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Question -

‘प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें-इस की स्वतत्रता स्त्री सी छीनकर हमारी विश्व-व्यवस्था न न सिर्फ स्त्री की व्यक्तित्व-विकास के अनक अवसरों से वचित किया है



Answer -

बल्कि जनाधिक्य की समस्या भी पैदा की हैं।’ ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अश में व्यक्त विचारों के सदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूंढ़े।
अथवा
‘डायरी के पन्ने’ के आधार पर औरतों की शिक्षा और उनके मानवाधिकारों के बारे में ऐन के विचारों को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर –

पूरे विश्व में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। पुरुषों ने सदा ही औरतों पर अधिकार किया है। उन्होंने औरतों पर इस आधार पर शासन करना शुरू किया कि औरतें उनसे कमज़ोर हैं। पुरुष का काम कमाई करना है जबकि स्त्री का कार्य बच्चे पैदा करना और उन्हें पाल-पोसकर बड़ा करना है। पुरुष औरत से शारीरिक संतुष्टि की अपेक्षा रखता है। इस शारीरिक आनंद में। यदि औरत गर्भवती हो जाए तो पुरुष कहता है कि बच्चा पैदा कर लो। केवल अपने स्वार्थ के लिए पुरुषों ने औरतों पर अन्याय किया है। जो अधिकार प्रकृति ने औरत को दिया उसका अनुचित लाभ पुरुष ने उठाया है। इस कारण पूरे विश्व में जनसंख्या की समस्या बढ़ी है।

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