Question -
Answer -
हीरा-मोती परिश्रमी और सहनशील थे पर जब-जब उन्हें शोषण का सामना करना पड़ा तब-तब उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई, भले ही इसके लिए उन्हें प्रताड़ित किया गया। हीरा-मोती का शोषण उसी समय से शुरू हो जाता है जब वे गया के साथ पहली बार जा रहे थे। वे गया के साथ जाना नहीं चाहते थे पर गया उन्हें बलपूर्वक ले जा रहा था। इस शोषण का विरोध करते हुए वे रात में ही उसके घर से भागकर वापस आ गए।
गया जब उन्हें दुबारा ले गया और हल में जोत दिया तो इस शोषण का उन्होंने विरोध करते हुए कदम न उठाया इससे गया ने दोनों की खूब पिटाई की। इससे क्रुद्ध मोती हल लेकर भागा, जिससे जुआ-जोत सब टूट गए। गया के घर से पुनः भागते हुए वे साँड से भिड़कर शोषण का मुकाबला करने लगे। कांजीहौस में बंद होने और वहाँ चारा-पानी न मिलने के विरुद्ध उन्होंने भरपूर प्रयास किया और बाड़े की दीवार ढहाकर अन्य पशुओं को आजाद करा दिया। इसी तरह दढ़ियल के साथ जाते हुए उन्होंने अपनी रस्सियाँ छुटाईं और झूरी के थान पर आ पहुँचे। इस प्रकार उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई और प्रताड़ना सही।