Chapter 4 डायरी के पन्ने Solutions
Question - 11 : - हर्लिडे के प्रतिरीर्धा दल भूमिगत लोगों की सहायता किस प्रकार करने थे?
Answer - 11 : -
दूसरे विश्व…युदूघ में ‘फ्री नीदरलैंड़स‘ प्रतिरोधी दल था जो भूमिगत लोगों की सहायता करता था। वह पीडितों के लिए नकली पहचान–पत्र बनाता था, उन्हें विस्तीय सहायता प्रशन करता था, वा इसाइयों के लिए काम की तलाश करता था। दल के लोग पुरुषों से कारोबार तथा राजनीति की खाते करने थे, और महिलाओँ के साथ भोजन व युदृध के कष्ट की बातें करने थे। वे हर समय खुशदिल दिखते थे तथा लोगों की रक्षा कर रहे थे।
Question - 12 : - “डायरी के पन्ने‘ में एंन ने आशा व्यक्त की है वि, अगली सदी में ‘औरत‘ ज्यादा सम्मान और सराहना काँ हकदार बने‘र्गा। है–बया इस सर्वा में ऐसा हुआ हैं? पक्ष या विपक्ष में तर्कसंगत उतार दीजिए।
Answer - 12 : -
‘डायरी के पन्ने‘ में ऐन ने आगामी सदी में औरतों को अधिक सम्मान मिलने की आशा व्यक्त भी है। उसकी ये आशाएँ इस सदी में काफी हद तक पा हुईं हैं। औरतों को कानून के स्तर पर पुरुषों रने अधिक अधिकार मिले हैं। वे शिक्षा, विज्ञान, उदृयोग, राजनीति–हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। वे अपने नेरी पर खडी हैं तथा कुछ क्षेत्रों में उन्होंने पुरुषों को हाशिए पर कर दिया है।
Question - 13 : - ‘एन र्का डायरी हैं उसकी निजी भावनात्मक उथल–पुथल का दस्तावेज भी हैं। इस कथन र्का विवेचना र्काजिए।
Answer - 13 : -
ऐन को अज्ञातवास के दो वर्ष डर व भय में गुजारने पहुँ। यहाँ उसे समझने व सुनने वाला कोई नहीं था। यहाँ रहने वाले लोगों में वह सबसे छोटी थी। इस कारण उसे सदैव डाँट–फ़टकार मिलती थी। यहाँ उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं मिलता। वह अपने सारे व्यक्तिगत अनुभव व मानसिक उथलपुथल को डायरी के पले पर लिखती है। इस तरह यह डायरी उसकी निजी भावनात्मक उथल–पुथल का दस्तावेज भी हैं।
Question - 14 : - ऐन फ्रैंक कौन थी।’ उसर्का डायरी क्यों प्रसिदध हँ?
Answer - 14 : -
ऐन फ्रैंक एक यहूदी परिवार की लड़कौ थी। हिटलर के अत्याचारों से उसे भी अन्य यहूदियों की तरह अपना सावन बचाने के लिए दो वर्ष से अधिक समय तक अज्ञातवास में रहना पडा। इस दौरान उसने अज्ञातवास की पीडा, भय, आतंक , प्रेम, घृणा, हवाई हमले का डर, किशोरावस्था के सपने, अकेलापन, प्रकृति के प्रति संवेदना, युदृध को पीडा आदि का वर्णन अपनी डायरी में किया है। यह डायरी यहूदियों के खिलाफ़ अमानवीय दमन का पुख्ता सबूत है। इस कारण यह डायरी प्रसिदृध है।
Question - 15 : - एन फ्रैंक की डायरी के आधार पर नाजियों के अत्याचारी‘ पर टिप्पणी र्काजिए।
Answer - 15 : -
ऐन फ्रैंक की डायरी से ज्ञात होता है कि दूसरे विश्व–सदम में नाजियों ने यहूदियों को अनगिनत यातनाएँ दी तथा उम्हें भूमिगत जीवन जीने के लिए मज़बूर कर दिया डर इतना था कि ये लोग सूटकेस लेकर भी सड़क पर नहीं निकल सकते थे। उम्हें दिन का सूर्य व रात का चंद्रमा देखना भी वर्जित था। इन्हें राशन की कमी रहती थी तथा बिजली का कांटा भी था ये फटे–पुराने कपडे और धिसे–पिटे जूत्तों से काम चलाते थे।
