और चावल में। किसानों को बाजार में बेचने के लिए अधिशेष उपज मिलने लगी जिस कारण किसानों की आय में वृद्धि हुई।
Question - 8 : - योजना उद्देश्य के रूप में समानता के साथ संवृद्धि’ की व्याख्या कीजिए।
Answer - 8 : -
भारत में पंचवर्षीय योजनाओं के लक्ष्य हैं-संवृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता और समानता। संक्षेप में, आयोजन से जनसामान्य के जीवन-स्तर में सुधार होना चाहिए। केवल संवृद्धि, आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के द्वारा ही जनसामान्य के जीवन-स्तर में सुधार नहीं आ सकता। किसी देश में उच्च संवृद्धि दर और विकसित प्रौद्योगिकी का प्रयोग होने के बाद भी अधिकांश लोग गरीब हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि आर्थिक समृद्धि के लाभ देश के निर्धन वर्ग को भी सुलभ हों, केवल धनी लोगों तक ही सीमित न रहें। अतः संवृद्धि, आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भरता के साथ-साथ समानता भी महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक भारतीय को भोजन, अच्छा आवास, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करवाने में समर्थ होना चाहिए और धन-वितरण की असमानताएँ भी कम होनी चाहिए। संक्षेप में, आर्थिक संवृद्धि, समानता के अभाव में अर्थहीन होती है।
Question - 9 : - ‘क्या रोजगार सृजन की दृष्टि से योजना उद्देश्य के रूप में आधुनिकीकरण विरोधाभास उत्पन्न करता है?’ व्याख्या कीजिए।
Answer - 9 : -
वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्पादकों को नई प्रौद्योगिकी अपनानी पड़ती है। जैसे किसान पुराने बीजों के स्थान पर नई किस्म के बीजों का प्रयोग कर खेतों की पैदावार बढ़ा सकते हैं उसी प्रकार एक फैक्ट्री नई मशीनों का प्रयोग कर उत्पादन बढ़ा सकती है। नई प्रौद्योगिकी को अपनाना ही आधुनिकीकरण है। आधुनिकीकरण के जरिए ही नई-नई मशीनों का प्रयोग बढ़ाया जाता है, जिससे विनिर्माण एवं कृषि क्षेत्र में श्रमिकों को स्थान मशीनें ले लेती हैं अर्थात् रोजगार के अवसर इन क्षेत्रों में घटने लगते हैं। किंतु यह प्रभाव अल्पकालीन ही होता है। आधुनिकीकरण द्वारा उत्पादन में वृद्धि होती है, आय बढ़ती है और विविध प्रकार की वस्तुओं की माँग सृजित होती है। इस माँग को संतुष्ट करने के लिए नई-नई वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है जिसके कारण रोजगार के नये अवसर सृजित होने लगते हैं। उपभोक्ता वस्तुओं एवं पूँजीगत वस्तुओं के उत्पादन का विस्तार होता है, नये-नये उद्योगों की स्थापना होती है और द्वितीयक उद्योगों के विस्तार के साथ-साथ तृतीयक क्षेत्र-बैंक, बीमा आदि का विस्तार होता है जिससे रोजगार में वृद्धि होती है।
Question - 10 : - भारत जैसे विकासशील देश के रूप में आत्मनिर्भरता का पालन करना क्यों आवश्यक था?
Answer - 10 : -
आत्मनिर्भरता का अर्थ है—देश अपनी आवश्यकताओं को खरीदने के लिए पर्याप्त मात्रा में अतिरेक उत्पन्न करे और अपने आयातों का भुगतान करने के लिए सक्षम हो। जो देश अपने आयातों का भुगतान अपने उत्पादन के निर्यातों द्वारा करते हैं, वे आत्मनिर्भर देश कहलाते हैं। विकासशील देश समाान्यतः आत्मनिर्भर नहीं हैं क्योंकि उनके निर्यात उनके आयातों का भुगतान करने के लिए अपर्याप्त हैं। एक विकासशील देश के रूप में भारत को आत्मनिर्भरता का पालन करना-निम्नलिखित कारणों से आवश्यक था|
- विदेशी सहायता देश की आंतरिक प्रयास क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
- विदेशी सहायता विकास विरोधी तथा बचत विरोधी है। |
- विदेशी सहायता अधिकांशतः प्रतिबद्ध होती है। अत: इसका इच्छित उपयोग नहीं हो पाती। भारत में पंचवर्षीय योजनाओं का मूल लक्ष्य आत्मनिर्भरता को प्राप्त करना रहा है। उदाहरण के लिए, प्रथम पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई ताकि खाद्यान्नों के मामले में देश आत्मनिर्भर हो सके। बाद में औद्योगिक क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया