Chapter 1 दो बैलों की कथा Solutions
Question - 11 : - हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
Answer - 11 : -
हीरा-मोती परिश्रमी और सहनशील थे पर जब-जब उन्हें शोषण का सामना करना पड़ा तब-तब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया। हीरा-मोती का शोषण उसी समय से शुरू हो जाता है जब वे गया के साथ पहली बार जा रहे थे। वे गया के साथ जाना नहीं चाहते थे पर गया उन्हें बलपूर्वक ले जा रहा था। इस शोषण का विरोध करते हुए वे रात में ही उसके घर से भागकर वापस आ गए।
गया जब उन्हें दुबारा ले गया और हल में जोत दिया तो इस शोषण का उन्होंने विरोध करते हुए कदम न उठाया इससे गया ने दोनों की खूब पिटाई की। इससे क्रुद्ध मोती हल लेकर भागा, जिससे जुआ-जोत सब टूट गए। गया के घर से पुनः भागते हुए वे साँड से भिड़कर शोषण का मुकाबला करने लगे। कांजीहौस में बंद होने और वहाँ चारा-पानी न मिलने के विरुद्ध उन्होंने भरपूर प्रयास किया और बाड़े की दीवार ढहाकर अन्य पशुओं को आजाद करा दिया। इसी तरह दढ़ियल के साथ जाते हुए उन्होंने अपनी रस्सियाँ छुटाईं और झूरी के थान पर आ पहुँचे। इस प्रकार उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई और प्रताड़ना सही।
Question - 12 : - क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
Answer - 12 : -
यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है। ये दो बैल सच्चे भारतीय हैं, जिनमें से एक गाँधी जी की अहिंसा का समर्थक है तो दूसरा उग्र स्वभाव वाला है। दोनों मिलकर आजादी पाने के लिए संघर्षरत रहते हैं। झूरी का घर स्वदेश का प्रतीक है, जहाँ आने के लिए दोनों व्याकुल रहते हैं। उन्हें इसके लिए अनेक बाधाएँ झेलनी पड़ती हैं। जैसे क्रांतिकारियों को कालापानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। वहाँ ये अपने साथियों को मुक्त कराते हैं। दोनों को मारने के लिए बधिक के हाथों बेच दिया जाता है परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात् स्वदेश वापस आ ही जाते हैं। इस प्रकार निःसंदेह यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।
Question - 13 : - हीरा और मोती ने शोषण के खिलाफ़ आवाज़ उठाई लेकिन उसके लिए प्रताड़ना भी सही। हीरा-मोती की इस प्रतिक्रिया पर तर्क सहित अपने विचार प्रकट करें।
Answer - 13 : -
हीरा-मोती परिश्रमी और सहनशील थे पर जब-जब उन्हें शोषण का सामना करना पड़ा तब-तब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया। हीरा-मोती का शोषण उसी समय से शुरू हो जाता है जब वे गया के साथ पहली बार जा रहे थे। वे गया के साथ जाना नहीं चाहते थे पर गया उन्हें बलपूर्वक ले जा रहा था। इस शोषण का विरोध करते हुए वे रात में ही उसके घर से भागकर वापस आ गए।
गया जब उन्हें दुबारा ले गया और हल में जोत दिया तो इस शोषण का उन्होंने विरोध करते हुए कदम न उठाया इससे गया ने दोनों की खूब पिटाई की। इससे क्रुद्ध मोती हल लेकर भागा, जिससे जुआ-जोत सब टूट गए। गया के घर से पुनः भागते हुए वे साँड से भिड़कर शोषण का मुकाबला करने लगे। कांजीहौस में बंद होने और वहाँ चारा-पानी न मिलने के विरुद्ध उन्होंने भरपूर प्रयास किया और बाड़े की दीवार ढहाकर अन्य पशुओं को आजाद करा दिया। इसी तरह दढ़ियल के साथ जाते हुए उन्होंने अपनी रस्सियाँ छुटाईं और झूरी के थान पर आ पहुँचे। इस प्रकार उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई और प्रताड़ना सही।
Question - 14 : - क्या आपको लगता है कि यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर भी संकेत करती है?