Question - 16 : - ऐन की डायरी के माध्यम से हमारा मन सभी युद्ध-पीड़ितों के लिए कैसा अनुभव करता है? ‘डायरी के पन्ने कहानी के आधार पर बताइए।
Answer - 16 : -
ऐन की डायरी में युद्ध-पीड़ितों की ऐसी सूक्ष्म पीड़ाओं का सच्चा वर्णन है जैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिलता। ह से पीड़ितों के प्रति हमारा मन करुणा और दया से भर जाता है। मन में हिंसा और युद्ध के प्रति घृणा का भाव आता है। हम सोचते हैं कि युद्ध, विजेता और पराजित दोनों पक्षों के लिए ही आघात तथा पीड़ा देने वाला होता है। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी नागरिकों के नन्हे बच्चों को कितना भटकना पड़ता है, यह पीड़ा की पराकाष्ठा है। यदि ऐन के साथ ऐसा बुरा व्यवहार न हुआ होता तो उसकी इस तरह अकाल मृत्यु न हुई होती। ऐन के परिवार के साथ जैसा हुआ वैसा न जाने कितने लोगों के साथ हुआ होगा। इसलिए वे लोग, जो युद्ध का कारण बनते हैं, ऐन की डायरी पढ़कर उसे अपने प्रति अनुभव करके देखें।
Question - 17 : - ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर सिद्ध कीजिए कि ऐन फ्रैंक बहुत प्रतिभाशाली तथा परिपक्व थी?
Answer - 17 : -
ऐन फ्रैंक की प्रतिभा और धैर्य का परिचय हमें उसकी डायरी से मिलता है। उसमें किशोरावस्था की झलक कम और सहज शालीनता अधिक देखने को मिलती है। उसकी अवस्था में अन्य कोई भी होता तो विचलित एवं बेचैनी का आभास देता। ऐन ने अपने स्वभाव और अवस्था पर नियंत्रण पा लिया था। वह एक सकारात्मक, परिपक्व और सुलझी हुई सोच के साथ आगे बढ़ रही थी। उसमें कमाल की सहनशक्ति थी। अनेक बातों को, जो उसे बुरी लगती थीं, वह शालीन चुप्पी के साथ बड़ों का सम्मान करने के लिए सहन कर जाती थी। पीटर के प्रति अपने अंतरंग भावों को भी सहेजकर वह केवल डायरी में व्यक्त करती थी। अपनी इन भावनाओं को वह किशोरावस्था में भी जिस मानसिक स्तर से सोचती थी वह वास्तव में सराहनीय है। परिपक्व सोच का ही परिण Iाम था कि वह अपने मन के भाव, उद्गार, विचार आदि डायरी में ही व्यक्त करती थी। यदि ऐन में ऐसी सधी हुई परिपक्वता न होती तो हमें युद्ध काल की ऐसी दर्द-भरी कहानी पढ़ने को नहीं मिल सकती थी।
Question - 18 : - ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर ऐन द्वारा वर्णित संधमारी वाली घटना का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
Answer - 18 : -
ऐन ने अपनी डायरी में कष्ट देने वाली अनेक बातों में से सबसे प्रमुख कष्टदायक बात अज्ञातवास को ही कहा है। किसी बस्ती में छिपकर रहना बड़ा ही कठिन काम है। 11 अप्रैल, 1944 की जो घटना ऐन ने लिखी है उससे पता चलता है कि वे लोग अनेक कष्टदायी स्थितियों के साथ-साथ सेंधमारों से भी संघर्ष करते थे। . उस दिन रात साढ़े नौ बजे पीटर ने जिस प्रकार ऐन के पिता को बाहर बुलाया उससे ऐन समझ गई कि दाल में कुछ काला है। सेंधमारों ने अपना काम शुरू कर दिया था। इसलिए ऐन के पिता, मिस्टर वान दान और पीटर लपककर नीचे पहुँचे।