Answer - 14 : -
यह कहानी अप्रत्यक्ष रूप से आजादी के आंदोलन से जुड़ी है। ये दो बैल सच्चे भारतीय हैं, जिनमें से एक गाँधी जी की अहिंसा का समर्थक है तो दूसरा उग्र स्वभाव वाला है। दोनों मिलकर आजादी पाने के लिए संघर्षरत रहते हैं। झूरी का घर स्वदेश का प्रतीक है, जहाँ आने के लिए दोनों व्याकुल रहते हैं। उन्हें इसके लिए अनेक बाधाएँ झेलनी पड़ती हैं। जैसे क्रांतिकारियों को कालापानी की सजा होती थी उसी तरह इनको भी कांजीहौस में बंद कर दिया जाता है। वहाँ ये अपने साथियों को मुक्त कराते हैं। दोनों को मारने के लिए बधिक के हाथों बेच दिया जाता है परंतु अंततः ये झूरी के घर अर्थात् स्वदेश वापस आ ही जाते हैं। इस प्रकार निःसंदेह यह कहानी आजादी की लड़ाई की ओर संकेत करती है।
Question - 15 : - बस इतना ही काफ़ी है।
फिर मैं भी जोर लगाता हूँ। ‘ही’, ‘भी’ वाक्य में किसी बात पर जोर देने का काम कर रहे हैं। ऐसे शब्दों को निपात कहते हैं। कहानी में से पाँच • ऐसे वाक्य छाँटिए जिनमें निपात का प्रयोग हुआ हो। |
Answer - 15 : -
निपातयुक्त वाक्य
- मैं तो अब घर भागता हूँ।
- बैलों को देखते ही दौड़ा और उन्हें बारी-बारी गले लगाने लगा।
- आएगा तो दूर से ही खबर लूंगा।
- मर जाऊँगा, पर उसके काम तो न आऊँगा।
- हमारी जान को कोई जान ही नहीं समझता।
Question - 16 : - रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए तथा उपवाक्य छाँटकर उसके भी भेद लिखिए
(क) दीवार का गिरना था कि अधमरे-से पड़े हुए सभी जानवर चेत उठे।
(ख) सहसा एक दढ़ियल आदमी, जिसकी आँखे लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर, आया।
(ग) हीरा ने कहा-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) मैं बेचूंगा, तो बिकेंगे।
(ङ) अगर वह मुझे पकड़ता तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
Answer - 16 : -
(क) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-दीवार का गिरना था
संज्ञा आश्रित उपवाक्य-अधमरे से पड़े हुए जानवर भी चेत उठे।
(ख) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-सहसा एक दढ़ियल आदमी आया।
विशेषण आश्रित उपवाक्य-जिसकी आँखें लाल थीं और मुद्रा अत्यंत कठोर।
(ग) वाक्य भेद-मिश्र वाक्य
प्रधान वाक्य-हीरा ने कहा
संज्ञा आश्रित उपवाक्य-गया के घर से नाहक भागे।
(घ) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-बिकेंगे
क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य-मैं बेचूंगा तो
(ङ) वाक्य भेद-मिश्र
वाक्य प्रधान वाक्य-तो मैं बे-मारे न छोड़ता।
क्रिया विशेषण आश्रित उपवाक्य-अगर वह न पकड़ता।
Question - 17 : - कहानी में जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग हुआ है। कोई पाँच मुहावरे छाँटिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
Answer - 17 : -
- जान से हाथ धोना-(मृत्यु को प्राप्त होना) बरफ़ीले तूफ़ान में अनेक पर्वतारोहियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
- दाँतों पसीना आना-(बहुत परेशान होना) चीते को पिंजरे में बंद करने के लिए चिड़ियाघर के कर्मचारियों को दाँतों पसीना आ गया।
- चेत उठना-(सजग उठना) वर्षा की पहली फुहार पड़ते ही जीव-जंतु एवं वनस्पतियाँ चेत उठीं।
- नौ-दो ग्यारह होना-(भाग जाना) पुलिस द्वारा आँसू गैस छोड़ते ही प्रदर्शनकारी नौ दो ग्यारह हो गए।
- अंत करना-(जान से मार देना) पुलिस की एक गोली ने आतंकी का अंत कर दिया।