ऐन, मागौंट, उनकी माँ और मिसेज वान डी ऊपर डरे-सहमे से इंतजार करते रहे। एक जोर के धमाके की आवाज से इन लोगों के होश उड़ गए। नीचे गोदाम में सन्नाटा था और पुरुष लोग वहीं सेंधमारों के साथ संघर्ष कर रहे थे। डर से काँपने पर भी ये लोग शांत बने रहे। तकरीबन 15 मिनट बाद ऐन के पिता सहमे हुए ऊपर आए और इन लोगों से बत्तियाँ बंद करके ऊपर छत पर चले जाने को कहा। अब ये लोग डरने की प्रतिक्रिया जताने की स्थिति में भी नहीं थे। सीढ़ियों के बीच वाले दरवाजे पर ताला जड़ दिया गया। बुककेस बंद कर दिया गया, नाइट लैंप पर स्वेटर डाल दिया गया।
पीटर अभी सीढ़ियों पर हीं था कि जोर के दो धमाके सुनाई दिए। उसने नीचे जाकर देखा कि गोदाम की तरफ का आधा भाग गायब था। वह लपककर होम गार्ड को चौकन्ना करने भागा। मिस्टर वान ने समझदारी दिखाते हुए शोर मचाया ‘पुलिस! पुलिस!’ यह सुनकर सेंधमार भाग गए और गोदाम के फट्टे फिर से लगा दिए गए। लेकिन वे कुछ ही मिनट में लौट आए और फिर से तोड़ा-फोड़ी शुरू हो गई। उस डरावनी रात में बड़ी मुश्किल से पुरुषों ने संघर्ष करके जान बचाई।
Question - 19 : - ‘डायरी के पन्ने’ पाठ की लखिका के ये शब्द-‘स्मृतियाँ मेरे लिए पोशाकों की तुलना में ज्यादा मायने रखती हैं।’
Answer - 19 : -
इस बात को सिद्ध करते हैं कि डायरी-लेखन उसके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सिद्ध कीजिए। लेखिका के परिवार ने जैसे ही अज्ञातवास में जाने का निर्णय लिया, उसने सबसे पहले अपनी डायरी को बैग में रखा। इसके बाद उसने अनेक अजीबोगरीब चीजें बैग में डालीं। उनमें से अधिकांश चीजें उसे उपहार में मिली थीं। उन उपहारों से जुड़ी स्मृतियाँ उसके लिए महत्वपूर्ण थीं। वह पोशाकों को कम महत्व देती थी। उसने अपनी सभी भावनाओं की अभिव्यक्ति डायरी में लिखी, जबकि परिवार में अन्य सदस्य भी थे। उसने परिवार, समाज, सरकार व अपने विचारों को डायरी में लिखा। इससे पता चलता है कि डायरी-लेखन उसके जीवन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
Question - 20 : - ‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर ऐन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
Answer - 20 : -
‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर ऐन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
चिंतक व मननशील – ऐन का बौद्धक स्तर बहुत ऊँचा है। वह नस्लवादी नीति के प्रभाव को प्रस्तुत करती है। उसकी डायरी भोगे हुए यथार्थ की उपज है। वह अज्ञातवास में भी अध्ययन करती है।
स्त्री-संबंधी विचार – ऐन स्त्रियों की दयनीय दशा से चिंतित है। वह स्त्री-जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है। वह चाहती है कि स्त्रियों को पुरुषों के बराबर सम्मान दिया जाए। वह स्त्री-विरोधी पुरुषों व मूल्यों की भत्सना करना चाहती है।
संवेदनशील – ऐन संवेदनशील लड़की है। उसे बात-बात पर सबसे डाँट पड़ती है क्योंकि उसकी भावनाओं को समझने वाला कोई नहीं है। वह लिखती भी है-“काश! कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ जाता।” अपनी डायरी में अपनी गुड़िया को वह पत्र लिखती है।